भारत का बड़ा फैसला: चीन सीमा पर लगातार पांचवीं सर्दी में भी डटी रहेगी सेना
पिछले चार साल से लद्दाख में भारत और चीन के बीच सीमा तनाव लगातार बना हुआ है। साल 2020 में गलवान में हुई हिंसा के बाद से दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है, लेकिन चीन की अडियलता और विश्वासघात की घटनाएँ भी कम नहीं हुई हैं। इस स्थिति को देखते हुए, भारत अब अपने सैनिकों की तैनाती को सर्दियों में भी बनाए रखने की तैयारी कर रहा है।
सर्दियों में सैनिकों की तैनाती
गलवान की घटना के बाद भारतीय सेना ने 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर ‘स्थायी सुरक्षा’ और बुनियादी ढाँचे का निर्माण किया है। अब, लगातार पांचवीं सर्दी में, सेना पूर्वी लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश-सिक्किम के दुर्गम इलाकों में अपनी भारी मौजूदगी बनाए रखने के लिए तैयार है।
इस दौरान सीमा तनाव को कम करने के लिए राजनीतिक और कूटनीतिक वार्ताएँ चल रही हैं, लेकिन इसके ठोस परिणाम निकलते हुए नहीं दिख रहे हैं। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) अपनी अग्रिम सैन्य स्थिति को मजबूत करने में लगी हुई है और बुनियादी ढाँचे का निर्माण जारी रखे हुए है। फिलहाल, पीएलए की ओर से पहले की स्थिति बहाल करने की कोई संभावना नहीं दिखाई देती।
सेना ने ‘गर्मी से सर्दी की स्थिति’ में परिवर्तन के अनुसार शीतकालीन भंडारण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए प्रमुख जनरल और कमांडर-इन-चीफ की बैठक गंगटोक में होने जा रही है, जहां परिचालन स्थिति की समीक्षा की जाएगी।
राजनीतिक वार्ताएँ और हालात
हालांकि, सीमा विवाद के समाधान के लिए चीन के साथ लगातार राजनीतिक और कूटनीतिक वार्ताएँ हो रही हैं, लेकिन जमीन पर विश्वास की कमी बनी हुई है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) अपने सैन्य आधार को मजबूती प्रदान कर रहा है और ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि वे निकट भविष्य में वापस लौटने के मूड में नहीं हैं।
संभावित समाधान और चुनौती
भारत-चीन के बीच गतिरोध को खत्म करने के लिए कई द्विपक्षीय वार्ताएँ हुई हैं। हाल में, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी की भी बैठक हुई थी। लेकिन, सैन्य कमांडरों के बीच वार्ता का नतीजा अभी तक संतोषजनक नहीं रहा है, खासकर देपसांग और दमचोक जैसे रणनीतिक स्थानों पर।
चीन के जाल से सावधान
भारत को सावधानी बरतनी होगी कि वह चीन के जाल में न फंसे। गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स में सैनिकों की वापसी के बाद बफर जोन बनाए गए थे, लेकिन देपसांग और डेमचोक में स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है। अधिकारी बताते हैं कि जब तक डी-एस्केलेशन और सैनिकों की वापसी नहीं होती, तब तक खतरा बरकरार रहेगा।
भारत-चीन सीमा पर सैनिकों की तैनाती में वृद्धि
2021 में, भारत ने चीन के साथ अपनी सीमा पर गश्त करने के लिए 50,000 सैनिकों को तैनात किया था, और समय के साथ यह संख्या बढ़ती गई है। चीन भी अपनी सीमा पर वायुसेना के जरिए लगातार निगरानी रख रहा है। 2020 में हुई एक घातक झड़प में कम से कम 20 भारतीय सैनिकों की मौत हुई थी, जिसके बाद भारत ने सैन्य-संबंधित बुनियादी ढाँचे को मजबूत किया और सीमा पर भारी हथियारों की तैनाती की। इस समय, चीन से लगती सीमा पर एक लाख से ज्यादा भारतीय सैनिक तैनात हैं।
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