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SC ने मजदूर के बेटे को दिलाया IIT में एडमिशन, छात्र ने कहा-‘जिंदगी अब फिर से पटरी पर आ गई’

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए आईआईटी धनबाद को आदेश दिया है कि वे अतुल कुमार को एडमिशन दे, जो पैसे की तंगी की वजह से समय पर फीस जमा नहीं कर पाया था। बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले का रहने वाला 18 वर्षीय छात्र अतुल कुमार IIT धनबाद में एडमिशन फीस पेमेंट करने की समय सीमा से सिर्फ तीन मिनट की देरी से चूक गया था, जिस वजह से उसका दाखिला नहीं हो पाया। लेकिन अतुल ने हार नहीं माना और उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

आज इस मामले में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि एक ऐसे मामले में हम यंग टैलेंट को नहीं गवां सकते, जो महज 17000 रुपए फीस समय पर न जमा कराने के कारण एडमिशन लेने से रह गया हो। हम आईआईटी धनबाद को आदेश देते हैं कि वह याचिकाकर्ता को दाखिला दें।

क्या है मामला

दरअसल, यूपी के मुजफ्फरनगर जिले के रहने वाले दलित लड़के अतुल कुमार के पिता एक दिहाड़ी मजदूर हैं। अतुल ने अपनी आखिरी कोशिश में जेई की परीक्षा पास कर ली थी। जिसके बाद उसे आईआईटी धनबाद में इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग विभाग में सीट दी गई और 24 जून तक फीस जमान कराने के लिए कहा गया। अतुल की फीस 17500 रूपए थी।

अतुल के वकील ने बताया कि उनके पिता 450 रुपए दिहाड़ी कमाते हैं। उनके पास बेटे की फीस जमा करने के लिए 17,500 रुपये नहीं थे। उनके लिए इतनी बड़ी रकम का बंदोबस्त करना बहुत बड़ा काम था। पिता ने यह रकम एडमिशन फीस जमा करने के आखिरी दिन 24 जून तक जैसे तैसे करके गांव वालों से जुटाई। फीस जमा करने कि आखिरी तारिख 24 जून शाम पांच बजे थी। लेकिन अतुल ने 4.45 बजे तक पैसे का इंतजाम कर पेंमेंट करने के लिए पोर्टल पर लॉगिन किया तो उसमें कुछ समस्या आने लगी और पोर्टल 5 बजे बंद कर दिया गया। जिसके वजह से वह फीस जमान नहीं कर पाया।

लेकिन अतुल ने यहां हार नहीं मानी। उसने इसके लिए सबसे पहले झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद उसने मद्रास हाईकोर्ट और अन्त में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

जहां उसकी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचुड़ ने उसे भरोसा दिलाया कि उसकी मेहनत बेकार नहीं जाएगी। कोर्ट उसके लिए जरूर कुछ करेगा।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने

सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधिस की अगुवाई वाली बेंच ने कहा, “हम एक ऐसे यंग टैलेंट को नहीं गंवा सकते। वह झारखंड के कानूनी शरण में गया, फिर चेन्नई की कानूनी सेवाओं तक पहुंचा और आखिरी में सुप्रीम कोर्ट आया। एक दलित लड़के को हर दरवाजे पर धक्के दे दिए गए।”

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “वह एक बेहतरीन स्टूडेंट है। सिर्फ 17,000 रुपए की कमी की वजह से उसे रोका गया।” वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर ध्यान दिया कि फीस जमा करने की समय सीमा 24 जून को शाम 5 बजे थी। अतुल के माता-पिता ने 4.45 बजे तक फीस की रकम जुटा ली थी। लेकिन जब अतुल ने पेमेंट करना चाहा तो पोर्टल पर कुछ समस्या आने लगी और पोर्टल 5 बजे बंद कर दिया गया।

इस पर आईआईटी धनबाद के वकील ने दावा करते हुए कहा कि राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) ने अतुल कुमार को एसएमएस भेजा और आईआईटी ने उन्हें दो व्हाट्सएप चैट के जरिए पेमेंट करने की जानकारी दी थी। वकील ने कहा कि वह हर दिन लॉगिन करता था।

इस पर जस्टिस पारदीवाला ने आईआईटी धनबाद से कहा, “आप इतना विरोध क्यों कर रहे हैं? आप इसका रास्ता निकालने की कोशिश क्यों नहीं करते? कोर्ट ने आगे कहा कि अतुल पोर्टल पर रोजाना लॉगिन कर रहा था। अगर उसके पास फीस नहीं होती तो वह ऐसा क्यों करता? हम यह देख रहे हैं कि युवा प्रतिभा को सिर्फ इस वजह से पीछे नहीं छोड़ा जा सकता। हम यह आदेश देते हैं कि याचिकाकर्ता को आईआईटी धनबाद में दाखिला दिया जाए।

अतुल ने जताई खुशी

वहीं सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आने के बाद अतुल की भी प्रतिक्रिया आई है। मीडिया से बात करते हुए अतुल ने सुप्रीन कोर्ट के इस फैसले पर खुशी जाहीर की है। उसने कहा कि उसकी जिंदगी अब फिर से पटरी पर आ गई है। सीजेआई ने शानदार काम किया और कहा कि वित्तीय बाधाएं किसी की प्रगति में रुकावट नहीं बननी चाहिए। सीजेआई ने कहा कि मेरा भविष्य उज्ज्वल है और इसे प्रभावित नहीं होना चाहिए।

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