नितिन गडकरी ने सरकार को बताया विषकन्या, कहा- जिसके साथ जाती है उसको डुबाती है..
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि सरकार को ‘विषकन्या’ के रूप में देखा जाना चाहिए। गडकरी ने स्पष्ट रूप से कहा, “जिसके साथ जाती है, उसे डुबाती है।” यह टिप्पणी उन्होंने महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में निवेश की कमी पर चर्चा करते हुए की। उनके इस बयान ने राजनीतिक और आर्थिक हलकों में हलचल मचा दी है, जिससे यह सवाल उठने लगा है कि क्या गडकरी ने सरकार की नीति और कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
सरकारी नीतियों पर चिंता
गडकरी का यह बयान यह संकेत करता है कि वे सरकारी नीतियों और योजनाओं को लेकर गंभीर चिंता जता रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को सरकारी योजनाओं और सब्सिडी पर पूरी तरह से भरोसा नहीं करना चाहिए। उनका मानना है कि सरकार पर निर्भरता से बचना चाहिए, क्योंकि सब्सिडी का मिलना कभी-कभी असंभव हो सकता है।
उन्होंने कहा, “आप इन लफड़े में मत पड़ो, जो सब्सिडी लेना है ले लो। ये कब मिलेगी, कुछ मिलेगी… कोई भरोसा नहीं है।” इस संदर्भ में, उन्होंने अपने बेटे का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्हें 450 करोड़ रुपये की सब्सिडी मिली है, लेकिन यह राशि कब मिलेगी, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है।
लाड़ली बहन योजना: चुनावी दृष्टिकोण
गडकरी ने महाराष्ट्र सरकार की लाड़ली बहन योजना पर भी चिंता जताई। यह योजना हाल ही में शुरू की गई है और आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर लाई गई है। योजना के तहत 21 से 65 वर्ष की आयु की विवाहित, तलाकशुदा और निराश्रित महिलाओं को 1,500 रुपये प्रति माह दिए जाएंगे। गडकरी ने चेतावनी दी कि इस योजना के कारण अन्य क्षेत्रों में सब्सिडी के भुगतान में देरी हो सकती है।
उन्होंने कहा, “इस योजना से राज्य के खजाने पर सालाना 46,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ने की उम्मीद है।” यह आंकड़ा चिंताजनक है और इससे यह संकेत मिलता है कि सरकार को अपने वित्तीय प्रबंधन में सावधानी बरतनी होगी।
टेक्सटाइल उद्योग की चिंता
गडकरी ने यह भी कहा कि कई सेक्टर इस स्थिति के कारण प्रभावित हो रहे हैं। खासकर टेक्सटाइल उद्योग के लोग गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि टेक्सटाइल उद्योग की पावर सब्सिडी नहीं मिल रही है, जिसके कारण उद्योग बंद होने के कगार पर है। टेक्सटाइल कारोबारी उनसे मिलकर इस समस्या का समाधान चाहते हैं।
गडकरी ने कहा, “टेक्सटाइल वालों की इंडस्ट्री बंद पड़ गई है। उनकी पावर सब्सिडी नहीं मिली। रोज मुझे मिलते थे। प्रॉब्लम यही है कि हम अपने भरोसे प्लान करें।” यह एक गंभीर स्थिति है, क्योंकि टेक्सटाइल उद्योग न केवल रोजगार सृजन करता है, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।