सुप्रीम कोर्ट ने सोमनाथ मंदिर के पास बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने से किया इनकार
गुजरात के सोमनाथ मंदिर के आस-पास बुलडोजर कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है और कहा कि वे एक ऐसा आदेश देंगे जो सभी पर समान रूप से लागू होगा। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता में हुई सुनवाई के दौरान यह जानकारी दी गई।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि अगर उसे ऐसा लगता है कि गुजरात के अधिकारियों ने बुलडोजर कार्रवाई पर उसके आदेश की अवमानना की है, तो वे न केवल जेल भेजे जाएंगे, बल्कि उन अधिकारियों को उन संपत्तियों को फिर से बनाने का भी आदेश दिया जाएगा। यह टिप्पणी जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने की, जो कि सोमनाथ मंदिर के पास अवैध निर्माणों पर 28 सितंबर को हुई बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ दायर अवमानना याचिका की सुनवाई कर रही थी।
जानें पूरा मामला?
दरअसल, सोमनाथ मंदिर के पास मुस्लिम समुदाय के घरों और धार्मिक स्थलों पर चल रही बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में आरोप लगाया गया कि 17 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया जा रहा है। इसमें गिर सोमनाथ के कलेक्टर और अन्य अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की गई । इसी मामले की आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।
समस्त पटनी मुस्लिम जमात के वकील संजय हेगड़े ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि आदेश के बावजूद गुजरात के अधिकारियों ने बुलडोजर कार्रवाई को अंजाम दिया। याचिका में कहा गया कि 57 एकड़ के क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय की लगभग 5 दरगाहें, 10 मस्जिदें और 45 घरों पर बुलडोजर चलवाए गए।
गुजरात के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसका जवाब देते हुए कहा कि ये संरचनाएं समुद्र के पास स्थित थीं और सोमनाथ मंदिर से करीब 340 मीटर की दूरी पर थीं।
याचिका में कहा गया कि दरगाह मंगरोली शाह बाबा, ईदगाह और अन्य धार्मिक ढांचों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अवैध विध्वंस किया गया है। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद प्रशासन ने कई धार्मिक संरचनाओं को नष्ट किया। बताया जा रहा है कि बुलडोजर कार्रवाई में 320 करोड़ रुपए की सरकारी जमीन खाली कराई गई है। वहीं इस पूरे मामले पर प्रशासन ने कहा है कि कार्रवाई से पहले नोटिस दिया गया था और ढांचों को खाली करने के लिए समय भी दिया गया था।
देशभर में बुलडोजर एक्शन पर रोक
बता दें सुप्रीम कोर्ट ने 1 अक्टूबर को देशभर में हो रही बुलडोजर कार्रवाई के मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने स्पष्ट किया कि फैसला आने तक देशभर में बुलडोजर कार्रवाई पर रोक जारी रहेगी। हालांकि, कोर्ट ने यह भी साफ किया कि अवैध अतिक्रमण हटाने पर कोई रोक नहीं होगी। चाहे वह सड़क हो, रेल लाइन हो, मंदिर हो या दरगाह, अवैध अतिक्रमण को हटाया जाएगा क्योंकि जनता की सुरक्षा सर्वोपरि है।
पिछली सुनवाइयों में क्या हुआ?
1 अक्टूबर: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आदेश की अवमानना होती है, तो पीड़ित की प्रॉपर्टी को दोबारा बनवाने का आदेश दिया जाएगा। सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने सुझाव दिया कि मुआवजे की राशि तोड़फोड़ करने वालों से ली जाए। इस पर जस्टिस गवई ने जस्टिस विश्वनाथन की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह पहले ही कह चुके हैं।
17 सितंबर: केंद्र सरकार ने कहा कि कोर्ट हाथ नहीं बांध सकता, तो जस्टिस गवई और विश्वनाथन ने कहा कि अगर कार्रवाई दो हफ्ते के लिए रोकी गई तो इससे कुछ नहीं होगा।
12 सितंबर: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बुलडोजर कार्रवाई कानूनों पर बुलडोजर चलाने जैसी है। यह टिप्पणी तब आई जब एक परिवार को गुजरात में नगरपालिका द्वारा बुलडोजर कार्रवाई की धमकी मिली थी।
2 सितंबर: कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अतिक्रमण को संरक्षण नहीं दिया जाएगा, लेकिन कानूनी प्रक्रिया का पालन जरूरी है। बेंच ने कहा कि सार्वजनिक सड़कों पर अतिक्रमण की अनुमति नहीं दी जाएगी, और इस मामले से जुड़े पक्षों को सुझाव देने के लिए कहा गया ताकि पूरे देश के लिए गाइडलाइन जारी की जा सके।