Ekadashi In October 2024: अक्टूबर में पड़ने वाली इन दो एकादशियों का अलग ही है महत्व, जानें तिथि और अनुष्ठान और महत्व
Ekadashi In October 2024: हिंदू धर्म में एकादशी एक पवित्र दिन है, जो महीने में दो बार कृष्ण और शुक्ल पक्ष के 11वें दिन मनाया जाता है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है और आध्यात्मिक शुद्धि, उपवास और प्रार्थना के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है। माना जाता है कि एकादशी (Ekadashi In October 2024) पर उपवास करने से व्यक्ति के पापों से मुक्ति मिलती है, मन को शांति मिलती है और आध्यात्मिक विकास में वृद्धि होती है।
अक्टूबर में पड़ेंगी दो एकादशी
इस वर्ष अक्टूबर के महीने में दो एकादशी व्रत (Ekadashi In October 2024) रखे जाएंगे। पहली पापांकुशा एकादशी है, और उसके बाद रमा एकादशी है। ये पवित्र व्रत हिंदू संस्कृति में महत्वपूर्ण हैं, जिसमें भक्त अपने पापों को धोने और आध्यात्मिक विकास प्राप्त करने के लिए व्रत रखते हैं और प्रार्थना करते हैं। दोनों ही एकादशियां पहले आश्विन माह के शुक्ल पक्ष और फिर कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष में मनाई जाएंगी।
पहले मनाई जाएगी पापांकुशा एकादशी
पापांकुशा एकादशी को महत्वपूर्ण एकादशियों में से एक माना जाता है क्योंकि इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को अच्छे स्वास्थ्य, धन और अन्य सभी सांसारिक इच्छाओं की प्राप्ति होती है। यह भी माना जाता है कि पापांकुशा एकादशी व्रत का पालन किए बिना, व्यक्ति को पापों से मुक्ति नहीं मिल सकती है और उसके बुरे कर्म जीवन भर उसका पीछा करते रहते हैं। इस पूजनीय व्रत का पुण्य 100 सूर्य यज्ञ या 1000 अश्वमेध यज्ञ करने के बराबर है। पापांकुशा एकादशी भगवान विष्णु के अवतार भगवान पद्मनाभ को समर्पित है। इस दिन भक्त पूरी निष्ठा के साथ भगवान पद्मनाभ की पूजा करते हैं। पापांकुशा एकादशी व्रत रखने से व्रती को भगवान पद्मनाभ का आशीर्वाद प्राप्त होगा और वह इस दुनिया के सभी सुखों का आनंद ले सकेगा। अक्टूबर महीने में पापांकुशा एकादशी 13 अक्टूबर, रविवार को मनाई जाएगी।
कब है रमा एकादशी?
रमा एकादशी 27 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी और इस एकादशी का व्रत भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है और उनसे पापों की शुद्धि, समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य और सफल जीवन की कामना की जाती है। रमा एकादशी की कथा में राजा शोभन और उनकी पत्नी चंद्रभागा के जीवन का उल्लेख है। चंद्रभागा भगवान विष्णु की भक्त थीं और हर एकादशी पर व्रत रखती थीं। जब उनका विवाह राजा शोभन से हुआ, तो उन्होंने राजा शोभन से भी यही व्रत करने को कहा। दुर्भाग्य से व्रत रखने के बाद शोभन की मृत्यु हो गई, लेकिन व्रत रखने के कारण उन्हें वैकुंठ में स्थान मिला और शासन करने के लिए एक स्वर्णिम राज्य भी मिला। भगवान पद्मनाभ के आशीर्वाद से उन्हें इस दुनिया के सभी सुखों का आनंद मिलेगा।
एकादशी व्रत में क्या करें और क्या ना करें?
अगर आप एकादशी के दिन व्रत रख रहे हैं, तो आपको अपने दिन के लिए कुछ सरल बातें जान लेनी चाहिए। उदाहरण के लिए, यह याद रखना ज़रूरी है कि पूरे दिन सुस्ती न बरतें और खुद को भक्ति गतिविधियों में व्यस्त रखें। भगवान विष्णु के नाम का ध्यान करें, भगवान विष्णु को समर्पित मंत्रों का जाप करें, एकादशी के दिन व्रत कथा अवश्य पढ़ें और पूरे दिन शांत ऊर्जा बनाए रखें। यह भी याद रखना ज़रूरी है कि अगर कोई आपातकालीन स्थिति न हो तो बीच में अपना व्रत न तोड़ें। अगर आप निर्जला व्रत रखते हैं, तो पूरे दिन पानी या अनाज का सेवन ना करें। पारण के समय के बाद ही अपना व्रत तोड़ें। इसके अलावा, खुद को भौतिकवादी चीज़ों से दूर रखें, यौन गतिविधियों में न सलग्न हों और पूरे दिन ‘राम नाम’ लेना न भूलें।