Navratri 2024 6th Day: नवरात्रि के छठवें दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा होती है। देवी पार्वती ने राक्षस महिषासुर नाश करने हेतु देवी कात्यायनी का रूप धारण किया था। यह देवी पार्वती का सर्वाधिक उग्र रूप था। इस रूप (Navratri 2024 6th Day) में देवी पार्वती को योद्धा देवी के रूप में भी जाना जाता है।
कौन हैं मां कात्यायनी?
महिषासुरमर्दिनी (महिषासुर का वध करने वाली देवी) के नाम से भी जानी जाने वाली कात्यायनी देवी (Navratri 2024 6th Day) को महादेवी या आदि शक्ति का योद्धा रूप माना जाता है। माना जाता है कि नवदुर्गाओं में से छठी हैं। उन्हें अक्सर चार, दस या अठारह हाथों के साथ दर्शाया जाता है। ज़्यादातर चित्रणों में, वह शेर पर सवार दिखाई देती हैं और अपने दाहिने दो हाथों में तलवार और कमल का फूल पकड़े हुए हैं, जबकि दूसरा हाथ अभय मुद्रा में मुड़ा हुआ होता है। हिन्दु धर्मग्रन्थों के अनुसार, कालान्तर में देवी पार्वती ने ऋषि कात्यायन की पुत्री के रूप अवतार धारण किया था। ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण देवी पार्वती के इस रूप को देवी कात्यायनी के नाम से जाना जाता है। भक्त अक्सर पूजा के दौरान देवी को सिंदूर, लाल चूड़ियां और अन्य श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ाते हैं।
मां कात्यायनी की पूजा कैसे करें?
‘भागवत पुराण’ के अनुसार, देवी की पूजा मुख्य रूप से युवा अविवाहित महिलाओं द्वारा की जाती है, जो एक अच्छे पति की तलाश में हैं। पूरे एक महीने तक, उन्हें यमुना नदी में स्नान करने के बाद सादा खिचड़ी खानी चाहिए और देवी की पूजा करनी चाहिए। देवता को अर्पित किए जाने वाले प्रसाद में सिंदूर, लाल चूड़ियां, फूल, चंदन का गूदा, सुपारी आदि शामिल हैं। कात्यायनी माता मंत्र का 108 बार जाप करने से आपको सही जीवनसाथी मिल सकता है!
मां कात्यायनी का प्रिय पुष्प, मन्त्र, प्रार्थना और स्तुति
फूल- लाल रंग के पुष्प, विशेषतः गुलाब
मन्त्र- ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
प्रार्थना- चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
स्तुति- या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥