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लैंड फॉर जॉब स्कैम: लालू, तेजस्वी और तेज प्रताप को बड़ी राहत, कोर्ट से मिली जमानत

तेजस्वी यादव, लालू यादव, तेज प्रताप यादव
तेजस्वी यादव, लालू यादव, तेज प्रताप यादव

लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले में आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव, उनके पुत्र तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव को राउज एवेन्यू कोर्ट से राहत मिली है। कोर्ट ने सभी आरोपियों को एक-एक लाख रुपए के मुचलके पर जमानत दे दी है। साथ ही, कोर्ट ने सभी को अपना पासपोर्ट सरेंडर करने का आदेश दिया है। सुनवाई के दौरान लालू, तेजस्वी, तेज प्रताप और मीसा भारती एक ही टेबल पर बैठे नजर आए।

मामले की अगली तारीख 25 अक्टूबर 

कोर्ट में यह बताया गया कि सभी आरोपी समन की तामील करते हुए पेश हुए हैं। जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 25 अक्टूबर निर्धारित की है। तेजस्वी यादव ने जमानत मिलने के बाद कहा कि यह मामला पूरी तरह से राजनीतिक है और इसमें कोई वास्तविकता नहीं है। उनका आरोप है कि यह उनके खिलाफ साजिश है, और वे जांच एजेंसियों के दुरुपयोग के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।

क्या है लैंड फॉर जॉब स्कैम ?

लैंड फॉर जॉब स्कैम एक बहुचर्चित घोटाला है, जिसमें आरोप है कि भारतीय रेलवे में ग्रुप D की भर्तियों के बदले जमीन ली गई। यह मामला तब से सुर्खियों में है जब से केंद्रीय जांच एजेंसियों ने इस मामले की जांच शुरू की।

यह घोटाला 2004 से 2009 के बीच हुआ, जब लालू प्रसाद यादव भारत के रेल मंत्री थे। इस दौरान उनके कार्यकाल में कई लोगों को रेलवे में नौकरी दी गई, लेकिन यह आरोप है कि ये नियुक्तियां बिना किसी उचित प्रक्रिया के हुईं।

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आरोप है कि लालू प्रसाद यादव ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए लोगों को रेलवे में ग्रुप D की भर्ती में नौकरी देने के लिए जमीन का लेन-देन किया। इसके तहत जमीनें राबड़ी देवी, लालू की पत्नी, और उनकी बेटियों, मीसा भारती और हेमा यादव के नाम पर ट्रांसफर की गईं।

सीबीआई का कहना है कि इस प्रक्रिया में कोई सार्वजनिक नोटिस या विज्ञापन नहीं जारी किया गया। इसके बावजूद, कई व्यक्तियों को विभिन्न रेलवे जोनों में सब्सीट्यूट्स के रूप में नियुक्त किया गया, जिनमें मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर शामिल हैं।

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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में मनी लॉंड्रिंग के आरोपों के तहत जांच शुरू की। ईडी ने चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें 11 आरोपियों को नामित किया गया है। इस चार्जशीट में बताया गया है कि रेलवे में इन नियुक्तियों से संबंधित कथित तौर पर अवैध संपत्ति का लेन-देन हुआ है।

तेजस्वी यादव ने इस मामले को राजनीतिक प्रतिशोध का एक हिस्सा बताया है। उनका कहना है कि यह आरोप उनके खिलाफ एक साजिश है, जो कि राजनीतिक फायदे के लिए की गई है।

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