आरएसएस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी थी

120 दिन में 16,000 सभाएं, हरियाणा में जमीनी स्तर पर काम कर RSS ने खेला बड़ा गेम!

Haryana Election Results 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव का परिणाम आज, 8 अक्टूबर की शाम तक घोषित होने की उम्मीद है। मतदान से पहले के रुझानों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बहुमत का आंकड़ा पार करने का संकेत दिया है। यह चुनाव बीजेपी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, खासकर पिछले लोकसभा चुनाव में उनके अपेक्षाकृत कमजोर प्रदर्शन के बाद।

आरएसएस की जमीनी मेहनत

चुनाव परिणामों में बीजेपी की सफलता का श्रेय आरएसएस की मेहनत को दिया जा रहा है। आरएसएस ने पिछले चार महीनों में हरियाणा में लगभग 16,000 छोटी-छोटी सभाएं आयोजित की हैं, जो गैर-जाट मतदाताओं को अपने पक्ष में लाने में सहायक साबित हुई हैं। जब बीजेपी के शीर्ष नेता, जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह, ताबड़तोड़ रैलियों में जुटे थे, वहीं आरएसएस ने जमीनी स्तर पर काम करने का निर्णय लिया।

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घर-घर जाकर किया जागरूक

आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने न केवल घर-घर जाकर लोगों को केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में बताया, बल्कि उन्होंने सार्वजनिक स्थलों पर भी संवाद स्थापित किया। यह विशेष ध्यान उन सीटों पर केंद्रित था, जहां बीजेपी कमजोर दिख रही थी। इन सभाओं में आरएसएस ने बीजेपी की उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं को साझा किया, जिससे मतदाताओं में सकारात्मकता का संचार हुआ।

आरएसएस ने बनाई थी ठोस रणनीति

चुनाव से पहले बीजेपी और आरएसएस के बीच कई महत्वपूर्ण बैठकें आयोजित की गई थीं। इन बैठकों में उम्मीदवारों के चयन से लेकर बूथ प्रबंधन तक के मुद्दों पर चर्चा की गई। आरएसएस ने एक ठोस रणनीति बनाई, जिसमें उनकी स्थानीय उपस्थिति को बढ़ाना और मतदाताओं के साथ सीधा संवाद करना शामिल था।

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आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने भी हाल ही में एक बयान में हिंदू समाज से एकजुट होने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि समाज को भाषा, जाति और प्रांत के मतभेदों को भुलाकर एकजुट होना चाहिए, ताकि वे अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें। उनका यह संदेश आरएसएस की चुनावी रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, जो उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं के बीच फैलाया।

लोकसभा चुनाव से ली सीख

पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने हरियाणा में अपेक्षाकृत कमजोर प्रदर्शन किया था, जो इस विधानसभा चुनाव में उनकी रणनीति को और अधिक महत्वपूर्ण बना देता है। बीजेपी को पता था कि अगर वे हरियाणा में सत्ता खोते हैं, तो यह न केवल उनकी राजनीतिक स्थिति को कमजोर करेगा, बल्कि उनके समर्थकों के मनोबल पर भी असर डालेगा।

इसलिए, आरएसएस और बीजेपी ने इस बार चुनावी रणनीति को पूरी तरह से नए सिरे से तैयार किया, जिसमें अधिकतम जनसंवाद और जमीनी स्तर पर काम करने की रणनीति को शामिल किया गया।

नतीजों की इंतजार

अब सभी की निगाहें चुनाव परिणामों पर टिकी हैं। अगर बीजेपी हरियाणा में अपनी सरकार बनाने में सफल होती है, तो यह उनके लिए एक बड़ी राजनीतिक जीत होगी। दूसरी ओर, यदि परिणाम उनके पक्ष में नहीं आते हैं, तो यह उनकी रणनीतियों और जमीनी कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्न खड़े कर सकता है।

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हरियाणा की चुनावी तस्वीर साफ होने में कुछ ही घंटों का समय बचा है, और इससे यह स्पष्ट होगा कि आरएसएस की मेहनत और बीजेपी की रणनीतियां कितनी सफल रही हैं।