उत्तर प्रदेश के नोएडा में एक नामी स्कूल में पढ़ने वाली लगभग साढ़े तीन साल की बच्ची के साथ कथित डिजिटल रेप का मामला सामने आया है। इस मामले में पुलिस ने आरोपी समेत क्लास टीचर और कार्यालय प्रशासक को भी गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने बताया कि इन दोनों पर आरोप है कि उन्होंने घटना को छिपाने और सबूत मिटाने की कोशिश की है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला कोतवाली सेक्टर-20 क्षेत्र का है। घटना के अनुसार, स्कूल में काम करने वाले चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नित्यानंद ने बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न किया। बच्ची की क्लास टीचर ने इस मामले को दबाने के लिए उसे डराया और घर पर कुछ न बताने को कहा। मामला तब उजागर हुआ जब बच्ची ने 8 अक्टूबर को पेट दर्द की शिकायत की। उसके माता-पिता ने जब प्यार से पूछताछ की, तो बच्ची ने बताया कि स्कूल में एक कर्मचारी ने उसे कुछ चुभाया था, जिससे उसे दर्द हो रहा है। बच्ची ने यह भी कहा कि अगर उसने किसी को बताया, तो उसे मारने की धमकी दी गई थी।
जब बच्ची के माता-पिता उसे डॉक्टर के पास ले गए, जब डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि बच्ची के प्राइवेट पार्ट को चोट पहुंचाई गई थी। इसके बाद, उन्होंने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने 10 अक्टूबर को मुख्य आरोपी नित्यानंद को गिरफ्तार कर लिया। नित्यानंद स्कूल में हाउसकीपिंग का काम करता था।
बच्ची के पिता ने अपनी शिकायत में बताया कि उनकी बच्ची, जो अभी केवल तीन साल और सात महीने की है, नोएडा के सेक्टर-27 स्थित एक प्रसिद्ध स्कूल के जूनियर विंग में पढ़ती है। शिकायत में बताया गया है कि सात अक्टूबर को स्कूल से लौटने के बाद बच्ची ने पेट में दर्द की शिकायत की। इस पर परिवार ने उसे डॉक्टर के पास ले जाने का फैसला किया।
किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा
पुलिस ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई की। जांच के दौरान यह पता चला कि स्कूल प्रशासन ने भी अपनी जिम्मेदारी को ठीक से नहीं निभाया। इस कारण, क्लास टीचर मधु मेनघानी और स्कूल के कार्यालय प्रशासक दयामय महतो को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 65(2), 5(F)(M), 6 और यौन अपराधों से बच्चों का सरंक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया है।
नोएडा के एडीसीपी मनीष कुमार मिश्रा ने कहा है कि इस मामले की गहन जांच जारी है और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने बताया कि स्कूल प्रशासन की भूमिका को भी ध्यान में रखा जा रहा है, और अगर कोई भी व्यक्ति इसमें शामिल पाया गया, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
क्या है डिजिटल रेप ? (What is digital rape)
डिजिटल रेप एक गंभीर और जघन्य अपराध है, जिसका संबंध किसी व्यक्ति के शरीर में बिना उसकी सहमति के अंग या वस्तु डालने से है। यह एक जेंडर न्यूट्रल शब्द है, जिसका मतलब है कि यह किसी भी पीड़ित या अपराधी पर लागू हो सकता है।
डिजिटल रेप को आसान भाषा में समझें तो इसका अर्थ है, “बिना इजाजत किसी के प्राइवेट पार्ट के साथ अपने हाथों या पैरों से पेनिट्रेशन करना।” यह कृत्य पीड़ित की निजता, गरिमा और मानसिक शांति का उल्लंघन करता है, जिससे उन्हें गंभीर आघात पहुंचता है।
डिजिटल रेप का शब्द सबसे पहले निर्भया मामले के बाद सुर्खियों में आया। इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 375 और पॉक्सो अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध के रूप में मान्यता मिली। इसका मतलब है कि इस तरह के अपराध के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है।
डिजिटल रेप का शिकार होने वाले व्यक्ति को मानसिक और भावनात्मक रूप से गंभीर नुकसान हो सकता है। यह पीड़ित के जीवन पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकता है, जैसे कि डिप्रेशन, चिंता, और सामाजिक अलगाव।