इंडोनेशिया, जो दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम आबादी वाला देश है, ने हाल ही में अपने आठवें राष्ट्रपति के रूप में प्रबोवो सुबियांतो (prabowo subianto president) का चुनाव किया है। 73 वर्षीय प्रबोवो ने देश के सांसदों और अन्य देशों से आमंत्रित किए गए गणमान्य व्यक्तियों के समक्ष ‘कुरान’ पर हाथ रखकर राष्ट्रपति पद की शपथ ले ली है। हालांकि, उनकी राजनीतिक यात्रा और अतीत की कई परछाइयाँ भी हैं, जो इस नए युग की शुरुआत के साथ चर्चा का विषय बनेंगी।
खौफ का नाम: प्रबोवो सुबियांतो
प्रबोवो सुबियांतो का नाम सुनते ही अधिकांश इंडोनेशियाई नागरिकों के मन में एक डर का माहौल बन जाता था। एक समय था जब लोग उनकी शक्ति और प्रभाव से भयभीत थे। उन्हें मानवाधिकार उल्लंघन और कई असामाजिक गतिविधियों में संलिप्तता के आरोपों का सामना करना पड़ा है। पूर्व विशेष बल कमांडर प्रबोवो अब राष्ट्रपति बन चुके हैं, और उनके कार्यकाल में देशवासियों की अपेक्षाएँ भी काफी बढ़ गई हैं।
प्रबोवो का जन्म एक समृद्ध राजनीतिक परिवार में हुआ था। उनके पिता एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री थे, जो इंडोनेशिया के मंत्रिमंडल में सेवा करते थे। उनके परिवार का राजनीतिक इतिहास और उनकी शिक्षा ने उन्हें एक खास नजरिया दिया। जब उनके पिता ने 1957 में विवाद के चलते देश छोड़ दिया, तब प्रबोवो ने अपने बचपन के कई वर्ष यूरोप में निर्वासन में बिताए।
सेना में करियर की शुरुआत
इंडोनेशिया लौटने के बाद, प्रबोवो ने सेना में शामिल होने का निर्णय लिया। उन्होंने शीघ्र ही इंडोनेशिया के विशिष्ट विशेष बल कोपासस में कप्तान के पद पर पदोन्नति हासिल की। उनके करियर पर पहले ही आरोप लग चुके थे, विशेषकर पूर्वी तिमोर में मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में। हालांकि उनकी सटीक भूमिका इन घटनाओं में साबित नहीं हो सकी, फिर भी उनके ऊपर लगे आरोपों की छाया उनके करियर पर बनी रही।
प्रबोवो ने तानाशाह सुहार्तो की बेटी से विवाह किया और उनके करीबी लोगों में शामिल हो गए। 1990 के दशक के अंत में, जब सुहार्तो का शासन समाप्त हुआ, तब उन्हें 20 से अधिक छात्र कार्यकर्ताओं के अपहरण का आरोप लगाया गया। इनमें से कई छात्र आज भी लापता हैं और उनकी हत्या की आशंका जताई जाती है। अपहरण के बाद बचने वाले लोगों ने प्रबोवो और उनकी सेना पर यातना का आरोप लगाया है, जो उनके ऊपर लगे आरोपों को और भी मजबूत करता है।
सेना से किया गया था बर्खास्त
1998 में सेना से बर्खास्त होने के बाद, प्रबोवो को जॉर्डन में स्व-निर्वासन बिताना पड़ा। ऑस्ट्रेलिया में उनके खिलाफ यात्रा प्रतिबंध लगा दिया गया। लेकिन 2019 में, उन्होंने देश में वापसी की और उन्हें रक्षा मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। उनकी इस वापसी ने राजनीतिक दृष्टिकोण से उन्हें और मजबूत किया।
प्रबोवो की शपथ ग्रहण समारोह में 40 से अधिक देशों के नेताओं ने भाग लिया। ब्रिटेन, अमेरिका, रूस, और अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति ने उनकी स्थिति को और मजबूत किया। इस समारोह ने प्रबोवो को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता प्रदान की है।
दो बार हार चुके हैं प्रबोवो
प्रबोवो ने पूर्व राष्ट्रपति जोको विडोडो के खिलाफ दो बार राष्ट्रपति पद के चुनाव में भाग लिया लेकिन हार गए। विडोडो ने बाद में प्रबोवो को रक्षा मंत्री के रूप में नियुक्त किया। उनके चुनाव प्रचार के दौरान, उन्होंने कई अरब डॉलर की लागत से नए राजधानी शहर के निर्माण, घरेलू उद्योग के विकास, और कच्चे माल के निर्यात पर अंकुश लगाने जैसे प्रमुख नीतियों को जारी रखने का वादा किया।
अब, जब प्रबोवो राष्ट्रपति बन चुके हैं, तो उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों का सामना करना और अपनी नई नीतियों को लागू करना उनके लिए आसान नहीं होगा। इससे पहले उनकी छवि को लेकर जो विवाद उठ चुके हैं, उनका सामना भी उन्हें करना होगा।
प्रबोवो सुबियांतो की कहानी एक जटिल राजनीतिक यात्रा है, जिसमें सैन्य तानाशाही से राष्ट्रपति बनने तक का सफर शामिल है। उनकी राष्ट्रपति पद की शपथ के बाद, देशवासियों की उम्मीदें और अधिक बढ़ गई हैं। अब देखना होगा कि वह अपने अतीत के दाग को धोकर एक नए और बेहतर इंडोनेशिया का निर्माण कर पाते हैं या नहीं।
इंडोनेशिया के अब तक के सभी राष्ट्रपति
क्रम संख्या | राष्ट्रपति का नाम | कार्यकाल |
---|---|---|
1 | सुहार्तो | 1967 – 1998 |
2 | बी. जे. हबीबी | 1998 – 1999 |
3 | गोट्टो | 1999 – 2001 |
4 | मेगावती सूकर्णोपुत्री | 2001 – 2004 |
5 | सुसीलो बामबांग युधोयोनो | 2004 – 2014 |
6 | जोको विडोडो | 2014 – 2024 |
7 | जोको विडोडो (दूसरी बार) | 2019 – 2024 |
8 | प्रबोवो सुबियांतो | 2024 – वर्तमान |