महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए समय नजदीक आ चुका है, और सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हैं। सीट बंटवारे की बैठकों का दौर तेज़ी से चल रहा है, जिसमें महाविकास अघाड़ी और महायुति के गठबंधन में शामिल दलों के बीच भी सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत अंतिम चरण में है। इस बीच, महायुति में सीट बंटवारे को लेकर जो खबरें सामने आई हैं, उसके मुताबिक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) 156 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि एकनाथ शिंदे की शिवसेना को 78-80 सीटें और अजित पवार की एनसीपी को 53-54 सीटें मिलेंगी।
सीट शेयरिंग में फाइनल निर्णय
महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटें हैं, और राज्य में बीजेपी, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) गठबंधन की सरकार है। 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सबसे अधिक 105 सीटें जीती थीं, और इस बार भी महायुति पूरे जोर-शोर के साथ चुनावी मैदान में उतरने जा रही है। बीजेपी के पास वर्तमान में 103 विधायक हैं, जबकि शिवसेना (एकनाथ शिंदे) के पास 40 और एनसीपी (अजित पवार) के पास 43 विधायक हैं। ऐसे में बीजेपी राज्य में सबसे बड़ा दल है और सीटों की सबसे बड़ी संख्या पाने वाली पार्टी होगी।सूत्रों के मुताबिक, महायुति के दलों में सीट बंटवारे की प्रक्रिया अब लगभग पूरी हो चुकी है।
इस बंटवारे के अनुसार-
पार्टी | चुनाव लड़े जाने वाली सीटें |
---|---|
बीजेपी | 156 सीटें |
शिवसेना (एकनाथ शिंदे) | 78-80 सीटें |
एनसीपी (अजित पवार) | 53-54 सीटें |
पिछले विधानसभा चुनाव में किसको कितनी सीटें मिली
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 20 नवंबर को होगा, और परिणाम 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 105, शिवसेना ने 56, एनसीपी ने 54, और कांग्रेस ने 44 सीटें जीती थीं। हालांकि, चुनाव के बाद शिवसेना एनडीए से अलग हो गई और उसने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। लेकिन जून 2022 में शिवसेना में आंतरिक कलह के बाद एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री पद संभाला और शिवसेना के 40 विधायकों को तोड़ लिया। इस घटनाक्रम के बाद शिवसेना दो गुटों में बंट गई है।
पार्टी | सीटें |
---|---|
बीजेपी | 105 सीटें |
शिवसेना | 56 सीटें |
एनसीपी | 54 सीटें |
कांग्रेस | 44 सीटें |
महायुति और महाविकास अघाड़ी के गठबंधन की स्थिति
महायुति में सीट शेयरिंग लगभग फाइनल हो चुका है, लेकिन विपक्षी महाविकास अघाड़ी (एमवीए) में अभी भी सीट बंटवारे को लेकर पेच फंसा हुआ है। इस बीच, महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया गठबंधन भी सामने आया है, जिसे “परिवर्तन महाशक्ति” नाम दिया गया है। इस गठबंधन का नेतृत्व संभाजी राजे छत्रपति कर रहे हैं।
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इस गठबंधन में छत्रपति के अलावा, राजू शेट्टी की स्वाभिमानी शेतकारी पक्ष और बच्चू कुडू की प्रहार जनशक्ति पार्टी भी शामिल हैं। इस गठबंधन का उद्देश्य राज्य में सत्ता परिवर्तन और जनता के मुद्दों को उठाना है। छत्रपति ने मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल और वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) के नेता प्रकाश आंबेडकर को भी इस गठबंधन में शामिल होने का न्योता दिया है।
परिवर्तन महाशक्ति का प्रभाव
परिवर्तन महाशक्ति का गठन महायुति और महाविकास अघाड़ी दोनों के लिए चुनौती बन गया है। अगर मनोज जरांगे पाटिल और प्रकाश आंबेडकर इस गठबंधन का समर्थन करते हैं, तो यह महाविकास अघाड़ी के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा कर सकता है।
हालिया लोकसभा चुनाव नतीजों पर अगर नजर डालें, तो मराठवाड़ा क्षेत्र में एमवीए की पार्टियों के उम्मीदवारों ने अच्छा प्रदर्शन किया था। मराठवाड़ा की 46 विधानसभा सीटों में से 31 सीटों पर एमवीए के उम्मीदवारों ने बढ़त बनाई थी। वहीं, पश्चिम महाराष्ट्र में राजू शेट्टी का प्रभाव मजबूत है, जो किसान नेताओं के तौर पर पहचाने जाते हैं। पिछली लोकसभा चुनावों में पश्चिम महाराष्ट्र की 70 विधानसभा सीटों में से 35 सीटों पर एमवीए के उम्मीदवारों ने बढ़त बनाई थी, जबकि महायुति के उम्मीदवार 30 सीटों पर आगे रहे थे।
विदर्भ क्षेत्रों में चुनौती
विदर्भ क्षेत्र की सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही मुख्य मुकाबला माना जा रहा है, लेकिन परिवर्तन महाशक्ति की एंट्री से स्थिति और भी पेचीदी हो सकती है। विदर्भ में एमवीए और महायुति दोनों गठबंधनों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है।
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इसके अलावा, परिवर्तन महाशक्ति का गठन यह संकेत देता है कि राज्य में एक नया राजनीतिक समीकरण बन सकता है। यह गठबंधन महाविकास अघाड़ी के लिए समस्या खड़ी कर सकता है, खासकर पश्चिम महाराष्ट्र और मराठवाड़ा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में, जहां इसकी मजबूत पकड़ है।
चुनावी रण में नया मोड़
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति और महाविकास अघाड़ी के अलावा इस नए गठबंधन की एंट्री ने चुनावी परिदृश्य को पूरी तरह से बदल दिया है। इस गठबंधन की मजबूती और चुनावी रणनीतियों से अब यह साफ हो गया है कि महाराष्ट्र में इस बार चुनावी मुकाबला और भी कठिन होगा।
जैसे-जैसे चुनाव की तारीखें नजदीक आती हैं, महाराष्ट्र की राजनीतिक हलचल और भी तेज होती जाएगी। चुनावी मैदान में उतरी सभी पार्टियों की नजरें अब राज्य की जनता पर हैं, जो तय करेंगी कि महाराष्ट्र की राजनीतिक दिशा क्या होगी।