Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 को लेकर राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। विभिन्न राजनीतिक पार्टियाँ अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर रही हैं। इसी बीच समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने महाविकास अघाड़ी (MVA) को चेतावनी दी है कि राजनीति में त्याग की कोई जगह नहीं है। यह बयान तब आया जब सपा ने अपने लिए सीटों की मांग की थी, लेकिन कांग्रेस ने तीन सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया, जो सपा के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ है।
सीटों के बंटवारे का निर्णय सपा प्रदेश अध्यक्ष करेंगे
अखिलेश यादव ने कहा, “महाराष्ट्र में सीटों के बंटवारे का निर्णय हमारे प्रदेश अध्यक्ष करेंगे। हम गठबंधन में रहने की कोशिश करेंगे, लेकिन अगर महाविकास अघाड़ी हमें गठबंधन में नहीं रखेगी, तो हम उन सीटों पर चुनाव लड़ेंगे जहाँ हमें वोट मिलेंगे या हमारा संगठन सक्रिय है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका लक्ष्य ऐसा चुनाव लड़ना है जो गठबंधन को नुकसान न पहुँचाए।
उनके इस बयान का संदर्भ तब और महत्वपूर्ण हो गया जब उन्होंने कहा, “राजनीति में त्याग के लिए कोई जगह नहीं है।” यह टिप्पणी दिखाती है कि सपा अपनी स्थिति को लेकर गंभीर है और किसी भी तरह के वोट बंटवारे को रोकने की कोशिश कर रही है।
अबू आजमी ने कहा- सीटों का बंटवारा पहले ही हो जाना चाहिए था
इस बीच, महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अबू आजमी ने भी अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा, “सीटों का बंटवारा पहले ही हो जाना चाहिए था। हम महाविकास अघाड़ी का हिस्सा हैं, लेकिन क्यों सीटों का बंटवारा नहीं हो रहा, यह समझ से परे है। हम कभी भी वोटों का बंटवारा नहीं चाहते।” अबू आजमी ने यह भी कहा कि अगर उन्हें अपनी मांग के अनुसार 5 सीटें नहीं दी गईं, तो वे 25 सीटों पर चुनाव लड़ने को मजबूर होंगे।
कांग्रेस ने जिन सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है, उन पर सपा की नजर थी। यह स्थिति महाविकास अघाड़ी के भीतर विवादों को जन्म दे सकती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर सीटों का बंटवारा सही ढंग से नहीं किया गया, तो इससे गठबंधन के मतदाताओं में भ्रम पैदा हो सकता है।
क्या होगी आगे की रणनीति ?
अब यह देखना होगा कि MVA कैसे इस स्थिति को संभालेगी और सीटों के बंटवारे को लेकर आगे की रणनीति क्या होगी। सपा और महाविकास अघाड़ी के बीच तालमेल बना रहना न सिर्फ गठबंधन की स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि आगामी चुनावों में सफलता के लिए भी अनिवार्य है।
इस स्थिति में, अखिलेश यादव का बयान और अबू आजमी की चिंताएँ यह दर्शाते हैं कि महाराष्ट्र में राजनीति केवल मतों की ही नहीं, बल्कि सूझबूझ और सहमति की भी है।