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निफ्टी 8% नीचे, निवेशक परेशान, जानें एफपीआई ने क्यों किया भारत से पलायन?

FPIs withdraw Rs 85,790 cr from equities due to Chinese mkt valuation

पिछला हफ्ता भारतीय शेयर बाजार के लिए एक बुरा दौर साबित हुआ। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने जमकर बिकवाली की, जिससे भारतीय बाजार से लगभग 85,790 करोड़ रुपये यानी 10.2 अरब डॉलर निकाल लिए गए। इस बिकवाली का असर इतना गहरा था कि एनएसई का निफ्टी अपने पिछले उच्चतम स्तर से करीब 8 फीसदी नीचे चला गया। इस सबके बीच निवेशकों की चिंता भी बढ़ गई है।

एफपीआई की बिकवाली के पीछे क्या है कारण?

एफपीआई की इस बिकवाली के पीछे कई कारण हैं। एक तो ये है कि चीन ने अपने बाजार में कुछ प्रोत्साहन उपाय किए हैं, जिससे वहां के शेयरों के वैल्यूएशन आकर्षक हो गए हैं। वहीं, भारतीय शेयर बाजार में भी शेयरों के मूल्य काफी ऊंचे पहुंच चुके हैं। इसका नतीजा ये हो रहा है कि विदेशी निवेशक अब भारतीय बाजार से पैसा निकालकर चीन की ओर मुड़ रहे हैं।

सितंबर में एफपीआई ने भारतीय बाजार में 57,724 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जो कि पिछले 9 महीनों में उनका सबसे बड़ा निवेश था। लेकिन अक्टूबर में, स्थिति एकदम पलट गई। एक से 25 अक्टूबर के बीच एफपीआई ने शुद्ध रूप से 85,790 करोड़ रुपये की निकासी की।

अक्टूबर का महीना एफपीआई के लिए काफी बुरा साबित हो रहा है। पहले के खराब महीनों की तुलना करें, तो मार्च 2020 में एफपीआई ने 61,973 करोड़ रुपये निकाले थे, लेकिन अब यह आंकड़ा उससे भी अधिक हो गया है। इस साल अब तक एफपीआई ने शेयरों में 14,820 करोड़ रुपये और डेट यानी बॉंड बाजार में 1.05 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है।

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, जून 2024 से पहले एफपीआई भारतीय शेयर बाजार में लगातार खरीदारी कर रहे थे। हालांकि, अप्रैल और मई में उन्होंने 34,252 करोड़ रुपये का फंड निकाला था।

विशेषज्ञों की राय क्या है?

मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव का कहना है कि भविष्य में एफपीआई का निवेश कई वैश्विक कारकों पर निर्भर करेगा, जैसे जियो-पॉलिटिकल स्थिति और ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव। साथ ही, घरेलू मोर्चे पर मुद्रास्फीति, कंपनियों के तिमाही नतीजे और त्योहारी सीजन की मांग भी एफपीआई के फैसले पर असर डालेंगे।

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के वी के विजयकुमार ने भी कहा कि एफपीआई की निरंतर बिकवाली के रुख में तुरंत कोई बदलाव की संभावना नहीं है। चीन के प्रोत्साहन उपायों और भारत में ऊंचे वैल्यूएशन की वजह से भी एफपीआई बिकवाली कर रहे हैं।

सितंबर में निवेश का उच्चतम स्तर

इस साल सितंबर में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय शेयर बाजार में 57,724 करोड़ रुपये का निवेश किया, जो पिछले नौ महीनों का सबसे बड़ा निवेश था। यह एक सकारात्मक संकेत था, लेकिन इसके बाद स्थिति बदल गई।

जून 2024 से एफपीआई ने भारतीय बाजार में लगातार खरीदारी की, जिससे बाजार में एक उम्मीद बनी रही। हालांकि, अप्रैल और मई में उन्होंने 34,252 करोड़ रुपये का फंड निकाला था, लेकिन जून से फिर से निवेश बढ़ा।

अक्टूबर में भारी निकासी

अक्टूबर के पहले 25 दिनों में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार से शुद्ध रूप से 85,790 करोड़ रुपये निकाले। इस बिकवाली ने बाजार की धारणा को बुरी तरह प्रभावित किया है, जिससे एनएसई का निफ्टी अपने उच्चतम स्तर से 8 प्रतिशत नीचे आ गया है।

बॉंड मार्केट से भी निकासी

बॉंड मार्केट की बात करें तो एफपीआई ने इसी अवधि में सामान्य सीमा के माध्यम से 5,008 करोड़ रुपये निकाले और स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) के जरिए 410 करोड़ रुपये का निवेश किया।

इस साल का कुल निवेश

इस साल अब तक एफपीआई ने शेयरों में 14,820 करोड़ रुपये और ऋण या बॉंड बाजार में 1.05 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है, लेकिन निकासी के इन आंकड़ों ने स्थिति को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

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