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Narak Chaturdashi Date: नरक चतुर्दशी कल, किस देवता की होती है इस दिन पूजा? जानिए सबकुछ

Narak Chaturdashi Date

Narak Chaturdashi Date: पांच दिवसीय दिवाली उत्सव की शुरुआत आज धनत्रयोदशी या धनतेरस के साथ हो गयी है। धनतेरस के एक दिन बाद और दिवाली या लक्ष्मी पूजा के एक दिन पहले नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi Date) मनाई जाती है। इसे छोटी दिवाली और रूप चौदस भी कहा जाता है। यह दिवाली से एक दिन पहले कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष के 14वें दिन मनाया जाने वाला एक शुभ त्योहार है। यह त्योहार राक्षस नरकासुर पर भगवान कृष्ण की जीत का जश्न मनाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

Narak Chaturdashi Dateइस दिन अभ्यंग स्नान का है बहुत महत्व

जबकि दिवाली के तीन दिनों-चतुर्दशी, अमावस्या और प्रतिपदा- में अभ्यंग स्नान की जा सकती है नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi Date) इस अनुष्ठान के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन है। इस आयुर्वेदिक अभ्यास में स्नान करने से पहले गर्म तेल, पारंपरिक रूप से तिल के तेल से पूरे शरीर की मालिश की जाती है। ऐसा माना जाता है कि तेल मालिश डिटॉक्सीफाई, करती है, ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करती है और शरीर को फिर से जीवंत करती है, जिससे शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की सेहत को बढ़ावा मिलता है। मालिश के बाद, लोग हर्बल पाउडर या सुगंधित सामग्री से स्नान करते हैं, जो अशुद्धियों और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने का प्रतीक है। अभ्यंग स्नान को एक शुद्धिकरण कार्य माना जाता है, जो व्यक्तियों को सकारात्मकता, स्वास्थ्य और नई ऊर्जा के साथ दिवाली मनाने के लिए तैयार करता है।

नरक चतुर्दशी तिथि और समय

नरक चतुर्दशी हिंदू माह कार्तिक के कृष्ण पक्ष के 14वें दिन होती है। इस वर्ष लोग इसे बुधवार, 30 अक्टूबर को मनाएंगे। द्रिक पंचांग ने दिन के लिए शुभ समय साझा किया है।

चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 30 अक्टूबर 2024 को प्रातः 03:45 बजे

चतुर्दशी तिथि समाप्त: 31 अक्टूबर, 2024 को सुबह 06:22 बजे

अभ्यंग स्नान मुहूर्त: सुबह 5:37 बजे से सुबह 7:28 बजे तक

ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 05:40 से प्रातः 06:34 तक

Narak Chaturdashi Dateनरक चतुर्दशी उत्पत्ति और महत्व

इस त्योहार की उत्पत्ति का पता हिंदू पौराणिक कथाओं से लगाया जा सकता है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने देवी काली और सत्यभामा के साथ मिलकर राक्षस राजा नरकासुर पर विजय प्राप्त की थी। नरकासुर एक अत्याचारी था जिसने लोगों को प्रताड़ित किया और 16,100 महिलाओं को बंदी बना लिया था। भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को हरा कर और बंदी महिलाओं को मुक्त कराया। ऐसा कहा जाता है कि राक्षस का वध करने के बाद भगवान कृष्ण ने शुभ ब्रह्म मुहूर्त के दौरान तेल से स्नान किया था, यही वजह है कि इस दिन अभ्यंग स्नान करना अत्यधिक फायदेमंद माना जाता है। बुराई पर विजय का प्रतीक यह त्योहार गहरा आध्यात्मिक महत्व रखता है।

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