पूर्वी लद्दाख में फिर से गश्त पर लौटी भारतीय सेना, चार साल बाद हुई पेट्रोलिंग
भारतीय सेना ने 1 नवंबर 2024 को पूर्वी लद्दाख के डेमचोक क्षेत्र में गश्त फिर से शुरू कर दी है। यह कदम उस समय उठाया गया है जब भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच टकराव के प्रमुख बिंदुओं से पूरी तरह पीछे हटने के बाद स्थिति में स्थिरता आई है। सेना के सूत्रों का कहना है कि यह निर्णय भारत-चीन संबंधों में सुधार की ओर एक महत्वपूर्ण संकेत है, जो पिछले कुछ वर्षों में तनाव में रहे हैं।
समझौते के बाद सैनिकों की वापसी
डेमचोक में गश्त का यह निर्णय उस समझौते के बाद लिया गया है, जिसके तहत दोनों देशों के सैनिकों ने पहले से विवादित क्षेत्रों से पीछे हटने की प्रक्रिया को पूरा किया। यह समझौता 2020 के दौरान शुरू हुए गतिरोध को समाप्त करने का एक प्रयास है। अप्रैल 2020 के बाद से, लद्दाख के विभिन्न क्षेत्रों में सैनिकों के बीच विवाद बढ़ गया था, जिसके चलते तनाव की स्थिति उत्पन्न हुई थी। अब, सैनिकों के पीछे हटने के बाद, भारतीय सेना ने फिर से गश्त शुरू करने का फैसला किया है।
मिठाईयों का आदान-प्रदान
समझौते के ठीक एक दिन बाद, दिवाली के अवसर पर, भारतीय और चीनी सैनिकों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर मिठाईयों का आदान-प्रदान किया। यह परंपरागत आदान-प्रदान न केवल सौहार्दपूर्ण संबंधों का प्रतीक था, बल्कि इसे दोनों देशों के बीच सहयोग और मित्रता के नए अध्याय के रूप में भी देखा गया। इस दौरान, दोनों पक्षों के सैनिकों ने एक-दूसरे के साथ मित्रता से पेश आते हुए एक नया उदाहरण पेश किया।
गलवान झड़प के बाद का तनाव
जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प ने भारत-चीन संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया था। इस झड़प के बाद से, पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गतिरोध बना रहा, और स्थिति बहुत तनावपूर्ण हो गई। दोनों देशों के बीच बातचीत का दौर चलता रहा, लेकिन स्थिति में सुधार की कोई उम्मीद नहीं दिखाई दे रही थी। हाल ही में विदेश सचिव विक्रम मिस्री के नेतृत्व में बातचीत के बाद, दोनों देशों ने इस गतिरोध को समाप्त करने के लिए महत्वपूर्ण समझौते पर सहमति जताई है। यह समझौता भारत और चीन के बीच चल रहे विवादों को सुलझाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
गश्त की वापसी: अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति
सेना के सूत्रों ने बताया है कि डेमचोक में गश्त की बहाली से पहले, भारतीय सेना ने स्थानीय स्तर पर कमांडरों के बीच चर्चा की थी। इस बातचीत के दौरान, यह तय किया गया कि गश्त की प्रक्रिया को फिर से शुरू किया जाएगा, जिससे अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति को बहाल किया जा सके। यह भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है, जो कि पहले की स्थिति की ओर लौटने की कोशिश कर रही है।
भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार हो सकता है
गश्त की बहाली के साथ, भारतीय सेना ने यह संकेत दिया है कि वे भविष्य में गश्त की प्रक्रियाओं को सुधारने के लिए निरंतर संवाद करते रहेंगे। सेना के अधिकारियों का मानना है कि गश्त की नियमितता और संचालन की प्रक्रिया को सुचारू रखने से क्षेत्र में स्थिरता बनी रहेगी। इसके साथ ही, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सतर्कता बढ़ाने का भी ध्यान रखा जाएगा।
पूर्वी लद्दाख के डेमचोक में भारतीय सेना की गश्त की वापसी एक महत्वपूर्ण संकेत है कि भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार हो सकता है। यह कदम न केवल सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता की दिशा में एक सकारात्मक संकेत भी है। आने वाले दिनों में, इस गश्त की प्रक्रिया को नियमित करने और भारत-चीन संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में और प्रयास किए जाने की संभावना है।