जॉर्ज वाशिंगटन ने बिना प्रचार और भाषण के कैसे जीता था अमेरिका का पहला राष्ट्रपति चुनाव?
america president election: जब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की गहमागहमी होती है, तो हमें यह याद रखना चाहिए कि अमेरिका का पहला राष्ट्रपति, जॉर्ज वाशिंगटन, न तो किसी चुनावी प्रचार में शामिल हुए थे, न ही उन्होंने कभी चुनावी भाषण दिया। फिर भी, वह सर्वसम्मति से अमेरिकी इतिहास के पहले राष्ट्रपति बने और देश की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आइए जानते हैं जॉर्ज वाशिंगटन के जीवन के बारे में और उनके योगदान के बारे में जो उन्होंने अमेरिका को दिए।
कौन थे अमेरिका के पहले राष्ट्रपति?
22 फरवरी 1732 को वर्जीनिया के वेस्टमोरलैंड काउंटी में जन्मे जॉर्ज वाशिंगटन एक समृद्ध किसान परिवार से थे। उस समय अमेरिका ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन था। 16 साल की उम्र में ही जॉर्ज ने अपने जीवन की दिशा बदलने का निर्णय लिया और वह सर्वेयर (जमीन का मापने वाला) बन गए। यह उनके जीवन का पहला कदम था जो उन्हें सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व की ओर ले गया।
साल 1752 में जॉर्ज वाशिंगटन ने ब्रिटिश सेना में शामिल हो कर फ्रांस और भारतीय युद्ध (सेवेन ईयर्स वार) में हिस्सा लिया। इसके बाद उन्होंने 1774 में वर्जीनिया की महाद्वीपीय कांग्रेस में सदस्य के रूप में भाग लिया, जहाँ वह ब्रिटिश शासन के खिलाफ उठने वाली आवाज़ का हिस्सा बने। आज़ादी की इस लड़ाई में उनका योगदान अतुलनीय था।
वाशिंगटन ने महाद्वीपीय सेना के कमांडर इन चीफ के रूप में अंग्रेजों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी। 1781 में यॉर्कटाउन की प्रसिद्ध लड़ाई में अंग्रेजों ने आत्मसमर्पण किया और अमेरिकी उपनिवेशों को स्वतंत्रता मिल गई। इस समय तक अमेरिका के 13 उपनिवेश ब्रिटिश शासन से मुक्त हो चुके थे और संयुक्त राज्य अमेरिका का गठन हुआ।
स्न. क्र. | कार्यकाल | आरंभ तिथि | समाप्ति तिथि |
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1 | पहला कार्यकाल | 30 अप्रैल 1789 | 4 मार्च 1793 |
2 | दूसरा कार्यकाल | 4 मार्च 1793 | 4 मार्च 1797 |
जॉर्ज वाशिंगटन ने कैसे जीता था चुनाव
1789 में जब पहली बार राष्ट्रपति चुनाव हुआ, तो जॉर्ज वाशिंगटन ने न तो अपने प्रत्याशी होने का ऐलान किया, न ही उन्होंने चुनावी प्रचार किया। उस समय अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए मतदान प्रणाली कुछ इस तरह थी कि प्रत्येक राज्य के निर्वाचकों ने दो वोट दिए। एक वोट राष्ट्रपति के लिए और दूसरा उपराष्ट्रपति के लिए। जॉर्ज वाशिंगटन को इस चुनाव में कोई विरोधी नहीं मिला और उन्होंने बिना किसी प्रचार के 69 वोट हासिल कर राष्ट्रपति का पद जीत लिया। यह अजीब और दिलचस्प था कि वाशिंगटन को किसी प्रकार की चुनावी भाषणबाजी या प्रचार की ज़रूरत नहीं पड़ी।
अमेरिका की राष्ट्रीय पहचान को मजबूत करने के लिए किया काम
30 अप्रैल 1789 को जॉर्ज वाशिंगटन ने न्यूयॉर्क में राष्ट्रपति पद की शपथ ली। उन्होंने अमेरिका की राष्ट्रीय पहचान को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनके दो कार्यकालों में कई ऐसे ऐतिहासिक कदम उठाए गए जिन्होंने अमेरिकी लोकतंत्र और शासन व्यवस्था को नई दिशा दी।
1- संविधान को मजबूत किया
वाशिंगटन ने अमेरिकी संविधान को समर्थन दिया और उसे लागू करने की दिशा में कार्य किया। वह देश के पहले राष्ट्रपति बने और इस दौरान संविधान के महत्व को बढ़ावा दिया। संविधान के मुताबिक, राष्ट्रपति पद की शक्तियों का निर्धारण हुआ और लोकतांत्रिक शासन के लिए जरूरी सिद्धांतों का पालन सुनिश्चित किया गया।
2- नई राष्ट्रीय राजधानी की स्थापना
1790 में वाशिंगटन ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया और पोटोमैक नदी के किनारे नई राष्ट्रीय राजधानी की स्थापना की। इस स्थान का नाम बाद में वाशिंगटन डीसी रखा गया। इस फैसले ने देश की प्रशासनिक व्यवस्था को केंद्रित किया और एक स्थिर सरकार के निर्माण में मदद की।
3- पहला टकसाल और डॉलर की मुद्रा
1792 में जॉर्ज वाशिंगटन ने देश का पहला मिन्ट (टकसाल) स्थापित किया, जिसके बाद डॉलर को आधिकारिक मुद्रा के रूप में घोषित किया गया। इससे आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा मिला और देश का वित्तीय ढांचा मजबूत हुआ।
इसके अलावा..
स्न. क्र. | योगदान | विवरण |
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1 | संविधान निर्माण में भूमिका | जॉर्ज वाशिंगटन ने अमेरिकी संविधान को मजबूत किया और उसे लागू करने के लिए कड़ी मेहनत की। उन्होंने अमेरिकी लोकतंत्र की नींव रखी। |
2 | महाद्वीपीय सेना का नेतृत्व | वाशिंगटन ने अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महाद्वीपीय सेना का नेतृत्व किया और ब्रिटिश साम्राज्य को हराया। |
3 | नई राष्ट्रीय राजधानी की स्थापना | 1790 में उन्होंने पोटोमैक नदी के किनारे नई राष्ट्रीय राजधानी वाशिंगटन डीसी की स्थापना की, जिसे बाद में उनके नाम पर रखा गया। |
4 | डॉलर को आधिकारिक मुद्रा बनाना | वाशिंगटन के नेतृत्व में, 1792 में पहला टकसाल (मिंट) स्थापित किया गया और डॉलर को अमेरिका की आधिकारिक मुद्रा घोषित किया गया। |
5 | राष्ट्रपति पद की शक्तियों का विस्तार | वाशिंगटन ने राष्ट्रपति पद को शक्तिशाली बनाया और अमेरिका के संस्थानों को स्थिर किया। वह अपनी नीतियों से लोकतांत्रिक सिद्धांतों को प्राथमिकता देते थे। |
6 | तीसरे कार्यकाल से इनकार | वाशिंगटन ने तीसरे कार्यकाल के लिए मना कर दिया, यह दिखाते हुए कि वह सत्ता के केंद्रीकरण के खिलाफ थे और उन्होंने लोकतांत्रिक परंपराओं को बनाए रखा। |
7 | न्यायिक और विधायिका के सशक्तिकरण | वाशिंगटन ने अमेरिकी न्यायिक और विधायिका संस्थाओं को मजबूत किया और यह सुनिश्चित किया कि वे स्वतंत्र रूप से काम कर सकें। |
8 | देश का पहला राष्ट्रीय बैंक स्थापित करना | 1791 में, वाशिंगटन के तहत, अमेरिका का पहला राष्ट्रीय बैंक स्थापित किया गया, जो देश के वित्तीय ढांचे को स्थिर करने में सहायक था। |
उनके दो कार्यकालों के दौरान वाशिंगटन ने अपने सिद्धांतों पर कायम रहते हुए कभी भी तानाशाही का रास्ता नहीं अपनाया। उन्होंने अपनी पार्टी या व्यक्तिगत हितों से ऊपर उठकर अमेरिका के भविष्य को प्राथमिकता दी। जब तीसरे कार्यकाल की बारी आई, तो उन्होंने इसके लिए मना कर दिया। उनका मानना था कि नए नेतृत्व को मौका मिलना चाहिए ताकि देश की दिशा सही बने और लोकतंत्र का उल्लंघन न हो।