पाकिस्तान में नागरिकों पर हमले से चीन नाराज़, सैनिक तैनाती की तैयारी; भरोसे में आई दरार
Attack on Chinese citizen: चीन और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चली आ रही दोस्ती अब खटाई में पड़ती दिख रही है। पाकिस्तान में चीनी नागरिकों पर लगातार हो रहे हमलों से चीन बेहद नाराज है। इन हमलों को रोकने में पाकिस्तान की नाकामी के कारण चीन ने अब एक बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है। चीन ने पाकिस्तान सरकार को प्रस्ताव दिया है कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए खुद के सैनिक भेजेगा। यह कदम दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव और अविश्वास को दर्शाता है।
चीनी नागरिकों पर हमलों का सिलसिला
पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान में चीनी इंजीनियरों और कर्मचारियों पर कई आतंकी हमले हुए हैं। हाल ही में कराची में एक कार बम धमाके में चीनी नागरिकों को निशाना बनाया गया। इससे पहले कराची हवाई अड्डे पर हुए एक हमले में दो चीनी इंजीनियर मारे गए थे। ये हमले मुख्य रूप से बलूचिस्तान में सक्रिय अलगाववादी संगठन बलोच लिबरेशन आर्मी द्वारा किए जा रहे हैं। यह संगठन चीनी परियोजनाओं का विरोध करता है और मानता है कि चीन और पाकिस्तान मिलकर उनके स्थानीय संसाधनों पर कब्जा जमा रहे हैं।
चीन ने बार-बार पाकिस्तान से अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है, लेकिन पाकिस्तान अब तक इसमें सफल नहीं हो पाया है। इन लगातार हो रहे हमलों से चीन का धैर्य अब जवाब दे रहा है और उसने अपने नागरिकों की सुरक्षा का जिम्मा खुद उठाने का फैसला किया है।
चीन का नया सुरक्षा प्रस्ताव और पाकिस्तान की चिंता
Attack on Chinese citizen: चीन के नए प्रस्ताव के अनुसार, चीनी सैनिक पाकिस्तान में अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए तैनात रहेंगे। इसके साथ ही पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मी बाहरी घेरे में रहेंगे। यह व्यवस्था चीन के लिए अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का एक तरीका है, लेकिन पाकिस्तान के लिए यह एक चिंता का विषय बन गया है।
पाकिस्तान इस प्रस्ताव से खुश नहीं है। उसका मानना है कि चीनी सैनिकों की मौजूदगी उसकी संप्रभुता के लिए एक चुनौती होगी। साथ ही, यह पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था पर चीन के अविश्वास को भी दर्शाएगा। पाकिस्तान चाहता है कि उसे एक और मौका दिया जाए और वह सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करेगा।
फिलहाल दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर बातचीत चल रही है। वे एक ऐसे समझौते पर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं जो दोनों पक्षों के लिए स्वीकार्य हो। लेकिन यह स्पष्ट है कि चीन किसी भी हाल में पाकिस्तान में अपने आर्थिक हितों से समझौता नहीं करना चाहता। यही कारण है कि इतने हमलों के बावजूद वह किसी भी परियोजना से पीछे हटने को तैयार नहीं है।
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