न्यूजीलैंड की संसद में गुरुवार को एक अजीबोगरीब नजारा देखने को मिला। देश की सबसे कम उम्र की सांसद हाना-रावहिती करियारीकी मैपी-क्लार्क ने सदन में एक विवादास्पद विधेयक का विरोध करते हुए जमकर हंगामा मचाया। उन्होंने न सिर्फ विधेयक की कॉपी फाड़ दी, बल्कि पारंपरिक माओरी नृत्य हाका भी किया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, गुरुवार को न्यूजीलैंड की संसद में सांसद संधि सिद्धांत विधेयक पर मतदान होना था। इस विधेयक का मकसद 1840 की वेटांगी संधि की नई व्याख्या करना था। यह संधि ब्रिटिश शासकों और स्थानीय माओरी लोगों के बीच हुई थी।
लेकिन जब मतदान शुरू होने वाला था, तभी 22 साल की सांसद मैपी-क्लार्क ने अचानक बोलना शुरू कर दिया। उन्होंने विधेयक की एक कॉपी उठाई और उसे फाड़ दिया। इसके बाद वो पारंपरिक माओरी नृत्य हाका करने लगीं। देखते ही देखते कुछ और सांसद और दर्शक दीर्घा में बैठे लोग भी उनके साथ नृत्य में शामिल हो गए।
इस हंगामे के चलते स्पीकर गेरी ब्राउनली को सदन की कार्यवाही कुछ देर के लिए रोकनी पड़ी। मैपी-क्लार्क का यह विरोध प्रदर्शन सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।
विवादास्पद क्यों है यह विधेयक?
यह विधेयक न्यूजीलैंड में काफी विवादों में है। इसे बहुत कम लोगों का समर्थन मिल रहा है और इसके कानून बनने की संभावना भी कम है। आलोचकों का कहना है कि इस विधेयक से नस्लीय तनाव बढ़ सकता है और संविधान में बड़े बदलाव हो सकते हैं।
1840 की वेटांगी संधि में माओरी लोगों को कुछ विशेष अधिकार दिए गए थे। उन्हें अपनी जमीन पर अधिकार और अपने हितों की रक्षा का वादा किया गया था। लेकिन नया विधेयक इन अधिकारों को सभी न्यूजीलैंड वासियों पर लागू करना चाहता है।
इसी वजह से हजारों लोग इस हफ्ते पूरे देश में इस विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। मैपी-क्लार्क का संसद में किया गया विरोध भी इसी का हिस्सा है।
कौन हैं हाना-रावहिती करियारीकी मैपी-क्लार्क?
हाना-रावहिती करियारीकी मैपी-क्लार्क न्यूजीलैंड की सबसे कम उम्र की सांसद हैं। वो महज 22 साल की हैं और संसद में ते पाटी माओरी का प्रतिनिधित्व करती हैं।
मैपी-क्लार्क पहली बार 2023 के चुनाव में सांसद चुनी गई थीं। तब भी उन्होंने अपने पहले भाषण के दौरान संसद में हाका नृत्य किया था, जिसकी खूब चर्चा हुई थी।
वो प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन और उनकी सरकार की कट्टर आलोचक हैं। उनका आरोप है कि सरकार माओरी लोगों के अधिकारों को खत्म करना चाहती है।
इस तरह के विरोध प्रदर्शन से साफ है कि न्यूजीलैंड में इस विधेयक को लेकर गहरा मतभेद है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और भी गरमा सकता है।
यह भी पढ़े: