Jhansi medical college: झांसी के अस्पताल में आग लगी तो बच्चों के रोने की आवाज़ हर तरफ गूंज रही थी। धुएं से कुछ भी साफ नहीं दिख रहा था, लेकिन इसी बीच तीन लोग, जिनका नाम कोई नहीं जानता था, वो बिना किसी डर के आग में कूद पड़े। इन तीनों ने अपनी जान की परवाह किए बिना उन मासूम बच्चों को बाहर निकाला, जो आग के घेरे में थे।”
उत्तर प्रदेश के झांसी शहर के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के शिशु ICU में एक दर्दनाक हादसा हुआ। रात के करीब 10 बजे जब बच्चों को फीड कराया जा रहा था, तभी अचानक शॉर्ट सर्किट के चलते आग भड़क उठी। बच्चों के चीखने-चिल्लाने की आवाज़ों के बीच हर किसी की जान सांसत में थी। लेकिन तभी वहां मौजूद तीन बहादुर लोगों ने अपनी जान की परवाह किए बिना आग में घुसकर करीब 40 बच्चों की जान बचाई।
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इनमें से एक थे कृपाल सिंह राजपूत, जो खुद अपनी बेटी को देखने अस्पताल में आए थे। जैसे ही उन्हें आग की खबर मिली, उन्होंने बिना देर किए ICU में घुसकर बच्चों को एक-एक करके बाहर निकाला। फिर दो और लड़के कुलदीप और हरिशंकर भी उनके साथ कूद पड़े और मासूमों की जान बचाने में मदद की। ये तीनों ही असली हीरो बन गए, जिनकी वजह से उस हादसे में मौत का आंकड़ा 50 तक पहुंचने से बच गया।
नर्सरी ICU में आग लगने का कारण क्या था?
झांसी मेडिकल कॉलेज के शिशु ICU में अचानक आग लग गई, जिससे पूरा वार्ड धुएं और आग की लपटों से भर गया। इस आग की वजह से बेड पर भर्ती 54 बच्चों की जान संकट में थी। यह हादसा रात 10 बजे हुआ, जब बच्चों को फीड करने का समय था। अचानक शॉर्ट सर्किट के कारण आग भड़क गई, और इसके बाद तेज धमाका हुआ। अस्पताल के कर्मचारियों की लापरवाही और आग बुझाने की व्यवस्था की कमी के कारण इस आग ने जल्द ही पूरे ICU को अपनी चपेट में ले लिया।
बच्चों की जान बचाने वाले सुपरहीरोज
आग की लपटों के बीच, जब पूरे ICU में अफरा-तफरी मच गई, तब कुछ लोग देवदूत बनकर सामने आए और उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर बच्चों को बचाया। इन तीन बहादुरों में से एक थे कृपाल सिंह राजपूत। वो खुद अस्पताल में अपनी नवजात बेटी को देखने आए थे। जैसे ही उन्होंने आग लगी देखी, बिना किसी डर के वह ICU में घुस गए और करीब 20 बच्चों को बचाया। उन्होंने बताया कि ICU में कुल 18 बेड थे, लेकिन 54 बच्चों को भर्ती किया गया था, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई थी। उन्होंने बताया कि जब अचानक आक्सीजन सिलेंडर फटा, तब आग ने पूरे वार्ड को अपनी चपेट में ले लिया। कृपाल सिंह ने कम से कम 12 से 15 बार बच्चों को बाहर निकालकर उनकी जान बचाई।
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कृपाल सिंह के अलावा, दो और युवक कुलदीप और हरिशंकर ने भी ICU में छलांग लगाई और करीब 20 बच्चों को आग से बाहर निकाला। इन तीनों की बहादुरी ने अस्पताल में उपस्थित लोगों को भी चमत्कृत कर दिया। अगर ये तीन युवक वहां नहीं होते, तो स्थिति और भी भयावह हो सकती थी। चिकित्सकों और अस्पताल कर्मचारियों ने भी माना कि इन सुपरहीरोज की वजह से बच्चों के बीच मौत का आंकड़ा 50 को पार कर सकता था।
अस्पताल की लापरवाही पर उठ रहे सवाल
इस घटना के बाद पूरे देश में अस्पताल और प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठने लगे हैं। कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि यह हादसा प्रशासन की लापरवाही का परिणाम है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में आग बुझाने की व्यवस्था थी, लेकिन वह पूरी तरह से बेकार और एक्सपायरी हो चुकी थी। प्रमोद तिवारी ने कहा- “यह घटना हृदय विदारक है और इसके लिए अस्पताल और प्रशासन पूरी तरह से जिम्मेदार हैं,
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वहीं, समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता जूही सिंह ने भी उत्तर प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य मंत्री पर गंभीर आरोप लगाए हैं। जूही सिंह ने कहा कि अस्पताल में आग से बच्चों की मौत हुई है, जिसके लिए स्वास्थ्य मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए।