Pradosh Vrat 2024

Pradosh Vrat in Margashirsha Month: इस दिन है मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष व्रत, जानें क्यों महत्वपूर्ण है यह पर्व

Pradosh Vrat in Margashirsha Month: प्रदोष व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित एक हिंदू अनुष्ठान है, जो प्रत्येक चंद्र पखवाड़े के 13वें दिन को गोधूलि काल (प्रदोष काल) के दौरान मनाया जाता है। इस दिन (Pradosh Vrat in Margashirsha Month) श्रद्धालु स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिक विकास का आशीर्वाद पाने के लिए उपवास करते हैं, प्रार्थना करते हैं और अनुष्ठान करते हैं। इस दिन लोग व्रत रखते हैं।

प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat in Margashirsha Month) पूजा में शिव मंत्रों का जाप, दीया जलाना और शिव लिंग पर बिल्व पत्र, फूल और जल चढ़ाना शामिल है। प्रत्येक प्रदोष व्रत का उस दिन पड़ने वाले दिन के आधार पर विशिष्ट महत्व होता है, जैसे सोमवार को सोम प्रदोष या शनिवार को शनि प्रदोष।

Pradosh Vrat 2024कब है मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष व्रत?

दृक पंचांग के अनुसार, 28 नवंबर 2024 को मार्गशीर्ष महीने का पहला प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat in Margashirsha Month) रखा जाएगा। यह व्रत गुरुवार को रखा जाएगा इसलिए इसे गुरु प्रदोष व्रत कहते हैं। 28 नवंबर को शाम 05 बजकर 12 मिनट से लेकर रात 07 बजकर 55 मिनट तक प्रदोष काल पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा।

प्रदोष व्रत प्रारम्भ – 07:53, नवम्बर 28
प्रदोष व्रत समाप्त – 10:09, नवम्बर 29

Pradosh Vrat 2024प्रदोष व्रत का महत्व

प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat in Margashirsha Month) हिंदू धर्म में गहरा आध्यात्मिक महत्व रखता है, जो भगवान शिव और देवी पार्वती की भक्ति का प्रतीक है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से पिछले पापों का नाश होता है, बाधाएं दूर होती हैं और स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिक ज्ञान मिलता है। त्रयोदशी के दौरान गोधूलि काल (प्रदोष काल) को पूजा के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव इस दौरान ब्रह्मांडीय नृत्य, तांडव करते हैं। प्रत्येक प्रदोष व्रत उस सप्ताह के दिन के आधार पर विशिष्ट लाभ प्रदान करता है, जैसे वैवाहिक सद्भाव, करियर में सफलता या आध्यात्मिक उत्थान। प्रदोष व्रत के दौरान उपवास और प्रार्थना भक्तों को दैवीय ऊर्जा के साथ तालमेल बिठाने और आंतरिक शांति प्राप्त करने में मदद करती है।

Pradosh Vrat 2024प्रदोष व्रत के नियम

जल्दी उठना: जल्दी उठें, और खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध करने के लिए स्नान करें।
स्वच्छता और पवित्रता: अपने घर और पूजा स्थान में स्वच्छता बनाए रखें; पूरे दिन नकारात्मक विचारों और कार्यों से बचें।
उपवास: उपवास रखें, केवल फल, दूध या सात्विक भोजन लें और अनाज और नमक से परहेज करें।
शिव पूजा: प्रदोष काल के दौरान बिल्व पत्र, फूल, जल और धूप जैसे प्रसाद के साथ भगवान शिव की पूजा करें।
जप: दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए “ओम नमः शिवाय” या महा मृत्युंजय मंत्र जैसे शिव मंत्रों का जाप करें।
दान: व्रत की आध्यात्मिक योग्यता को बढ़ाने के लिए दान के कार्यों में संलग्न रहें, जैसे जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े या धन दान करना।
भक्ति: शांतिपूर्ण और भक्तिपूर्ण मानसिकता बनाए रखें, क्रोध, गपशप या ध्यान भटकाने से बचें और आध्यात्मिक विकास पर ध्यान केंद्रित करें।

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