ईरान की सियासत में इन दिनों बड़ा उथल-पुथल मचा हुआ है। देश के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई की सेहत को लेकर चल रही अटकलों के बीच उनके उत्तराधिकारी को लेकर तरह-तरह की खबरें सामने आ रही हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि खामेनेई ने अपने दूसरे बेटे मोजतबा खामेनेई को अपना उत्तराधिकारी चुन लिया है। हालांकि इस बारे में ईरान सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक बयान अभी तक नहीं आया है।
मोजतबा खामेनेई कौन हैं?
मोजतबा खामेनेई ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई के दूसरे बेटे हैं। उनका जन्म 1969 में ईरान के मशहद शहर में हुआ था। मोजतबा ने धर्मशास्त्र की पढ़ाई की है और 1999 में कोम शहर में मौलवी बनने के लिए ट्रेनिंग ली थी। वह अपने पिता की तरह ही इस्लामिक मामलों के जानकार माने जाते हैं।
पहली बार मोजतबा का नाम 2009 में सुर्खियों में आया था। उस वक्त ईरान में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे थे। इन प्रदर्शनों को कुचलने में मोजतबा की अहम भूमिका रही थी। उस दौरान कई लोग मारे गए थे। इसके बाद से ही मोजतबा को खामेनेई का संभावित उत्तराधिकारी माना जाने लगा था।
हालांकि मोजतबा को कभी सार्वजनिक तौर पर ज्यादा नहीं देखा गया। लेकिन पिछले कुछ सालों में उनकी भूमिका ईरान की सत्ता में बढ़ती गई है। 2021 में उन्हें अयातुल्लाह की उपाधि दी गई थी। यह उपाधि ईरान में सुप्रीम लीडर बनने के लिए जरूरी मानी जाती है।
क्या सच में मोजतबा बनेंगे अगले सुप्रीम लीडर?
इजरायली मीडिया आउटलेट वाईनेट न्यूज ने ईरान इंटरनेशनल के हवाले से एक रिपोर्ट में दावा किया है कि 26 सितंबर को एक गुप्त बैठक में मोजतबा को खामेनेई का उत्तराधिकारी चुना गया। रिपोर्ट के मुताबिक यह बैठक खुद खामेनेई ने बुलाई थी। इसमें ईरान की एक्सपर्ट असेंबली के 60 सदस्यों को बुलाया गया था।
बताया जा रहा है कि इस बैठक में सदस्यों पर काफी दबाव बनाया गया। उन्हें धमकी दी गई कि अगर इस फैसले के बारे में कोई जानकारी लीक हुई तो उन्हें गंभीर नतीजे भुगतने होंगे। इसी दबाव में सभी सदस्यों ने मोजतबा के नाम पर सहमति जता दी।
हालांकि इस पूरे मामले पर ईरान सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन अगर यह खबर सच साबित होती है तो यह ईरान की सियासत में एक बड़ा बदलाव होगा।
खामेनेई की सेहत पर उठे सवाल
दरअसल पिछले कुछ समय से अयातुल्लाह खामेनेई की सेहत को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। 85 साल के खामेनेई पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे हैं। अक्टूबर में न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक रिपोर्ट में दावा किया था कि खामेनेई गंभीर रूप से बीमार हैं।
हाल ही में सोशल मीडिया पर कई पोस्ट वायरल हुए थे जिनमें दावा किया गया था कि खामेनेई कोमा में चले गए हैं। हालांकि इन दावों की कोई पुष्टि नहीं हुई है।
खामेनेई 1989 से ईरान के सुप्रीम लीडर हैं। वह मिडिल ईस्ट में सबसे लंबे समय तक सत्ता में रहने वाले नेता हैं। ऐसे में उनकी सेहत को लेकर चल रही अटकलों के बीच उनके उत्तराधिकारी का सवाल काफी अहम हो गया है।
कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि खामेनेई अपने जीवनकाल में ही सत्ता का हस्तांतरण करना चाहते हैं। इसके पीछे उनकी मंशा सत्ता के सुचारू हस्तांतरण को सुनिश्चित करना और किसी तरह के विरोध से बचना बताई जा रही है।
अगर ऐसा होता है तो यह ईरान के इतिहास में एक बड़ा बदलाव होगा। 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद से ईरान में सुप्रीम लीडर का पद सबसे ताकतवर माना जाता है। इस पद पर अब तक सिर्फ दो लोग रहे हैं – रुहोल्लाह खुमैनी और अली खामेनेई।
कैसे होता है सुप्रीम लीडर का चुनाव ?
ईरान में सुप्रीम लीडर का चुनाव असेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स करती है। यह 86 मौलवियों का एक समूह है जिनका चुनाव हर 8 साल में होता है। लेकिन इनके चुने जाने में गार्जियन काउंसिल की बड़ी भूमिका होती है। गार्जियन काउंसिल के सदस्यों के चुनाव में सुप्रीम लीडर की बड़ी भूमिका होती है।
पिछले 35 सालों से इस पद पर रहने के दौरान खामेनेई ने अपने भरोसेमंद लोगों को गार्जियन काउंसिल में भर रखा है। ऐसे में माना जा रहा है कि मोजतबा के नाम पर सहमति बनाने में उन्हें ज्यादा दिक्कत नहीं हुई होगी।
हालांकि इस पूरे मामले पर अभी भी कई सवाल उठ रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि मोजतबा के पास सरकारी अनुभव की कमी है। वह कभी किसी सरकारी पद पर नहीं रहे हैं। ऐसे में उनके सुप्रीम लीडर बनने पर सवाल उठ सकते हैं।
वहीं कुछ लोग इस फैसले को लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ बता रहे हैं। उनका कहना है कि इस तरह गुप्त बैठक में किसी को सुप्रीम लीडर चुनना गलत है।