Pakistan suicide attack: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में मंगलवार शाम को हुए एक बड़े आतंकी हमले ने देश को हिलाकर रख दिया है। बन्नू जिले के मालिखेल इलाके में सेना की एक चौकी पर आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटक से भरी गाड़ी से टक्कर मार दी, जिसमें 12 सैनिकों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।
6 आतंकियों को किया ढेर
पाकिस्तान सेना के मीडिया विंग इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) के अनुसार, आतंकवादियों ने मंगलवार देर रात मालिखेल इलाके में एक संयुक्त चेक पोस्ट पर हमला करने का प्रयास किया। लेकिन, सैनिकों ने उनके चौकी में घुसने के प्रयास को सफलतापूर्वक विफल कर दिया था।
आत्मघाती विस्फोट के कारण चौकी की बाहरी दीवार का एक हिस्सा बुरी तरह से ढह गया और आसपास के बुनियादी ढांचे को भी नुकसान पहुंचा। इस हमले में सुरक्षा बलों के 10 जवान और फ्रंटियर कांस्टेबुलरी के 2 सिपाही शहीद हो गए।
ISPR ने बताया कि इस मुठभेड़ में 6 आतंकवादी भी मारे गए। घायलों को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सेना ने कहा कि इलाके में सफाई अभियान चलाया जा रहा है और इस जघन्य कृत्य के अपराधियों को सख्त सजा दी जाएगी।
पाकिस्तानी तालिबान ने ली हमले की जिम्मेदारी
इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तानी तालिबान के एक अलग गुट हाफिज गुल बहादुर ग्रुप ने ली है। यह हमला पिछले कुछ महीनों में हुए सबसे घातक हमलों में से एक है।
पाकिस्तान में नवंबर 2022 से हिंसा में लगातार वृद्धि देखी जा रही है, जब पाकिस्तानी तालिबान ने इस्लामाबाद सरकार के साथ महीनों से चल रहे संघर्ष विराम को समाप्त कर दिया था।
सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज (CRSS) के अनुसार, 2024 की तीसरी तिमाही में पाकिस्तान में हिंसा में 90 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
900 जवान गवां चुके अपनी जान
हमले के बाद पाकिस्तान के इस्लामाबाद में उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गयी और बढ़ती आतंकी हिंसा से निपटने के लिए रणनीति पर चर्चा की। बता दें प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बुधवार को दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत में अलगाववादी समूहों के खिलाफ एक नए सैन्य अभियान की घोषणा की। यह निर्णय क्वेटा रेलवे स्टेशन पर 9 नवंबर को हुए एक आत्मघाती हमले के बाद लिया गया, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई थी।
इस्लामाबाद स्थित पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट एंड सिक्योरिटी स्टडीज के वरिष्ठ रक्षा विश्लेषक अब्दुल्ला खान के अनुसार, 2022 से अब तक आतंकी हमलों में 900 से अधिक सुरक्षाकर्मी मारे जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि विद्रोहियों को हराने के लिए देश में राजनीतिक स्थिरता की आवश्यकता है।