India Top Climate change action: जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए दुनिया भर के देशों द्वारा किए जा रहे प्रयासों का आकलन करने वाली एक नई रिपोर्ट में भारत ने फिर से शीर्ष 10 देशों में अपना स्थान बनाये रखा है। लेकिन पिछले साल की तुलना में भारत दो पायदान नीचे फिसल गया है, फिर भी भारत का प्रदर्शन सराहनीय माना जा रहा है।
क्या कहती है रिपोर्ट
जर्मनवॉच, न्यू क्लाइमेट इंस्टीट्यूट और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क इंटरनेशनल नामक थिंक टैंक्स द्वारा प्रकाशित जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI) 2025 में 63 देशों और यूरोपीय संघ का मूल्यांकन किया गया। ये देश वैश्विक उत्सर्जन के 90 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार हैं। इस सूचकांक में भारत 10वें स्थान पर है, जो की भारत को सर्वोच्च प्रदर्शन करने वाले देशों की श्रेणी में रखता है।
रिपोर्ट में पहले तीन स्थान खाली छोड़े गए हैं, क्योंकि किसी भी देश ने सभी श्रेणियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन नहीं किया। डेनमार्क चौथे स्थान पर है, जिसके बाद नीदरलैंड और यूनाइटेड किंगडम का स्थान है। दुनिया के दो सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक देश – चीन और अमेरिका – क्रमशः 55वें और 57वें स्थान पर हैं।
भारत का प्रदर्शन
- भारत का 10वां स्थान कई कारणों से महत्वपूर्ण है:
- • कम प्रति व्यक्ति उत्सर्जन: भारत की प्रति व्यक्ति उत्सर्जन दर 2.9 टन CO2 समकक्ष है, जो वैश्विक औसत 6.6 टन से काफी कम है।
- • नवीकरणीय ऊर्जा का विस्तार: पिछले दशक में भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) में तेजी से विस्तार किया है। भारत का 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य है।
- • हरित ऊर्जा में नेतृत्व: भारत की वैश्विक स्तर पर हरित ऊर्जा (Green Energy) में अग्रणी भूमिका निभाने की आकांक्षा है। इसके साथ ही भारत का 2070 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य है
भारत की जलवायु नीतियों का प्रभाव
रिपोर्ट के अनुसार, भारत की मौजूदा जलवायु नीतियों से 2020 और 2030 के बीच कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में लगभग 4 अरब टन की कमी आने की उम्मीद है। यह उल्लेखनीय है क्योंकि भारत ने COP26 में 2030 तक उत्सर्जन में 1 अरब टन की कमी लाने का वादा किया था।
- इसके अलावा, भारत:
- • 2030 तक कोयला आधारित बिजली उत्पादन में 24% की कमी आने की संभावना है।
- • सौर और पवन ऊर्जा की हिस्सेदारी 2030 तक 26% और 2050 तक 43% तक पहुंचने का अनुमान है।
- • परिवहन क्षेत्र में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में वृद्धि होगी, जिससे तेल और गैस की मांग में कमी आएगी।
भारत के लिए चुनौतियां
- भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने में अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन फिर भी कुछ चुनौतियां हैं:
- • कोयले पर निर्भरता: भारत अभी भी कोयले पर काफी निर्भर है और उत्पादन बढ़ाने की योजना बना रहा है।
- • ऊर्जा की बढ़ती मांग: बढ़ती आबादी और औद्योगिक विकास के कारण ऊर्जा की मांग में भी वृद्धि हो रही है।
- • वित्तीय सहायता की आवश्यकता: जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए भारत जैसे विकासशील देशों को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सहायता की आवश्यकता है।