Netanyahu Arrest Warrant: अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) ने गुरुवार को एक बड़ा फैसला सुनाया है। न्यायालय ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इसके साथ ही हमास के सैन्य प्रमुख मोहम्मद देइफ के खिलाफ भी वारंट जारी किया गया है। इन सभी पर गाजा में युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध करने का आरोप लगाया गया है।
ICC ने क्यों जारी किया गिरफ्तारी वारंट?
ICC ने अपने फैसले में कहा है कि नेतन्याहू और गैलेंट ने 8 अक्टूबर 2023 से 20 मई 2024 तक गाजा के नागरिकों को भोजन, पानी, दवाइयां और बिजली जैसी जरूरी चीजों से जानबूझकर वंचित रखा। न्यायालय का मानना है कि इन दोनों नेताओं ने गाजा में युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध किए हैं। इसी तरह हमास के सैन्य प्रमुख मोहम्मद देइफ पर भी 7 अक्टूबर 2023 के हमले में शामिल होने का आरोप है।
यह फैसला दक्षिण अफ्रीका, बांग्लादेश, बोलीविया, कोमोरोस और जिबूती द्वारा फिलिस्तीन की स्थिति के बारे में ICC को भेजे गए संदर्भ के बाद आया है। इसके अलावा चिली और मेक्सिको ने भी इस मामले में ICC को संदर्भ भेजा था।
इजरायल ने दी तीखी प्रतिक्रिया
इस फैसले पर इजरायल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इसे “यहूदी विरोधी फैसला” बताया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला आधुनिक ड्रेफस मुकदमे की तरह है और इसका अंत भी वैसा ही होगा। इजरायल के विदेश मंत्रालय ने भी इस फैसले को खारिज कर दिया है।
अमेरिका ने इस फैसले को “आक्रामक” बताया है। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि इजरायल और हमास के बीच कोई समानता नहीं है और अमेरिका हमेशा इजरायल के साथ खड़ा रहेगा। वहीं यूरोपीय संघ ने कहा है कि यह एक न्यायालय का फैसला है और इसका सम्मान किया जाना चाहिए।
फैसले का क्या होगा असर ?
ICC के इस फैसले का व्यावहारिक प्रभाव सीमित हो सकता है। इजरायल और अमेरिका ICC के सदस्य नहीं हैं, इसलिए वे इस फैसले को मानने के लिए बाध्य नहीं हैं। हालांकि, अगर नेतन्याहू या गैलेंट ICC के किसी सदस्य देश में जाते हैं, तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है।
इस फैसले से इजरायल पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ सकता है। कई मानवाधिकार संगठनों ने इस फैसले का स्वागत किया है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि अब नेतन्याहू आधिकारिक तौर पर एक वांछित व्यक्ति हैं।