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सूरत के सिविल अस्पताल ने हिमोफिलिया रोगियों को दिया नया जीवन, शल्य चिकित्सा से सफल उपचार

गुजरात के सूरत शहर ने एक बार फिर से मेडिकल क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। दरअसल सूरत शहर के सिविल अस्पताल में पूरे देश मे पहली बार हिमोफिलिया रोग का उपचार शल्य चिकित्सा के द्वारा किया गया है। जी हां, ये मेडिकल के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है।

क्या होता हिमोफिलिया

आप में से बहुत लोग ये नहीं जानते होंगे कि हिमोफिलिया क्या होता है। बता दें कि हिमोफिलिया एक ऐसा रोग है, जो जैनेटिक पाया जाता है। इस रोग से ग्रसित व्यक्ति को अगर किसी भी जगह चोट लगती है, तब घाव वाली जगह से लगातार खून का बहना जारी रहता है। जिससे कई बार मरीज की जान भी जा सकती है। वहीं हिमोफिलिया रोग के मरीज को जब शल्य चिकित्सा की नौबत आती है, तब खासकर फैक्टर्स की काफी जरूरत होती है। उस वक्त अगर बिना फैक्टर के इलाज किया जाएगा, तो मरीज के खून का रिसाव रुकता नही है। जिसके कारण उस मरीज की जान जा सकती है।

सूरत सिविल अस्पताल

बता दें कि सूरत सिविल अस्पताल में हिमोफिलिया सेंटर पिछले 10 सालों से है। वहां हिमोफिलिया के मरीज को जीवन रक्षा के रूप में उपयोगी फैक्टर हमेशा उपलब्ध रहते है। वहीं दूसरी तरफ सूरत के सिविल अस्पताल में सारे विभाग जैसे कि ऑर्थोपेडिक, शल्य चिकित्सा एवं डेंटल के विभाग भी हमेशा इस सेंटर से जुड़े रहते हैं। जिसके कारण वहां मौजूदा डॉक्टर जिन्हें हिमोफिलिया रोग के बारे में काफी जानकारी है।

देशभर से आते हैं मरीज

हिमोफिलिया को लेकर सिविल अस्पताल के आरएमओ केतन नायक ने हिन्द फर्स्ट से बातचीत की है। उन्होंने बताया कि इस रोग के एक मरीज ऐसे भी थे, जिन्हें हिमोफिलिया विध हायर इंहिबिटर से ग्रसत थे। उस वक्त उस मरीज को फेक्टर 7 की काफी जरूरत थी, जिसमें उनके शल्य चिकित्सा में तकरीबन डेढ़ करोड़ के इंजेक्शन की जरूरत पड़ी थी। उसके बाद मरीज की हालत सामान्य होने पर उन्हें एक महीने बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी।

हिप रिप्लेसमेंट की पहली सफल शल्य चिकित्सा

वहीं सिविल अस्पताल के सुप्रिडेंट धारित्री परमार ने बताया कि इस रोग से ग्रसित तकरीबन 60 से ज्यादा मरीजों का शल्य चिकित्सा के द्वारा रोग का उपचार किया गया है। जिसमे 20 मेजर और 40 जितने माइनर शल्य चिकित्सा के तहत इलाज किया गया था। उन्होंने बताया कि पूरे देश में सिविल अस्पताल में हिप रिप्लेसमेंट की पहली सफल शल्य चिकित्सा की गई थी। जिसके चलते अन्य राज्यों से भी लोग हिमोफिलिया के इलाज के लिए सूरत के सिविल अस्पताल में आते हैं।

सूरत से अमित सिंह की रिपोर्ट