Solar Storm Aditya L-1: सूरज हमारे जीवन का आधार है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही सूरज हमारे लिए खतरा भी बन सकता है? हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है जो हम सभी को सोचने पर मजबूर कर देगा। और कैसे भारत का आदित्य-एल1 मिशन इस संकट से निपटने में मददगार साबित हो रहा है।
सूर्य 15 घंटे में धरती पर मचा सकता है तबाही
वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर सूर्य से कोई आग का गोला उठता है (Solar Storm), तो इसे धरती तक पहुंचने में केवल 15 घंटे का समय लगेगा। यह खबर हमें हैरान कर देती है, क्योंकि इतने कम समय में हम कैसे तैयारी कर सकते हैं? सूर्य से निकलने वाले इस आग के गोले को वैज्ञानिक भाषा में कोरोनल मास इजेक्शन (CME) कहा जाता है।
CME क्या है? यह सूर्य की सतह पर होने वाला एक प्रकार का विस्फोट है, जिसमें अरबों टन आवेशित कण अंतरिक्ष में फैल जाते हैं। ये कण जब पृथ्वी के वायुमंडल से टकराते हैं, तो कई तरह की समस्याएं पैदा कर सकते हैं। इनमें सैटेलाइट नेटवर्क, GPS सिस्टम, सैटेलाइट टीवी और रेडियो संचार में बाधा शामिल है।
Aditya L-1 कैसे बना रक्षक
अच्छी खबर यह है कि भारत का आदित्य-एल1 मिशन इस खतरे से निपटने में बड़ा सहायक साबित हो रहा है। इसरो (ISRO) द्वारा लॉन्च किया गया यह मिशन सूर्य की गतिविधियों पर नजर रख रहा है और महत्वपूर्ण जानकारियां एकत्र कर रहा है।
आदित्य-एल1 ने हाल ही में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इसने वैज्ञानिकों को ऐसा बहुमूल्य डेटा मुहैया कराया है, जो घातक सौर गतिविधि से पृथ्वी के बुनियादी ढांचे को बचाने में मदद कर सकता है। यह मिशन सूर्य से आने वाली खतरनाक सौर लहरों को कैप्चर कर रहा है, जिससे हमें पहले से ही चेतावनी मिल सकती है।
50 साल का सबसे बड़ा तूफान देखा गया
पिछले कुछ समय से सूर्य काफी सक्रिय हो गया है। इस साल मई में, 50 साल का सबसे बड़ा सौर तूफान देखा गया। यह X8.7 तीव्रता का विस्फोट था, जो आधी सदी में पहली बार इतना शक्तिशाली था। इस घटना को आदित्य-एल1 और चंद्रयान-2 दोनों ने कैप्चर किया।
सौर तूफान के अलग-अलग वर्ग होते हैं, जिन्हें एम-क्लास और एक्स-क्लास के फ्लेयर्स कहा जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि सूरज अगले 8 सालों तक इतना ही सक्रिय रहेगा, जिससे सौर तूफानों के आने की आशंका बनी रहेगी।
इन सौर तूफानों की वजह से कई तरह के नुकसान हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, मई 2024 में आए सौर तूफान की वजह से धरती के उत्तरी ध्रुव वाले इलाके में वायुमंडल सुपरचार्ज हो गया था। इससे पूरे उत्तरी गोलार्ध में कई जगहों पर नॉर्दन लाइट्स देखने को मिलीं।
हालांकि यह एक सुंदर दृश्य था, लेकिन इसके साथ कई खतरे भी जुड़े हुए थे। रेडियो ब्लैकआउट्स, सैटेलाइट संचार में बाधा, और यहां तक कि बिजली के ग्रिड पर भी असर पड़ सकता है।