Nepal-China Relations: नेपाल ने हाल ही में चीन के साथ अपने संबंधों में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। देश ने स्पष्ट कर दिया है कि वह चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत किसी भी प्रकार का ऋण नहीं लेगा। यह घोषणा नेपाल के विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा ने अपनी हालिया चीन यात्रा के दौरान की।
नेपाल का स्पष्ट संदेश ऋण नहीं, केवल अनुदान
नेपाल के विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा ने चीन की अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दौरान एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि नेपाल वर्तमान में किसी भी प्रकार का ऋण लेने की स्थिति में नहीं है। इसके बजाय, देश केवल अनुदान (ग्रांट्स) पर निर्भर रहेगा। यह घोषणा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के संदर्भ में की गई है।
देउबा ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी से स्पष्ट रूप से कहा, ‘नेपाल ऋण लेने की स्थिति में नहीं है। हमारी चर्चाओं में BRI परियोजनाओं को अनुदान के माध्यम से आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया।’ यह बयान न केवल नेपाल की वर्तमान आर्थिक स्थिति को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि देश अपने विकास के लिए किस प्रकार की सहायता चाहता है।
BRI और नेपाल का सम्बन्ध
नेपाल और चीन ने मई 2017 में BRI की पहली रूपरेखा पर हस्ताक्षर किए थे। हालांकि, इसके बाद से एक भी परियोजना कार्यान्वित नहीं हुई है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें वित्तीय संसाधनों की कमी या भारत का संभावित विरोध शामिल है।
BRI चीन की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका उद्देश्य विश्व स्तर पर बुनियादी ढांचे के विकास के माध्यम से चीन के प्रभाव को बढ़ाना है। हालांकि, कई देशों ने इस पहल के प्रति चिंता व्यक्त की है, विशेष रूप से ऋण के जाल में फंसने के डर से।
नेपाल BRI के तहत चीन से सहायता मांग सकता है
नेपाल के इस निर्णय ने देश के राजनीतिक वर्ग में विभिन्न प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं। नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री प्रकाश शरण महत ने इस दृष्टिकोण का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि नेपाल BRI के तहत चीन से सड़कों और कनेक्टिविटी के विकास के लिए सहायता मांग सकता है, लेकिन प्राथमिकता अनुदान या तकनीकी सहायता होनी चाहिए।
हालांकि, सभी राजनीतिक दल इस दृष्टिकोण पर एकमत नहीं हैं। पूर्व विदेश मंत्री और वरिष्ठ CPN-UML नेता प्रदीप ज्ञवाली का मानना है कि अभी यह तय करने का उचित समय नहीं है कि BRI के तहत चीन से ऋण लेना है या अनुदान मांगना है। उनका कहना है कि नेपाल को भू-राजनीतिक स्थिति और अपनी विदेश नीति के दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेना चाहिए।
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