banking amendment bill 2024

बैंकिंग अमेंडमेंट बिल 2024: लोकसभा में पास हुआ, बैंकों में होंगे बड़े बदलाव

Banking Amendment Bill 2024:   लोकसभा में मंगलवार, 3 दिसंबर 2024 को एक अहम बिल, बैंकिंग अमेंडमेंट बिल 2024 पास हो गया। इस बिल में बैंकों के कामकाज से जुड़े कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। अब सरकार को उम्मीद है कि इन बदलावों से बैंकों की कार्यप्रणाली में सुधार होगा और खाताधारकों व निवेशकों के हितों की रक्षा भी की जा सकेगी। इस बिल को फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में पेश किया था और सरकार ने इसे मौजूदा शीतकालीन सत्र के दौरान पास करवा लिया है। इसमें कुल 19 महत्वपूर्ण संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं, जिनका असर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और अन्य सरकारी बैंकों के कामकाज पर पड़ेगा। आइए, इस बिल में किए गए कुछ अहम बदलावों पर नज़र डालते हैं:

बैंक अकाउंट में चार नॉमिनी तक हो सकेंगे

सबसे बड़ा बदलाव ये है कि अब एक बैंक अकाउंट में चार नॉमिनी (नामांकित व्यक्ति) तक जोड़े जा सकेंगे। इससे क्या होगा? अकाउंट होल्डर के निधन के बाद उनके खाते में रखी रकम को सही उत्तराधिकारी तक पहुंचाना आसान होगा।

अगर हम आंकड़ों की बात करें तो मार्च 2024 तक बैंकों में लगभग 78,000 करोड़ रुपए की ऐसी राशि है, जिस पर कोई दावा नहीं किया गया है। इन रकमों को सही उत्तराधिकारी तक पहुंचाने के लिए यह बदलाव बहुत अहम है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि मृतक व्यक्ति के खाते में रखी राशि उसके परिवार या किसी अन्य सही वारिस तक पहुंच सके।

निवेशकों को मिलेगा राहत, IEPF से वापसी की सुविधा

बैंकिंग अमेंडमेंट बिल के तहत भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम और बैंकिंग कंपनियों के अधिग्रहण कानून में भी बदलाव किए जाएंगे। इसके तहत, अगर किसी निवेशक ने 7 साल तक डिविडेंड, शेयर, इंटरेस्ट, या मैच्योर बॉन्ड की रकम पर दावा नहीं किया है, तो उसे अब इंवेस्टर एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड (IEPF) में ट्रांसफर किया जा सकेगा। इसका फायदा यह होगा कि निवेशक IEPF के जरिए अपनी रकम का दावा कर सकेंगे। यह बदलाव उन निवेशकों के लिए खास होगा जिन्होंने लंबी समय अवधि के बाद भी अपनी रकम का दावा नहीं किया था।

सहकारी बैंक के निदेशक होंगे और भी ताकतवर

इस संशोधन के तहत, अब सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के निदेशक स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक में भी काम कर सकेंगे। इसके साथ ही सहकारी बैंकों के निदेशकों का कार्यकाल भी बढ़ाया जाएगा। वर्तमान में जहां इनका कार्यकाल 8 साल था, अब इसे बढ़ाकर 10 साल किया जाएगा।

हालांकि, यह बदलाव चेयरमैन और होल-टाइम डायरेक्टर्स पर लागू नहीं होगा। सहकारी बैंक आमतौर पर ग्रामीण और कृषि क्षेत्रों में सेवाएं देने के लिए स्थापित किए जाते हैं, और अब इन बैंकों को RBI के तहत लाया गया है। इस बदलाव से इन बैंकों की कार्यप्रणाली में और सुधार होने की संभावना है।

सरकारी बैंकों को मिलेगा आंतरिक सुधार का अधिकार

बैंकिंग अमेंडमेंट बिल के तहत सरकारी बैंकों को अब ऑडिटर्स की फीस तय करने और टॉप लेवल टैलेंट को हायर करने का अधिकार भी मिल सकेगा। इससे बैंकों की ऑडिट क्वालिटी में सुधार होगा और टॉप टैलेंट को आकर्षित करने में मदद मिलेगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि बैंकों का आंतरिक ऑडिट और निगरानी व्यवस्था और मजबूत होगी, जिससे बैंकिंग सेक्टर की विश्वसनीयता बढ़ेगी।

रिपोर्टिंग समय सीमा में होगा बदलाव

अब बैंकों को RBI को रिपोर्ट देने की समय सीमा में भी बदलाव किया जाएगा। पहले बैंकों को हर शुक्रवार को रिपोर्ट देनी होती थी, लेकिन अब ये रिपोर्ट 15 दिन, एक महीने और तिमाही के अंत में भी दी जा सकेगी। इससे बैंकों को समय मिलने के साथ साथ उनकी रिपोर्टिंग व्यवस्था में भी लचीलापन आएगा।

कुल मिलाकर बैंकिंग सिस्टम में आएगा बड़ा सुधार

इस बिल के तहत जो भी बदलाव किए गए हैं, वे न केवल बैंकिंग सिस्टम की कार्यप्रणाली को सुधारने के लिए हैं, बल्कि खाताधारकों और निवेशकों के हितों को सुरक्षित करने के लिए भी हैं। इन बदलावों से यह सुनिश्चित होगा कि बैंकों में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या धोखाधड़ी कम हो और निवेशकों के अधिकारों की रक्षा की जा सके। साथ ही, इन बदलावों से बैंकों के संचालन में पारदर्शिता आएगी और बैंकिंग सेक्टर में एक नई दिशा मिलेगी।