असम की हिमंता बिस्वा सरमा की सरकार ने पूरे राज्य में बीफ पर बैन लगा दिया है। जिसके बाद अब राज्य में किसी भी होटल, रेस्टोरेंट या पब्लिक प्लेस पर बीफ नहीं परोसा जाएगा। हालांकि घर पर लोग उपभोग कर सकते हैं। आसान भाषा में बैन सार्वजनिक जगहों और समारोहों में बीफ सेवन पर तो प्रतिबंध है, लेकिन घर पर नहीं है।
असम में बीफ बैन ?
असम में बीफ बैन होने के बाद इसका सेवन मुख्य रूप से धार्मिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक पृष्ठभूमि में नहीं हो सकता है। हालांकि असम में मुसलमान बीफ का सेवन करते हैं, जो उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है। क्योंकि ईसाई समुदाय भी इसका सेवन करते हैं। इसमें उत्तर-पूर्व के आदिवासी समूह, जैसे – नागा, मिजो, और खासी. असम के कई आदिवासी समूह जैसे बोडो, डिमासा, और कार्बी लोग पारंपरिक रूप से बीफ खाते हैं।
असम में बीफ को लेकर कानून
बता दें कि असम में 2021 में लागू किए गए असम पशु संरक्षण अधिनियम के तहत गायों के वध पर प्रतिबंध है। लेकिन बैल और सांड को भी तभी मारा जा सकता है, हालांकि जब वे 14 साल से अधिक उम्र के हों या काम करने योग्य न हों। लेकिन बीफ की बिक्री या परिवहन उन क्षेत्रों में प्रतिबंधित है, जहां गैर-बीफ खाने वाले समुदाय बहुसंख्यक हैं।
बीफ को घर पर खा सकते हैं?
घर में बीफ का सेवन कानून के तहत वैध है। इसे घर पर बना और खा सकते हैं। हालांकि इस बैन से असम के आदिवासियों में नाराजगी फैल सकती है, क्योंकि वो अपने कई त्योहारों और परंपरागत समारोहों में इसका सामूहिक तौर पर सेवन करते हैं।
असम में इतने लोग खाते हैं बीफ
असम में बीफ सेवन करने वालों की संख्या का सटीक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। लेकिन मुस्लिम (31%), ईसाई (3.7%) और आदिवासी समूहों का बड़ा हिस्सा इसका उपभोग करता है। एक अनुमान के मुताबिक असम की लगभग 35-40% जनसंख्या बीफ खाती है।
इन राज्यों में लोग खाते हैं बीफ
बता दें कि अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम में गोमांस पर कोई प्रतिबंध नहीं है। वहीं केरल में गोमांस पर कोई प्रतिबंध नहीं है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल में भी बिना किसी प्रतिबंध के गोमांस के सेवन की अनुमति है। वहीं गोवा में भी अनुमति है। लेकिन उत्तरी और मध्य भारत के राज्यों में इसके सेवन पर सख्त प्रतिबंध है।