कोविड

AIIMS की रिसर्च में बड़ा खुलासा, लॉन्ग कोविड से ठीक हुए लोगों को हो रही है ये परेशानी

दुनियाभर के लोग कोविड का दौर अभी भी नहीं भूलते हैं। क्योंकि कोविड ने ना जाने कितने लोगों को उनके अपनो से दूर कर दिया है। लेकिन अब कोविड-19 से ठीक होने के बाद भी बहुत सारे लोग स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हैं। वहीं अभी हाल ही में एम्स ने एक रिसर्च में खुलासा किया है कि कोविड से ठीक होने के बाद भी 70 प्रतिशत लोगों में सांस फूलने की बीमारी देखी गई है।

पोस्ट कोविड सिंड्रोम

बता दें कि पोस्ट-कोविड-19 सिंड्रोम के लक्षण और इससे होने वाले जोखिम काफी खतरनाका हैं। क्योंकि इस कारण फेफडें ठीक से फंक्शन नहीं कर पा रहे हैं। इसके अलावा डाइट में बदलाव भी कोरोना सर्वाइवर की हेल्थ पर बुरा असर डालती है। बहुत सारे लोग मानसिक परिवर्तन और नींद में गड़बड़ी की भी शिकायत कर रहे हैं।

क्या हैं लक्षण?

बता दें कि लॉन्ग कोविड से 200 से ज़्यादा लक्षण जुड़े पाए गए हैं। ये सभी लक्षण समय के साथ एक जैसे रह सकते हैं और गंभीर हो सकते हैं। इन लक्षणों में काफी ज्यादा थकान, खास तौर पर गतिविधि के बाद थकान होगा आम है। इसके अलावा याददाश्त की समस्या जिसे अक्सर ब्रेन फ़ॉग कहा जाता है। वहीं चक्कर आना या चक्कर आने जैसा महसूस होना भी आम है। कई लोगों को स्वाद या गंध की समस्या भी आ रही है। इसके अलावा नींद की समस्या, सांस फूलना, खांसी, सिरदर्द, तेज़ या अनियमित दिल की धड़कन, पाचन संबंधी समस्याएं, जैसे कि ढीला मल, कब्ज़ या पेट फूलना भी शामिल है। लॉन्ग कोविड वाले कुछ लोगों को दूसरी बीमारियां भी हो सकती हैं। इनमें माइग्रेन, फेफड़ों की बीमारी, ऑटोइम्यून बीमारी और क्रोनिक किडनी की बीमारी शामिल हैं।

 

क्या कहती है रिसर्च

आर्टेरियोस्क्लेरोसिस, थ्रोम्बोसिस और वैस्कुलर बायोलॉजी जर्नल में पब्लिश हुई रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 के 1000 दिनों के अंदर हृदय संबंधी घटनाओं का जोखिम बढ़ा है। इतना ही नहीं द नेशनल हार्ट, लंग्स और ब्लड इंस्टीट्यूट के डॉक्टर का मानना है कि वास्तव में यह स्थिति चिंताजनक है और बहुत से लोगों को दिल का दौरा पड़ने का खतरा पहले की तुलना में और अधिक हुआ है।

हार्ट अटैक का खतरा बढ़ा

कोरोना महामारी के बाद हार्ट अटैक से मृत्यु दर में भी इजाफा हुआ है। रिसर्च के मुताबिक कोविड-19 के बाद कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा पहले की तुलना में बढ़ा है और इससे लोगों को हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हार्ट फेल्योर के खतरे का सामना भी करना पड़ा हैं। कई अन्य संस्थानों में अभी भी इस पर रिसर्च जारी है।