शाही अटाला मस्जिद विवाद: उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले से एक और मस्जिद-मंदिर विवाद सामने आया है। शाही अटाला मस्जिद को लेकर दावा किया गया है कि यह पहले हिंदू देवी अटाली का मंदिर था। यह मामला अब जौनपुर की अदालत में सुनवाई के लिए पहुंच चुका है, जिसके बाद मस्जिद प्रशासन ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया है। विवाद को लेकर 9 दिसंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई होनी है। यह विवाद उत्तर प्रदेश में मस्जिदों और मंदिरों के बीच चल रहे ऐतिहासिक विवादों के बीच नया मोड़ है, जहां वाराणसी, मथुरा, संभल और बदायूं जैसी जगहों पर भी इस तरह के विवादों का सामना किया जा चुका है।
क्या है शाही अटाला मस्जिद विवाद?
स्वराज वाहिनी एसोसिएशन ने जौनपुर कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें दावा किया गया कि शाही अटाला मस्जिद पहले हिंदू देवी अटाली का मंदिर था, जो राजा विजय चंद्र ने 13वीं सदी में बनवाया था। एसोसिएशन का कहना है कि इस मंदिर को मस्जिद में बदल दिया गया। एसोसिएशन ने यहां हिंदुओं को पूजा करने का अधिकार देने की मांग की है और गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाने की बात कही है।
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इसके जवाब में मस्जिद प्रशासन ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा कि यह मस्जिद 1398 से लगातार मुस्लिम समुदाय द्वारा नमाज के लिए प्रयोग की जा रही है। मस्जिद प्रशासन ने दावा किया कि यहां नियमित रूप से जुमा और पांच वक्त की नमाज अदा की जाती रही है, और इस पर मंदिर का दावा पूरी तरह गलत है।
क्या कहता है जौनपुर का इतिहास?
जौनपुर का इतिहास काफी समृद्ध और गौरवशाली है। यह क्षेत्र उस समय दिल्ली सल्तनत का हिस्सा था जब तुगलकों का शासन था। साल 1359 में तुगलक वंश के शासक फीरोजशाह तुगलक ने गोमती नदी के किनारे जौनपुर शहर बसाया था। जौनपुर का नाम उसने अपने भाई जौना खान के नाम पर रखा था। बाद में जौनपुर को दिल्ली सल्तनत की पूर्वी राजधानी के रूप में भी जाना जाने लगा था। यही कारण है कि जौनपुर में कई ऐतिहासिक मस्जिदें और अन्य निर्माण देखने को मिलते हैं, जिनमें शाही अटाला मस्जिद भी शामिल है।
क्या है अटाला मस्जिद का इतिहास?
शाही अटाला मस्जिद का निर्माण 1393 में तुगलक शासक फिरोजशाह तुगलक द्वारा शुरू किया गया था और इसका निर्माण इब्राहिम शाह शर्की द्वारा 1408 में पूरा किया गया। यह मस्जिद जौनपुर के मोहल्ला सिपाह में गोमती नदी के किनारे स्थित है। अटाला मस्जिद तुगलक शैली में बनाई गई थी, जो उस समय के स्थापत्य कला का एक अद्भुत उदाहरण है।
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मस्जिद का मुख्य दरवाजा 75 फीट ऊंचा और 55 फीट चौड़ा है। यह मस्जिद 100 फीट ऊंची है और इसके भीतर तीन मंजिलों पर फैला एक विशाल प्रार्थना कक्ष है। इसके अलावा, मस्जिद में पार्श्व गैलरी, मेहराब और गुंबद जैसी वास्तुकला के अद्भुत उदाहरण मौजूद हैं। मस्जिद में एक बड़ा धंसा हुआ मेहराब है, जिसके माध्यम से मुख्य प्रार्थना कक्ष में प्रवेश किया जाता है। इसके अंदर एक 57 फीट ऊंचा गुंबद है, जो ईंटों से बनाया गया है और बाहरी सीमेंट से ढका हुआ है।
कोर्ट में क्या हो रहा है?
शाही अटाला मस्जिद और मंदिर के दावे के बीच चल रहे इस विवाद में जौनपुर कोर्ट और इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई हो रही है। स्वराज वाहिनी एसोसिएशन की ओर से याचिका दायर की गई थी, जिसमें मस्जिद को पहले अटाली मंदिर होने का दावा किया गया था। वहीं, मस्जिद प्रशासन ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा है कि यहां 1398 से मुसलमान नमाज अदा करते आ रहे हैं और इस मस्जिद को धार्मिक तौर पर मस्जिद के रूप में ही देखा जाना चाहिए।
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मस्जिद प्रशासन का यह भी कहना है कि जो याचिका दायर की गई है, वह एक पंजीकृत सोसायटी द्वारा दायर की गई है और इस पर किसी न्यायिक व्यक्ति का हस्तक्षेप नहीं है। कोर्ट में मामले की सुनवाई 9 दिसंबर को होगी, जिसके बाद इस विवाद में आगे की स्थिति साफ होगी।