खान सर के पढ़ाने का तरीका है बिल्कुल अलग
खान सर (who is khan sir) की पहचान उनके पढ़ाने के तरीके से ही बनी। उनका बिहारी लहजा और मजाकिया अंदाज ही उन्हें दूसरों से अलग बनाता है। ऐसे में उन्होंने खुद को इंटरनेट पर एक सुपरस्टार बना लिया है। आज हर कोई खान सर के बारे में बात करता है, लेकिन यह कामयाबी उन्हें आसानी से नहीं मिली।
खान सर का लुक बहुत साधारण सा होता है। वे फॉर्मल कपड़े पहनते हैं, लेकिन उनका तरीका और बोलने का स्टाइल पूरी तरह से अलग है। उनका बिहारी लहजा और मजाकिया अंदाज ऐसा है कि कोई भी छात्र आसानी से उन्हें समझ सकता है। वह हर टॉपिक को ऐसे समझाते हैं, जैसे कोई अपनी दोस्त से बात कर रहा हो। बस यही खासियत है, जो उन्हें बाकी शिक्षकों से अलग बनाती है। उनका मजाकिया और देसी अंदाज इतना प्यारा होता है कि कोई भी छात्र उन्हें देखकर बोर नहीं होता।
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कोरोना के समय में जब स्कूल-कॉलेज सब बंद थे, तब खान सर का नाम तेजी से पॉपुलर हुआ। यूट्यूब पर अपनी पढ़ाई की क्लासेज शुरू कीं और देखते-देखते उनके चैनल पर लाखों छात्रों ने सब्सक्राइब करना शुरू कर दिया। उनका तरीका इतना सीधा और सरल था कि छात्रों को लगता था जैसे वे किसी दोस्त से पढ़ाई कर रहे हों। धीरे-धीरे उनकी पहचान सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं रही, बल्कि पूरे देश में फैल गई। उनके वीडियो न सिर्फ पढ़ाई के लिए, बल्कि मजेदार और दिलचस्प भी होते थे। इसने उन्हें इंटरनेट का एक बड़ा चेहरा बना दिया।
खान सर की पॉपुलैरिटी अब सिर्फ यूट्यूब तक सीमित नहीं रही। अब उन्हें देश-विदेश के बड़े सेमिनार्स और सभाओं में बुलाया जाने लगा है। उनकी बातें सुनने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। चाहे शिक्षा हो, या पब्लिक स्पीकिंग, खान सर का असर अब हर जगह दिखाई दे रहा है। अब वह सिर्फ एक टीचर नहीं रहे, बल्कि एक मोटिवेशनल स्पीकर और आइकॉन बन चुके हैं।
कौन हैं खान सर, क्या है उनका असली नाम?
खान सर को लेकर हमेशा एक सवाल उठता रहा है कि उनका असली नाम (khan sir real name) क्या है? शुरुआत में तो यह चर्चा थी कि उनका नाम अमित सिंह है, लेकिन खुद खान सर ने इसे खारिज कर दिया। उन्होंने बताया कि यह नाम कुछ दोस्तों ने दिया था, लेकिन उनका असली नाम कुछ और है। बाद में कुछ रिपोर्ट्स में यह कहा गया कि उनका असली नाम फैजल खान है, लेकिन इस बात की कभी पुष्टि खुद खान सर ने नहीं की।
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खान सर के बारे में एक दिलचस्प बात यह है कि उनका जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हुआ था, और वह पटना के नहीं बल्कि गोरखपुर के रहने वाले हैं। उनका कोचिंग सेंटर, जिसका नाम है ‘खान जीएस रिसर्च सेंटर’, पटना में स्थित है, जहां वह यूपीएससी, बीपीएससी, रेलवे, एसएससी जैसी सरकारी परीक्षाओं की तैयारी कराते हैं। इस कोचिंग सेंटर में छात्र ₹200 से ₹1000 तक की फीस देकर तैयारी करते हैं। यहां लाखों छात्र जुड़कर अपनी सरकारी नौकरी के सपने को पूरा करने की कोशिश करते हैं। कुल मिलाकर, खान सर का असली नाम अब तक पूरी तरह से सामने नहीं आया, लेकिन उनका काम और उनके पढ़ाने का तरीका ही उन्हें सबसे ज्यादा पहचान दिलाता है।
राजनीति में एंट्री की तैयारी?
खान सर के बारे में एक और चर्चा ये भी है कि वह राजनीति में एंट्री करने की सोच रहे हैं। हाल ही में उनकी एक तस्वीर वायरल हुई थी, जिसमें वह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात करते हुए दिखे थे। इसके बाद यह कयास लगाए जाने लगे कि खान सर बिहार की सत्ताधारी पार्टी ‘जनता दल यूनाइटेड’ (जदयू) से जुड़ सकते हैं। इसके कुछ समय बाद, वह जदयू के राष्ट्रीय महामंत्री मनीष वर्मा के घर पर भी देखे गए। हालांकि, इस मुलाकात की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, और न ही खान सर ने इस बारे में कोई बयान दिया है। तो अभी तक यह कहना मुश्किल है कि वे राजनीति में कदम रखेंगे या नहीं, लेकिन ये बातें चर्चा में जरूर हैं।
विवादों से घिरे रहते हैं खान सर
खान सर सिर्फ अपनी पढ़ाई के तरीके के लिए ही नहीं, बल्कि अपने व्यक्तिगत जीवन और आदतों की वजह से भी विवादों में रहते हैं। उनका नाम मुस्लिम प्रतीत होता है, लेकिन वह हिंदू रीति-रिवाजों का पालन करते हैं। उदाहरण के लिए, वह अक्सर त्रिपुंड तिलक लगाते हैं और रक्षाबंधन जैसे हिंदू त्योहार भी मनाते हैं। कुछ साल पहले, उन्होंने पूरी हिंदू रीति-रिवाज से सरस्वती पूजा की थी, जिसके कारण उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। लोगों ने सवाल उठाया था कि अगर वह मुस्लिम हैं तो हिंदू देवी-देवताओं की पूजा कैसे कर सकते हैं। ऐसे में यह विवाद भी उनकी पहचान का हिस्सा बन गया है।
पत्रकार नगर थाने में दर्ज है एफआईआर
खान सर के खिलाफ कुछ समय पहले पटना के पत्रकार नगर थाने में एफआईआर भी दर्ज हुई थी। आरोप था कि उन्होंने आरआरबी-एनटीपीसी परीक्षा में छात्रों के आंदोलन को भड़काया था, जिससे छात्रों ने सड़कों पर आकर हंगामा किया और ट्रेनों को नुकसान पहुंचाया। हालांकि, खान सर ने इस पर अपनी सफाई दी थी। उनका कहना था कि छात्रों का गुस्सा खुद से था और वह बस उनकी आवाज बन गए थे। उन्होंने यह भी कहा था कि जब लाखों छात्र सड़कों पर उतरते हैं, तो उन्हें रोक पाना बहुत मुश्किल होता है।