भारत के विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर ने अमेरिकी डॉलर को लेकर भारत का रुख स्पष्ट रूप से दुनिया के सामने रख दिया है। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ब्रिक्स देशों पर 100 प्रतिशत टैरिफ की चेतावनी पर कहा कि भारत की रुचि डॉलर को कमजोर करने में बिल्कुल भी नहीं है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दोहा फोरम के मंच से दुनिया को डॉलर के प्रति भारत के रुख को साफ़ कर दिया है।
ब्रिक्स नहीं लाया कोई नई करेंसी
एस. जयशंकर ने कहा कि भारत की ओर से डॉलर के मुकाबले कोई नई करेंसी नहीं लाई गई है। दोहा फोरम में भारत और अमेरिका के रिश्तों पर उन्होंने सकारात्मक बातें ही कहीं और भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत बताया। हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर डोनाल्ड ट्रंप ने ‘डी-डॉलराइजेशन’ के मुद्दे पर कड़ा बयान दिया था। ट्रम्प ने पोस्ट शेयर करते हुए लिखा था कि ब्रिक्स देशों की नई करेंसी पर अमेरिका चुप रहा, लेकिन अब यह समय खत्म हो गया है। ट्रंप ने कहा कि ब्रिक्स देशों को इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वे न तो कोई नई ब्रिक्स मुद्रा बनाएंगे और न ही अमेरिकी डॉलर की जगह लेने के लिए किसी अन्य मुद्रा का समर्थन करेंगे।
The idea that the BRICS Countries are trying to move away from the Dollar while we stand by and watch is OVER. We require a commitment from these Countries that they will neither create a new BRICS Currency, nor back any other Currency to replace the mighty U.S. Dollar or, they…
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) November 30, 2024
डोनाल्ड ट्रंप के समय में ही क्वाड में आई थी जान
डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि अगर ब्रिक्स देश ‘डी-डॉलराइजेशन’ की दिशा में काम करते हैं, तो वह सभी ब्रिक्स देशों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगा देंगे। विदेश मंत्री ने बताया कि डोनाल्ड ट्रंप के समय में ही क्वाड की फिर से शुरुआत की गई थी। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच कुछ व्यापारिक मुद्दों पर सहमति बनी थी। एस जयशंकर ने दोहा फोरम में पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच गहरी दोस्ती का ज़िक्र करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच पहले से ही अच्छे और मजबूत द्विपक्षीय संबंध हैं।
BRICS में कौन-कौन से देश हैं शामिल?
ब्रिक्स, पहले ब्रिक समूह था, जिसे 2006 में बनाया गया. उस समय इसमें ब्राजील, रूस, भारत और चीन शामिल थे. बाद में 2010 में ब्रिक समूह का विस्तार करते हुए उसमें दक्षिण अफ्रीका को शामिल कर लिया गया था, जिसके बाद से ये ब्रिक्स देशों का समूह बन गया। आज की बात करें तो अभी ब्रिक्स ने कुल 9 देश शामिल में। जिनमें ईरान, मिश्र, इथोपिया, और यूनाइटेड अरब एमिरेट्स (UAE) शामिल है।
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