कल्कि अवतार के बारे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक बयान काफी सुर्खियों में है। इस बयान से राजनीतिक हलकों में हंगामा मच गया है, लेकिन अगर हम पौराणिक कथाओं को देखें, तो योगी का दावा कुछ गलत भी नहीं है। दरअसल, उत्तर प्रदेश का संभल शहर सिर्फ ऐतिहासिक ही नहीं, बल्कि धार्मिक लिहाज से भी खास है। यहां की पौराणिक मान्यताएं काफी गहरी हैं, और ये बातें कई साल पुरानी ग्रंथों में भी मिलती हैं।
क्या है योगी का बयान?
योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एक बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश के संभल में ही कल्कि अवतार होगा। अब इस बयान को लेकर राजनीति तो गरमाई ही है, लेकिन पौराणिक मान्यता के मुताबिक ये कोई नई बात नहीं है। दरअसल, महर्षि वेद व्यास ने अपने ग्रंथ श्रीमद भागवत में संभल का जिक्र किया है और कहा है कि यहां कल्कि अवतार का जन्म होगा। अब इसे राजनीतिक मुद्दा बनाना अलग बात है, लेकिन पौराणिक दृष्टि से यह सही नजर आता है।
श्रीमद भागवत में संभल का जिक्र
महर्षि व्यास ने श्रीमद भागवत के 12वें स्कंध के दूसरे अध्याय में बताया था कि कल्कि अवतार इसी स्थान पर होगा। इस अवतार का उद्देश्य दुष्टों का विनाश करना और धर्म की स्थापना करना होगा। यही कारण है कि योगी आदित्यनाथ ने संभल के इस ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को उजागर किया। महंत ऋषिराज गिरी ने भी इस पर सहमति जताई है और बताया कि श्रीमद भागवत के अनुसार, भगवान कृष्ण और रुक्मिणी भी एक बार इस रास्ते से गुजरते हुए यही बात कह चुके थे कि कलियुग के अंत में भगवान कल्कि यहां अवतरित होंगे।
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महंत ऋषिराज गिरी ने कहा कि पुराणों में इस शहर का बहुत उल्लेख है। ये वही संभल है, जहां 68 तीर्थ, 19 कूप, 36 पूरे और 52 सराय का उल्लेख मिलता है। यह स्थान काफी पवित्र है और यहां की धार्मिक महत्ता बहुत गहरी है। वे कहते हैं कि समय और इतिहास अपने हिसाब से चलता है, लेकिन जब कल्कि अवतार होगा तो यह जगह फिर से एक नई दिशा में जाएगा।
भगवान शुकदेव की भविष्यवाणी
भगवान शुकदेव ने भी एक समय 88,000 ऋषियों को कथा सुनाते हुए कल्कि अवतार की भविष्यवाणी की थी। उन्होंने कहा था कि जब कलियुग के अंत में मानवता पूरी तरह से पतित हो जाएगी और लोग एक दूसरे को मारकर खा रहे होंगे, तब भगवान कल्कि का अवतरण होगा। भगवान कल्कि सफेद घोड़े देवदत्त पर सवार होकर आएंगे और अधर्म का नाश करेंगे।
भगवान शुकदेव ने बताया कि कल्कि अवतार सावन महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को होगा, जब गुरु, सूर्य और चंद्रमा एक साथ पुष्य नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। इस समय भगवान कल्कि अपनी पत्नी पद्मा के साथ संभल में अवतरित होंगे और उनके चार पुत्र होंगे- जय, विजय, मेघमाल और बलाहक। इस अवतार के समय भगवान के पुरोहित महर्षि याज्ञवलक्य और गुरु परशुराम होंगे।