Shani Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू उपवास है, जो प्रत्येक चंद्र पखवाड़े के 13वें दिन (त्रयोदशी) मनाया जाता है। यह गोधूलि काल (प्रदोष काल) (Shani Pradosh Vrat) के दौरान मनाया जाता है, जिसे भगवान शिव की पूजा करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु व्रत रखते हैं, प्रार्थना करते हैं और बेलपत्र, फूल और फल जैसी वस्तुओं के साथ अनुष्ठान करते हैं।
माना जाता है कि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat) पापों को दूर करता है, समृद्धि प्रदान करता है और व्यक्ति के जीवन में शांति और खुशियां लाता है। कहा जाता है कि इस व्रत को भक्तिपूर्वक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं, जो अपने भक्तों की मनोकामनाएं और आध्यात्मिक उत्थान करते हैं।
शनि प्रदोष व्रत का महत्व
शनि प्रदोष व्रत, प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat) का एक विशेष रूप है जो शनिवार को मनाया जाता है। यह दिन शनि भगवान से जुड़ा दिन है। यह शुभ व्रत भगवान शिव को समर्पित है, और यह शनि के अशुभ प्रभावों और कार्मिक चुनौतियों से राहत चाहने वालों के लिए अत्यधिक महत्व रखता है। इस दिन लोग पूरे दिन उपवास करते हैं, प्रदोष काल के दौरान शिव पूजा करते हैं, और बेल के पत्ते, दूध और फल जैसी पवित्र वस्तुएं चढ़ाते हैं। शिव मंत्रों का जाप और शनि स्तोत्र का पाठ करना आम प्रथा है। माना जाता है कि शनि प्रदोष व्रत को भक्तिपूर्वक करने से बाधाएं कम होती हैं, शांति आती है और समृद्धि और आध्यात्मिक विकास का आशीर्वाद मिलता है।
कब है साल का आखिरी प्रदोष व्रत?
वर्ष 2024 का आखिरी प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat) दिसम्बर 28, दिन शनिवार को रखा जाएगा। सोमवार को आने वाले प्रदोष को सोम प्रदोष, मंगलवार को आने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष और शनिवार को आने वाले प्रदोष को शनि प्रदोष कहा जाता है। इस बार का प्रदोष व्रत शनिवार को रखा जाएगा इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत कहते हैं।
शनि प्रदोष व्रत
17:57 से 20:31
प्रारम्भ – 03:56, दिसम्बर 28
समाप्त – 05:02, दिसम्बर 29
शनि प्रदोष व्रत पर क्या करें?
उपवास: शुद्ध इरादों और भगवान शिव के प्रति समर्पण के साथ सख्त उपवास का पालन करें। यदि पूर्ण उपवास संभव न हो तो फल और हल्का सात्विक भोजन करें।
शिव पूजा करें: प्रदोष काल (गोधूलि बेला) के दौरान शिवलिंग पर बेलपत्र, दूध, शहद और पवित्र वस्तुएं चढ़ाएं।
मंत्रों का जाप करें: आशीर्वाद प्राप्त करने और शनि के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए “ओम नमः शिवाय” और शनि स्तोत्र जैसे शिव मंत्रों का जाप करें।
स्वच्छता बनाए रखें: अनुष्ठान करने से पहले पवित्र स्नान करें और अपने आसपास को साफ रखें। मन और शरीर की पवित्रता जरूरी है.
दान और अच्छे कर्म: शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े या धन, विशेषकर काली वस्तुएं या तिल का दान करें।
शनि प्रदोष व्रत पर क्या न करें?
मांसाहार और शराब से बचें: व्रत के दौरान मांसाहारी भोजन, शराब या अन्य तामसिक वस्तुओं का सेवन करने से बचें।
कोई नकारात्मक कार्य नहीं: बहस करने, कठोर बोलने या बेईमान या हानिकारक गतिविधियों में शामिल होने से बचें।
व्रत न तोड़ें: पूजा अनुष्ठान पूरा करने से पहले व्रत तोड़ना अशुभ माना जाता है।
आलस्य से बचें: अनुशासित रहें और दिन में सोने से बचें, क्योंकि इससे व्रत के आध्यात्मिक लाभ कम हो सकते हैं।
बड़ों का अनादर न करें: बड़ों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करें, क्योंकि विनम्रता दिखाने से व्रत की आध्यात्मिक योग्यता बढ़ती है।
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