बीजेपी के सांसद प्रताप सारंगी का नाम इन दिनों सुर्खियों में है, और ये सुर्खियां भी उनके सियासी कामों से नहीं, बल्कि एक विवाद के कारण बनी हैं। डॉ. भीमराव अंबेडकर के अपमान को लेकर चल रहे विवाद के बीच प्रताप सारंगी ने आरोप लगाया है कि नेता प्रतिपक्ष ने उन्हें जानबूझकर धक्का दिया, जिससे वह घायल हो गए। इस घटना ने राजनीति में गरमी और बढ़ा दी है। लेकिन प्रताप सारंगी की राजनीति और उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ पहलू हैं, जिनसे उनके बारे में अधिक जानना दिलचस्प हो सकता है। आइए जानते हैं, प्रताप सारंगी कौन हैं और उनका राजनीतिक सफर क्या है।
सादा जीवन, उच्च विचार
अगर आप प्रताप सारंगी के बारे में सोचें तो सबसे पहले जो चीज़ दिमाग में आएगी, वो है उनकी सादगी। वह उन नेताओं में से हैं जिनकी पूरी जिंदगी दिखावे से दूर और साधारण तरीके से जीने की मिसाल है। भले ही वह केंद्रीय मंत्री रहे हों, लेकिन उनका जीवन किसी साधारण इंसान की तरह ही रहा है। वह साइकिल से चलते हैं, महंगी गाड़ियों से दूर रहते हैं और उनके घर में भी कोई भव्यता नहीं है। उनका कहना है कि राजनीति में लोगों से जुड़ने के लिए दिखावे से ज्यादा जरूरी है, जनता की सेवा करना।
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प्रताप सारंगी का जन्म 4 जनवरी 1955 को उड़ीसा के बालासोर जिले के गोपीनाथ गांव में हुआ था। उनका परिवार बहुत साधारण था और उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई भी उड़ीसा के एक छोटे से स्कूल से की। उनके पिता का नाम गोबिंदा चंद्र सारंगी था, और मां का नाम सिद्धेश्वरी सारंगी था। इनकी जीवन की सादगी को देखकर कई लोग यह मानते हैं कि उन्होंने राजनीति में आने के बाद भी अपनी जड़ों से कभी समझौता नहीं किया।
सारंगी का राजनीतिक करियर बेहद दिलचस्प
प्रताप सारंगी का राजनीतिक करियर भी बेहद दिलचस्प रहा है। उन्होंने 2004 में उड़ीसा विधानसभा से विधायक के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद, वह 2009 से 2014 तक कई अहम समितियों के सदस्य रहे। उन्होंने अल्पसंख्यक हाउस कमेटी, उच्च शिक्षा, खेल और युवा सेवा जैसी समितियों में काम किया। इसके बाद 2019 में उन्होंने लोकसभा चुनाव में उड़ीसा से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके साथ ही, उन्हें केंद्रीय राज्य मंत्री भी बनाया गया और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय तथा मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई।
साधु बनने की थी ख्वाहिश
प्रताप सारंगी का जीवन एकदम साधारण नहीं है, बल्कि उसमें कुछ अनोखी बातें भी हैं। वह कई बार यह कह चुके हैं कि उन्होंने कभी साधु बनने की इच्छा जाहिर की थी। वह ध्यान लगाने और अकेले रहने की सोचते थे, लेकिन फिर उन्होंने महसूस किया कि समाज सेवा का सबसे अच्छा तरीका राजनीति है। और फिर उन्होंने राजनीति में कदम रखा, जहां उन्होंने पूरी तरह से जनता की भलाई को प्राथमिकता दी। उनकी यह साधू बनने की ख्वाहिश उनके जीवन की सादगी और समाज के प्रति उनके विचारों को और मजबूत करती है।
RSS से भी है प्रताप सारंगी का कनेक्शन
प्रताप सारंगी की राजनीति की जड़ें भारतीय जनता पार्टी से जुड़ी हुई हैं, लेकिन इसके अलावा उनका संबंध राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से भी है। वह हमेशा से समाज सेवा को अपनी प्राथमिकता मानते रहे हैं, और यही वजह है कि उनकी पहचान राजनीति में साधारण और सच्चे नेता के तौर पर बन गई। उन्होंने यह साबित किया है कि किसी भी नेता के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज़ उसकी सच्चाई और जनता के बीच उसकी विश्वसनीयता है, न कि पैसों और दिखावे का राजनीति में ज्यादा असर होता है।
2019 में मिली बड़ी पहचान
2019 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने उड़ीसा से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा। इस बार उनके सामने कांग्रेस और अन्य दलों के बड़े-बड़े दिग्गज थे, लेकिन उन्होंने अपनी सादगी और जनता के प्रति अपने सच्चे समर्पण के दम पर चुनाव जीतने में सफलता पाई। चुनाव के बाद, उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया, जहां उन्होंने छोटे और मझोले उद्यमियों के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाओं को लागू किया।
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प्रताप सारंगी का मानना है कि राजनीति में सफल होने के लिए आपको किसी भी दिखावे से दूर रहना चाहिए और हमेशा जनता के बीच रहकर उनकी समस्याओं का समाधान ढूंढना चाहिए। वह कहते हैं, “अगर एक नेता अपनी असली पहचान से दूर जाकर महंगे कपड़े पहनने लगे या गाड़ियां बदलने लगे, तो वह जनता से जुड़ा नहीं रह सकता।” उनका यह विचार राजनीति में एक बड़ी सच्चाई को उजागर करता है कि अगर आप अपने लोगों के बीच रहकर उनका भला करना चाहते हैं, तो आपको दिखावे से दूर रहना चाहिए।