why market is falling: अगर आप भी शेयर बाजार में निवेश करते हैं, तो हाल के दिनों में आपको बहुत बड़ा झटका लगा होगा। पिछले कुछ दिनों से भारत का शेयर बाजार गिरावट की चपेट में है और इसमें कोई कमी होती नहीं दिख रही। महज एक दिन में भारतीय बाजार ने निवेशकों को 9.1 लाख करोड़ रुपए का नुकसान करवा दिया है। इतना बड़ा नुकसान किसी के लिए भी चिंता का विषय है, और ये सब हुआ है अमेरिका के फेडरल रिजर्व की वजह से। अमेरिका की मौद्रिक नीति और विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) के फैसलों का असर भारतीय बाजार पर दिखाई दे रहा है।
सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट का सिलसिला
आज शेयर बाजार के दो बड़े इंडेक्स, सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में ही भारी गिरावट आई। सेंसेक्स 1.49 प्रतिशत गिरकर 1176 अंक नीचे 78,041.33 पर बंद हुआ। वही निफ्टी भी 320 अंक गिरकर 23,631.25 पर पहुंच गया। यानी दोनों ही इंडेक्स में एक बड़ा झटका लगा। अब बात करें पिछले दिन की तो गुरुवार को भी शेयर बाजार में गिरावट का दौर था। सेंसेक्स में 964 अंक की गिरावट आई और यह 79,218.05 पर बंद हुआ था, वहीं निफ्टी 247 अंक गिरकर 23,951.70 पर बंद हुआ।
कौन से शेयरों में बढ़त और कौन से शेयर हुए फ्लॉप?
सेंसेक्स के 30 शेयरों में से सिर्फ तीन शेयरों में बढ़त देखने को मिली। इनमें नेस्ले इंडिया और टाइटन जैसे बड़े नाम शामिल थे। नेस्ले इंडिया के शेयरों में 0.12% और टाइटन के शेयरों में 0.07% की हल्की बढ़त आई। लेकिन बाकी 27 कंपनियों के शेयर गिर गए। खासतौर से आईसीआईसीआई बैंक, आईटीसी, एशियन पेंट, मारुति, एचसीएल टेक, सन फार्मा, हिंदुस्तान यूनिलीवर और कोटक महिंद्रा जैसे शेयरों में बहुत बड़ी गिरावट देखने को मिली। इन कंपनियों के शेयरों ने निवेशकों को और भी ज्यादा परेशान किया है।
अमेरिका में फेडरल रिजर्व की नीतियों का असर
अब समझते हैं कि इस गिरावट की असली वजह क्या है। दरअसल, अमेरिका में फेडरल रिजर्व द्वारा हाल ही में ब्याज दरों में कटौती का फैसला किया गया था। 18 दिसंबर को फेड ने बेंचमार्क ब्याज दरों में 0.25% की कमी की, जिससे इस दर को 4.25-4.50 प्रतिशत के बीच कर दिया गया। लेकिन असल में बाजार को यह उम्मीद थी कि फेड इससे ज्यादा ब्याज दरें घटाएगा। फेड ने दरें घटाने की उम्मीदों को तोड़ते हुए भविष्य में बहुत कम कटौती का ऐलान किया, जिससे बाजार में मायूसी फैल गई। फेड के इस फैसले से भारतीय शेयर बाजार समेत पूरी दुनिया के बाजारों में खलबली मच गई।
फेड ने ये भी कहा कि अगले कुछ सालों तक दरों में कोई बड़ा बदलाव नहीं होने वाला। यह बात निवेशकों को इतनी बुरी लगी कि उन्होंने भारतीय बाजार से अपनी पूंजी निकालना शुरू कर दिया। खासकर विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने भारतीय बाजार से बड़े पैमाने पर पैसा निकाला। जब डॉलर की कीमत बढ़ती है और बॉंड यील्ड भी बढ़ते हैं, तो विदेशी निवेशक अपने निवेश को सुरक्षित रखने के लिए भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकालने लगते हैं।
पिछले कुछ दिनों में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से करीब ₹12,000 करोड़ से ज्यादा का निवेश निकाल लिया है। इस बिकवाली का असर भारतीय शेयर बाजार पर पड़ा है और इसका सीधा असर निवेशकों की जेब पर दिखाई दे रहा है। विदेशी पूंजी की निकासी से भारतीय बाजार में और भी गिरावट देखी जा रही है। यही कारण है कि भारतीय बाजार में इतनी बड़ी गिरावट आई है।
क्या है आगे का रुझान?
अब सवाल ये उठता है कि आगे क्या होगा? क्या शेयर बाजार में और गिरावट आएगी या फिर थोड़ी सी राहत मिलेगी? असल में, ये सवाल अब हर निवेशक के मन में घूम रहा है। अगर फेडरल रिजर्व की नीतियों में बदलाव नहीं होता और विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार से पैसा निकालने का सिलसिला जारी रहता है, तो भारतीय बाजार में गिरावट का सिलसिला और भी बढ़ सकता है।
वैसे, कुछ विश्लेषक मानते हैं कि दीर्घकालिक दृष्टिकोण से भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों के लिए अच्छे अवसर हो सकते हैं, लेकिन फिलहाल के हालात में बाजार का रुझान नकारात्मक नजर आ रहा है। निवेशकों को किसी भी तरह का जोखिम लेने से पहले बाजार की स्थिति का सही से विश्लेषण करना जरूरी होगा।
निवेशकों के लिए चेतावनी
इस गिरावट को देखते हुए निवेशकों के लिए यह समय थोड़ा जोखिम भरा हो सकता है। जो लोग लांग टर्म निवेश के लिए शेयर बाजार में पैसा लगा चुके थे, वे फिलहाल धैर्य रखें। छोटी अवधि में बाजार में उतार-चढ़ाव आते रहेंगे, लेकिन लंबे समय में कुछ शेयर अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। हालांकि, इस समय निवेश करते वक्त बेहद सावधानी बरतनी चाहिए।
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