दिसंबर का आखिरी हफ्ता अपने पूरे जोरों पर है सर्द हवा के झोंके, खून जमा देने वाली ठंड, और धुंध से ढकी सड़कों ने सर्दियों का असली मज़ा और परेशानी दोनों बढ़ा दिए हैं। लेकिन क्या आपने एक मज़ेदार बात पर ध्यान दिया है? आपने देखा होगा कि ठंड में अक्सर दो तरह के लोग होते हैं। एक तो वो जो हर वक्त शिकायत करते रहते हैं, “उफ्फ, कितनी ठंड है!” और दूसरे वो, जो हंसते हुए कहते हैं, “अरे, इतनी भी ठंड नहीं है।”
अब सोचने वाली बात ये है की ऐसा क्यों होता है? एक ही मौसम और तापमान में, कुछ लोग ठंड से कांपते क्यों हैं और कुछ इसे आसानी से झेल लेते हैं? क्या ये सिर्फ उनके शरीर की बनावट की वजह से है या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक वजह भी छुपी है?
ठंड लगने के पीछे की क्या है साइंस ?
सर्दी के मौसम में तापमान लगातार कम होता रहता है। हमारे शरीर का सामान्य तापमान लगभग 98.7°F (यानि 37°C) होता है। लेकिन ठंड के समय बाहर का तापमान इससे काफी कम हो सकता है। जैसे कभी 15°C, कभी 10°C या कभी-कभी तो 5-6°C तक गिर जाता है। शरीर और बाहर के तापमान में यही फर्क ठंड लगने की वजह बनता है।
हमारे शरीर का तापमान हाइपोथैलेमस कंट्रोल करता है। ये दिमाग का एक छोटा लेकिन बेहद ज़रूरी हिस्सा है। यह नर्वस सिस्टम और हार्मोन्स के बीच तालमेल बनाकर रखता है। हाइपोथैलेमस न सिर्फ तापमान को संभालता है, बल्कि हमारी भूख-प्यास, दिल की धड़कन और मूड को भी कंट्रोल करता है।
जब यह शरीर के मौजूदा तापमान को बाहरी तापमान से तुलना करता है, तो जरूरत के हिसाब से शरीर से गर्मी बाहर निकालता है। यही वजह है कि कभी-कभी हमें ठंड महसूस होती है।
एक सामान ठंड न लगने की 5 सबसे बड़ी वजह क्या है ?
• अगर कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से सक्रिय है, जैसे योग या एक्सरसाइज करता है, तो उसे ठंड का एहसास कम होता है। लेकिन जो व्यक्ति शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं है, उसे ठंड ज्यादा महसूस होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शारीरिक रूप से सक्रिय व्यक्ति की मांसपेशियां काम करती रहती हैं और शरीर की ऊर्जा को सही तरीके से इस्तेमाल करती हैं। इसी वजह से शरीर के अंदर गर्मी बनी रहती है और ठंड का असर कम हो जाता है।
• शरीर में फैट का बंटवारा यानी डिस्ट्रीब्यूशन हमारे ठंड महसूस करने पर असर डालता है। जिन लोगों के शरीर में फैट कम होता है, उन्हें ज्यादा ठंड लगती है क्योंकि फैट हमारे शरीर को ठंड से बचाने के लिए इन्सुलेटर का काम करता है। वहीं, जिनके शरीर में ज्यादा फैट होता है, उनका शरीर ठंडे मौसम में बेहतर तरीके से खुद को बचा पाता है।
• आपके शरीर में जीन्स का असर भी ठंड महसूस करने पर पड़ता है। कुछ लोगों का शरीर ठंड को अच्छी तरह झेल लेता है, जबकि कुछ को जल्दी ठंड लगने लगती है।
• जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है या हार्मोनल बदलाव होते हैं, खासकर पीरियड्स या मेनोपॉज के समय, महिलाओं को ज्यादा ठंड महसूस हो सकती है। इसके अलावा, उम्र बढ़ने पर शरीर की तापमान को नियंत्रित करने की क्षमता कमजोर हो जाती है, जिसकी वजह से बुजुर्गों को ठंड ज्यादा लगती है।
• जो लोग किसी बीमारी से पीड़ित होते हैं, उन्हें सर्दियों में ठंड ज्यादा लगती है। जैसे कि हाइपोथायरायडिज्म या एनीमिया से जूझ रहे लोगों को ठंड का एहसास बाकी लोगों से अधिक होता है।
रेनॉड्स डिजीज: इस समस्या में ठंड लगने पर उंगलियों और पंजों की नसें सिकुड़ जाती हैं, जिससे वहां सुन्नपन और ठंडक महसूस होती है।
हाइपोथायरायडिज्म: जब थायरॉयड ग्रंथि कमजोर हो जाती है, तो यह मेटाबॉलिज्म को धीमा कर देती है। इसका नतीजा है कि शरीर को ज्यादा ठंड लगने लगती है।
एनीमिया: खून में आयरन की कमी ऑक्सीजन की सप्लाई को प्रभावित करती है। इससे शरीर को गर्म रखने में दिक्कत होती है और ठंड ज्यादा महसूस होती है।
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