भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम सुनते ही दिमाग में एक गंभीर और शांत व्यक्ति की छवि बनती है, जो हमेशा अपनी बातों को सोच-समझ कर बोलते थे। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि उनके निजी जीवन में क्या-क्या खास था? उनका पसंदीदा खाना क्या था? किस लेखक से उन्हें खास लगाव था? या फिर उनका पसंदीदा रंग कौन सा था? आइए, इस लेख में जानते हैं मनमोहन सिंह की कुछ दिलचस्प पसंद-नापसंद के बारे में।
सादगी और स्वाद का परफेक्ट कॉम्बो
मनमोहन सिंह के खाने की आदतें बहुत ही साधारण थीं। वे कम खाते थे और हमेशा हल्का खाना पसंद करते थे। उनके करीबी सहयोगी रहे संजय बारू अपनी किताब The Accidental Prime Minister में लिखते हैं कि प्रधानमंत्री रहते हुए भी मनमोहन सिंह बहुत ही कम खाते थे। उनका लंच कुछ खास नहीं होता था, बस दो चपाती, कुछ सब्जी और दाल होती थी।
मनमोहन सिंह को खास तौर पर मछली बहुत पसंद थी, लेकिन यह भी कभी-कभी ही खाते थे। उनकी पत्नी, गुरशरण कौर, यह सुनिश्चित करती थीं कि उनके खाने में मीठा न हो, क्योंकि मनमोहन सिंह को डायबिटीज़ था और वे मीठा नहीं खाते थे। उनके खाने में पंजाबी स्टाइल का चावल, कढ़ी और आचार भी शामिल था। यही उनका पसंदीदा खाना था।
इसके अलावा, मनमोहन सिंह का एक और पसंदीदा खाना था – दिल्ली के बंगाली मार्केट का चाट। यह चाट वे हर दो महीने में अपने परिवार के साथ खाने जाते थे। ऐसा लगता है कि वह खाने में सादगी और स्वाद दोनों को पसंद करते थे।
अल्लामा इकबाल की कविताओं का था खुमार
मनमोहन सिंह सिर्फ एक अच्छे प्रधानमंत्री नहीं थे, बल्कि उन्हें शायरी भी बहुत पसंद थी। खासकर अल्लामा इकबाल की कविताएं। वह अक्सर इकबाल के शेरों का जिक्र करते थे, और संसद में भी विपक्ष के खिलाफ अपनी बातों को इकबाल के शेरों के जरिए ही पेश करते थे।
एक बार, जब सुषमा स्वराज ने मनमोहन सिंह से शायरी में सवाल पूछा था, तो मनमोहन सिंह ने इकबाल का एक शेर पढ़ा – “माना कि तेरे दीद के काबिल नहीं मैं, तू मेरा शौक तो देख, मेरा इंतजार तो देख।” यह शेर इतना प्रभावशाली था कि सुषमा स्वराज चुप हो गईं। इस तरह से शायरी के जरिए वह अपनी बातों को व्यक्त करते थे।
शिक्षा: मनमोहन सिंह का पसंदीदा विभाग
मनमोहन सिंह को शिक्षा के क्षेत्र में काम करना बहुत पसंद था। यह बहुत दिलचस्प बात है क्योंकि उन्हें वित्त मंत्रालय में जो बड़ी पहचान मिली, वह उनका सबसे पसंदीदा विभाग नहीं था। जब रेडिफ को दिए गए एक इंटरव्यू में उनसे पूछा गया कि यदि उन्हें किसी भी विभाग में काम करने का मौका मिले, तो वह शिक्षा मंत्रालय को चुनेंगे। उनका मानना था कि शिक्षा के जरिए देश की भविष्यवाणी बेहतर की जा सकती है।
उन्होंने हमेशा कहा कि युवा ही देश की तकदीर बदलेंगे और उनके लिए काम करना बहुत ज़रूरी है। यही कारण था कि वह हमेशा शिक्षा में सुधार और युवाओं की मदद के लिए काम करने में रुचि रखते थे।
विक्टर ह्यूगो और मनमोहन सिंह का कनेक्शन
मनमोहन सिंह के पसंदीदा लेखक थे फ्रांस के महान लेखक और राजनेता विक्टर ह्यूगो। वह अक्सर ह्यूगो के कथन का जिक्र करते थे, खासकर उनके उस मशहूर विचार का – “पृथ्वी पर कोई भी शक्ति उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया है।” मनमोहन सिंह का मानना था कि यह विचार भारत के लिए बिल्कुल सही था।
1991 में जब मनमोहन सिंह ने भारत का बजट पेश किया था, तो उन्होंने ह्यूगो के इस कथन को उद्धृत किया था, और इसे एक संदेश के रूप में पेश किया था कि भारत अब एक नई दिशा में बढ़ रहा है और उसे कोई रोक नहीं सकता।
नीला रंग: मनमोहन सिंह की पगड़ी का राज
मनमोहन सिंह का एक और खास पहलू था उनका पसंदीदा रंग। उनका पसंदीदा रंग था नीला। वह हमेशा नीली पगड़ी पहनते थे, जो उनके व्यक्तित्व का एक अहम हिस्सा बन चुका था। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि नीला रंग उन्हें हमेशा खास लगता था, और यही कारण था कि वह नीली पगड़ी पहनते थे।
मनमोहन सिंह का यह नीला रंग कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से भी जुड़ा था, जहां उन्होंने अपनी पढ़ाई की थी। दरअसल, कैम्ब्रिज का थीम कलर भी नीला था, और नीली पगड़ी पहनने से उन्हें अपने कैम्ब्रिज के दिनों की यादें ताजा हो जाती थीं।
राजनीति में एंट्री और प्रधानमंत्री बनने तक का सफर
मनमोहन सिंह की राजनीति में एंट्री एक तरह से हादसे के रूप में हुई। जब 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस पार्टी में गहमा-गहमी थी, तब प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को एक सक्षम वित्त मंत्री की जरूरत थी। और यहीं से मनमोहन सिंह की राजनीति में एंट्री हुई। उन्होंने लाइसेंस राज को खत्म कर भारत को आर्थिक सुधारों की दिशा में ले जाने का काम किया।
मनमोहन सिंह ने अपनी मेहनत और कड़ी लगन से राजनीति में एक अहम स्थान हासिल किया। 2004 और 2009 में वह भारत के प्रधानमंत्री बने। उनकी सरकार ने कई अहम आर्थिक और सामाजिक सुधार किए, जिनका असर आज भी भारत की राजनीति और अर्थव्यवस्था पर देखा जा सकता है।
कार और दूसरी पसंदीदी चीजें
मनमोहन सिंह को अपनी पुरानी कार, 1996 मॉडल की मारुति सुजुकी बहुत पसंद थी। यह उनकी सादगी को ही दर्शाती थी। वह हमेशा अपनी इस कार में सफर करना पसंद करते थे, जो उनकी जीवनशैली को बिल्कुल साधारण और भव्यता से दूर रखता था।
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