डॉ. अंबालाल विक्रम साराभाई को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक माना जाता है। उन्होंने भारतीय विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। विक्रम साराभाई ही थे जिन्होंने भारत में इसरो मिशन की शुरुआत की। वे एक महान भौतिक विज्ञानी और खगोलशास्त्री थे। उन्होंने सिर्फ ISRO की नींव ही नहीं रखी, बल्कि भारत को एक अंतरिक्ष शक्ति बनाने का सपना भी पूरा किया। आज 30 दिसंबर को उनकी 53वीं पुण्यतिथि है। इस खास मौके पर हम उनकी उपलब्धियों और योगदान को याद करते हैं।
अहमदाबाद में बीता बचपन
विक्रम साराभाई का जन्म 12 अगस्त 1919 को अहमदाबाद के एक बड़े उद्योगपति परिवार में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गुजरात कॉलेज से हुई। इसके बाद, वह आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से नेचुरल साइंस में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की। फिर, साराभाई ने कॉस्मिक किरणों पर शोध किया और इसके लिए उन्होंने डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की।
सेकंड वर्ल्ड वॉर के दौरान साराभाई भारत वापस लौटे और बैंगलोर के भारतीय विज्ञान संस्थान में सर सीवी रमन के मार्गदर्शन में शोध करना शुरू किया। उनकी मेहनत और शोध ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। इसके बाद, 1947 में उन्होंने अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) की स्थापना की।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की रखी नीव
डॉ. विक्रम साराभाई ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की नींव रखी। उनके मार्गदर्शन में भारत ने अंतरिक्ष की दुनिया में कदम बढ़ाना शुरू किया। उनका सपना तब पूरा हुआ जब भारत का पहला उपग्रह, आर्यभट्ट, उनके निधन के चार साल बाद अंतरिक्ष में भेजा गया।
इसके साथ ही विक्रम साराभाई ने अहमदाबाद टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज रिसर्च एसोसिएशन और भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM अहमदाबाद) की स्थापना में अहम भूमिका निभाई. आज ये दोनों संस्थान भारत की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
मृणालिनी साराभाई से हुई शादी
साल 1942 में विक्रम साराभाई ने मृणालिनी साराभाई से शादी की, जो एक प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यांगना थीं। उनके दो बच्चे हुए, जिनमें उनकी बेटी मल्लिका साराभाई ने नृत्य और अभिनय के क्षेत्र में नाम कमाया, जबकि उनके बेटे कार्तिकेय साराभाई ने विज्ञान के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई।
अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (SAC) की शुरुआत
साराभाई के नेतृत्व में भारत ने अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (SAC) की शुरुआत की। उनका सपना था कि भारत आत्मनिर्भर बने और अंतरिक्ष अनुसंधान में अपनी पहचान बनाए। उनकी इसी सोच ने भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति बनने में मदद की। उनकी मेहनत और विचारों की वजह से ही भारत का पहला कृत्रिम उपग्रह आर्यभट्ट विकसित किया जा सका, जिसे उनके निधन के चार साल बाद लॉन्च किया गया।
‘रॉकेट बॉय’ की 53वीं पुण्यतिथि
30 दिसंबर 1971 को केरल के कोवलम, तिरुवनंतपुरम में दिल का दौरा पड़ने से डॉ. विक्रम साराभाई का निधन हो गया। उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक और ‘रॉकेट बॉय’ के रूप में सम्मानित किया जाता है। उनकी महान उपलब्धियां हमेशा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर रहेंगी।
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