ISRO 100th Mission in January 2025

ISRO के 100वें मिशन का ऐलान, बदल जाएगा भारत का GPS सिस्टम

ISRO 100th Mission : 2025 का पहला महीना आते ही भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम एक नए ऐतिहासिक मुकाम पर पहुंचने वाला है। जी हां, इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन यानी ISRO अपना 100वां मिशन लॉन्च करने वाला है, और यह मिशन सिर्फ संख्या का खेल नहीं है, बल्कि इससे भारत के उपग्रह नेविगेशन सिस्टम को और भी सटीक और शक्तिशाली बनाने का रास्ता साफ होगा। ISRO के चीफ एस सोमनाथ ने खुद यह ऐलान किया है कि जनवरी 2025 में GSLV-F15/NVS-02 नाम का यह मिशन लॉन्च होगा। इस मिशन के जरिए ISRO भारतीय उपग्रह नेविगेशन सिस्टम, NavIC को और मजबूत करेगा।

NVS-02 मिशन क्या है?

अगर आपको यह जानने की उत्सुकता है कि NVS-02 मिशन आखिर है क्या, तो आपको बता दें कि यह मिशन NavIC यानी नेविगेशन विद इंडियन कॉस्टेलेशन का हिस्सा है। अब बात करें इसके महत्व की, तो NavIC भारत का अपना GPS सिस्टम है। यानी अमेरिका के पास GPS है, रूस के पास GLONASS है, और चीन के पास BeiDou है, ठीक वैसे ही भारत ने अपना सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम तैयार किया है, जिसे NavIC कहते हैं। अब इस 100वें मिशन के जरिए इसे और बेहतर किया जाएगा।

इस मिशन के तहत, ISRO एक नया सैटेलाइट भेजेगा, जिसका नाम होगा NVS-02। यह सैटेलाइट तीन खास बैंड—L1, L5, और S के स्पेक्ट्रम के जरिए धरती पर सिग्नल्स भेजेगा, जो भारतीय उपग्रह नेविगेशन की सटीकता को बढ़ाएगा। GSLV MK-II रॉकेट के जरिए इस सैटेलाइट को लॉन्च किया जाएगा, और यह मिशन ISRO के लिए काफी अहम होने वाला है।

ISRO का SPADEX मिशन

NavIC सिस्टम का भारत को क्या फायदा होगा?

NavIC का इस्तेमाल सिर्फ भारत के लिए नहीं, बल्कि भारतीय सेना, कृषि, इमरजेंसी सेवाओं, और नागरिकों के लिए भी काफी फायदेमंद होगा। इस सैटेलाइट के जरिए भारत में अब और सटीक लोकेशन ट्रैकिंग की जा सकेगी, जिससे सेना को अपनी रणनीतियां बनाने में आसानी होगी। साथ ही, किसानों के लिए फसल से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी, जिससे उन्हें खेती में सुधार लाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, इमरजेंसी सर्विसेज, मेडिकल सपोर्ट, फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन्स, और पावर ग्रिड्स जैसे क्षेत्रों में भी इसका इस्तेमाल होगा।

इस मिशन से मोबाइल लोकेशन सर्विसेज भी सटीक होंगी, और सरकारी एजेंसियां समय पर काम कर सकेंगी। अब समझिए, अगर आपके फोन पर लोकेशन की सर्विस बेहतर होती है, तो यह उसी का नतीजा होगा!

venus orbiter mission isro

NVS-02 से पहले ISRO ने किया क्या?

अब थोड़ा पीछे चलते हैं और जानते हैं कि ISRO ने इस मिशन से पहले क्या किया था। NVS-02 से पहले ISRO ने अपना पहला जनरेशन सैटेलाइट NVS-01 लॉन्च किया था। इस सैटेलाइट में दो पेलोड थे—नेविगेशन पेलोड और रेंजिंग पेलोड। नेविगेशन पेलोड की मदद से सिग्नल्स भेजे जाते हैं, जबकि रेंजिंग पेलोड धरती से सैटेलाइट की दूरी मापता है। अब NVS-02 में और भी बेहतर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे यह सटीकता में और सुधार करेगा।

ISRO के SpaDeX मिशन से क्या नया होगा?

आपको याद दिला दें, कि SpaDeX मिशन भी ISRO के लिए बेहद अहम था। यह मिशन 30 दिसंबर 2024 को लॉन्च किया गया था। इसे PSLV-C60 के जरिए लॉन्च किया गया था और इसका उद्देश्य अंतरिक्ष यान के डॉकिंग और अनडॉकिंग की प्रक्रिया का परीक्षण करना था। डॉकिंग का मतलब होता है, अंतरिक्ष में दो स्पेसशिप्स या सैटेलाइट्स को एक साथ जोड़ना, और अनडॉकिंग का मतलब है, इन्हें फिर से अलग करना।

इस मिशन की सफलता के बाद, भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा, जो स्पेस में डॉकिंग और अनडॉकिंग की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम देगा। फिलहाल इस क्षमता को सिर्फ अमेरिका, रूस, और चीन ही हासिल कर पाए हैं।

भारत के लिए क्यों खास है डॉकिंग क्षमता?

स्पेस डॉकिंग का मतलब सिर्फ दो अंतरिक्ष यानों को जोड़ना नहीं होता, बल्कि इससे अंतरिक्ष में किए जाने वाले मिशनों की सफलता भी तय होती है। अगर ISRO यह क्षमता हासिल कर लेता है, तो यह भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक मजबूत शक्ति बना देगा। साथ ही, यह भविष्य के बड़े अंतरिक्ष मिशनों की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।

आखिरकार, 100वां मिशन ISRO के लिए सिर्फ एक संख्या नहीं, बल्कि इसका मतलब है भारत का बढ़ता हुआ कदम अंतरिक्ष की ओर। इस मिशन के जरिए ISRO न सिर्फ अपने तकनीकी और वैज्ञानिक कौशल का प्रदर्शन करेगा, बल्कि भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी ताकत भी दिखाएगा।

इस मिशन से भारत को NavIC को और बेहतर बनाने का मौका मिलेगा, जिससे भारतीय सुरक्षा, कृषि, चिकित्सा, और कई अन्य क्षेत्रों में लाभ होगा। साथ ही, स्पेस डॉकिंग और अनडॉकिंग की क्षमता भी भारत को अंतरिक्ष में एक मजबूत स्थान दिलाएगी।

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