Skanda Sashti 2025: स्कंद षष्ठी भगवान मुरुगन के सम्मान में मनाई जाती है, जिन्हें भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र स्कंद या कार्तिकेय के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार राक्षस सुरपद्मन पर भगवान कार्तिकेय की जीत के जश्न के रूप में मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय (Skanda Sashti 2025) का प्रतीक है।
स्कंद षष्ठी (Skanda Sashti Celebration) चंद्र पखवाड़े के छठे दिन मनाया जाता है। इस दिन को लोग उपवास करके, विशेष पूजा करके और स्कंद षष्ठी कवचम जैसे भजनों का पाठ करके मनाते हैं। यह त्योहार साहस, धार्मिकता और नकारात्मकता के विनाश का प्रतीक है। यह तमिलनाडु और मुरुगन भक्तों के बीच विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जो सुरक्षा, समृद्धि और आध्यात्मिक विकास के लिए उनका आशीर्वाद चाहते हैं।
कब है जनवरी में स्कंद षष्ठी?
द्रिक पंचांग के अनुसार, स्कंद षष्ठी का त्योहार (Skanda Sashti 2025 Date) जनवरी 5, दिन रविवार को मनाया जाएगा। इस त्योहार को शुक्ल षष्ठी या पौष शुक्ल षष्ठी भी कहा जाता है।
स्कंद षष्ठी प्रारम्भ – 00:30, जनवरी 05
स्कंद षष्ठी समाप्त – 22:45, जनवरी 05
स्कंद षष्ठी की पौराणिक कथा
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, भगवान स्कंद या कार्तिकेय को भगवान शिव (Skanda Sashti Mythology) ने सभी राक्षस राजाओं और उनकी राक्षस सेना को हराने के लिए बनाया था। तारकासुर, सिंहमुख और सुरपद्म के साथ स्वर्ग में उत्पात मचा रहा था। उन्होंने राक्षसों की अपनी सेना बनाई और देवताओं को स्वर्ग छोड़ने पर मजबूर कर दिया।
राक्षस राजाओं पर नियंत्रण पाना कठिन होता जा रहा था। सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे और उनसे राक्षसों को हराने का अनुरोध किया। तब भगवान शिव अपनी समाधि से बाहर आए और उन्होंने अपनी तीसरी आंख से भगवान स्कंद को उत्पन्न किया। भगवान स्कंद के सृजन के बाद, देवी पार्वती और अन्य सभी देवताओं ने उन्हें राक्षसों से लड़ने के लिए विभिन्न शक्तियों और हथियारों का आशीर्वाद दिया।
भगवान स्कंद और राक्षसों के बीच लड़ाई छह दिनों तक चली। लड़ाई में भगवान स्कंद ने हर राक्षस राजा को हराया और स्वर्ग को उनसे मुक्त कर दिया। उस दिन से, इस जीत का जश्न मनाने के लिए, भक्त भगवान स्कंद की पूजा करते हैं। तमिल नाडु में कई जगहों पर उत्सव छह दिनों तक मनाया जाता है।
कैसे रखें स्कंद षष्ठी का व्रत?
इस दिन भगवान स्कंद के निमित्त व्रत (Skanda Sashti Vrat) करने से विशेष लाभ होता है। भक्तों को भगवान का आशीर्वाद मिलता है। भगवान अपने भक्तों को सभी बाधाओं से लड़ने और उनके प्रयासों का फल प्राप्त करने की शक्ति से पवित्र करते हैं।
– भक्तों को सुबह जल्दी उठना चाहिए, स्नान करना चाहिए और साफ कपड़े पहनने चाहिए।
– सूर्योदय से सूर्यास्त तक व्रत रखा जाता है।
– भगवान मुरुगन के मंदिर जाएं और पूजा और अन्य अनुष्ठानों में शामिल हों।
– पूजा के दौरान स्कंद षष्ठी कवचम का जाप आत्मा को शुद्ध करती है।
– भक्त भगवान मुरुगन को प्रसन्न करने के लिए “ओम श्रवण भव” मंत्र का 108 बार माला भी जाप कर सकते हैं।
इस दिन भगवान स्कंद की पूजा (Bhagwan Skanda ki Puja) करने से कई लाभ होते हैं। जो लोग राहु, केतु, कालसर्प दोष या सर्प श्राप के प्रतिकूल प्रभाव से पीड़ित हैं उन्हें भगवान स्कंद की पूजा करने की सलाह दी जाती है। इस दिन व्रत रखने और सभी अनुष्ठानों में शामिल होने से पीड़ितों को बड़ी राहत मिलती है।
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