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अजमेर शरीफ पर नया विवाद: पीएम नरेंद्र मोदी 4 को चढ़ाएंगे चादर, विरोध में उतरी हिंदू सेना

राजस्थान की अजमेर शरीफ दरगाह का मामला अभी हल नहीं हुआ कि अब एक और विवाद इससे जुड़ रहा है। दरगाह की जगह शिव मंदिर होने का मामला अभी अदालत में चल रहा है। अब नई बात यह उठी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले की तरह अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर चढ़ाने वाले हैं और हिंदू सेना इस बात के विरोध में उतर आई है।

दरअसर 28 दिसंबर से अजमेर शरीफ में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का वार्षिक उर्स शुरू हो चुका है। इसलिए 4 जनवरी को पीएम दरगाह पर 11वीं बार चादर चढ़ाने वाले हैं। पिछली बार पीएम मोदी ने दरगार पर भगवा रंग की चादर भेजी थी, जिसे राजस्थान अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने पीएम की तरफ से चढ़ाया था। इस बार केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू पीएम की तरफ से अजमेर में चादर लेकर जाने वाले हैं। इस दौरान वे दरगाह की वेबसाइट और गरीब नवाज ऐप की लॉचिग भी करेंगे।

विरोध में उतरी हिंदू सेना

इस बात को लेकर हिंदू सेना विरोध में उतर आई है। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने पीएमओ को चिट्ठी लिखकर कहा है कि पीएम ऐसा न करें। प्रिंसिपल सेक्रेटरी को लिखी गई चिट्ठी में विष्णु गुप्ता ने कहा है कि अजमेर में दरगाह है या मंदिर, इसे लेकर मामला कोर्ट में लंबित है। यह केस अजमेर वेस्ट डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में चल रहा है। बता दें, विष्णु गुप्ता इस मामले में याचिकाकर्ता हैं। उनका मानना है कि अजमेर शरीफ दरगाह वास्तव में संकट मोचन महादेव मंदिर है। इस बात के साक्ष्य मौजूद हैं। इस पर दोनों पक्षों की अपनी-अपनी दलीलें हैं।

 

‘अजमेर में शिव मंदिर होने के पर्याप्त सबूत’

खत में उन्होंने इस बात का उल्लेख किया है कि कोर्ट में उन्होंने पर्याप्त सबूत दिए हैं कि अजमेर शरीफ में प्रचीन हिंदू शिव मंदिर मौजूद है। जिसका निर्माण चौहान वंश ने करवाया था। खत में उन्होंने अनुरोध किया है कि जब तक अदालत का फैसला न आए, पीएम की तरफ से दरगाह पर चादर चढ़ाया जाना सस्पेंड किया जाए। विष्णु गुप्ता की तरफ से दायर याचिका पर अगली सुनवाई 24 जनवरी को होनी है।

क्या है मामला?

अजमेर शरीफ दरगाह का मामल नवंबर 2024 को उस वक्त सामने आया, जब हिंदू सेना की तरफ से विष्णु गुप्ता ने याचिका ने दाखिल की, जिसमें दरगाह को शिव मंदिर बताया गया। निचली अदालत ने याचिका को मंजूर कर लिया है। मुस्लिम पक्ष इसका विरोध कर रहा है। यह विवाद मीडिया की सुर्खियों में रहा।

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