प्रयागराज का स्टील ब्रिज: 60 करोड़ में बना 426 मीटर लंबा पुल, सिर्फ 2 महीने होगा इस्तेमाल!

Prayagraj Mahakumbh:  प्रयागराज में गंगा नदी पर एक अनोखा स्टील ब्रिज तैयार हो रहा है, जो महाकुंभ मेले के लिए विशेष रूप से बनवाया गया है। यह ब्रिज महज दो महीने के लिए होगा और कुंभ मेला समाप्त होते ही इसे हटा दिया जाएगा। हालांकि, इस अस्थायी ब्रिज की एक खासियत है – इसकी लंबाई है 426 मीटर, इसकी चौड़ाई 16 मीटर, और इसके निर्माण में खर्च हुआ है 60 करोड़ रुपये। इतना ही नहीं, इस पुल के निर्माण में कुल 4500 टन स्टील और लोहा इस्तेमाल हो रहा है, और इसकी क्षमता है 150 टन तक का भार सहन करना। यह पुल महाकुंभ के दौरान करोड़ों श्रद्धालुओं और वाहनों के लिए एक महत्वपूर्ण सहारा साबित होगा। आइए जानते हैं इस पुल के बारे में विस्तार से।

अस्थायी पुल क्यों बनवाना पड़ा?

प्रयागराज में गंगा नदी पर पहले से ही एक पुराना पुल मौजूद है, लेकिन उसका इस्तेमाल अब ज्यादा नहीं किया जा सकता क्योंकि वह जर्जर हो चुका है और उसकी क्षमता भी सीमित हो गई है। इसके अलावा, महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन के दौरान लाखों श्रद्धालुओं को संगम तक पहुंचाने और यातायात को नियंत्रित करने के लिए एक मजबूत और अस्थायी पुल की जरूरत थी। इसीलिए प्रशासन ने इस स्टील ब्रिज के निर्माण का निर्णय लिया।

असल में, गंगा नदी पर एक 6 लेन का नया पुल भी बन रहा है। यह पुल मलाका से त्रिपाठी चौराहे तक जाएगा और इसकी लंबाई करीब 9.9 किलोमीटर होगी। इस पुल का निर्माण नवंबर 2020 में शुरू हुआ था, और इसे 2023 तक पूरा होना था। लेकिन निर्माण में देरी हुई और जब यह साफ हो गया कि महाकुंभ के दौरान यह पुल तैयार नहीं हो पाएगा, तब प्रशासन को अस्थायी ब्रिज बनाने का निर्णय लेना पड़ा। इस ब्रिज के जरिए श्रद्धालुओं को संगम तक पहुंचाने के लिए वैकल्पिक रास्ता मिलेगा और साथ ही जाम की समस्या से भी निजात मिलेगी।

स्टील ब्रिज का निर्माण कैसे हुआ?

इस स्टील ब्रिज का निर्माण एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन कंपनी कर रही है, जो पहले से ही 6 लेन पुल का निर्माण कर रही है। इस अस्थायी ब्रिज को बनाने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस पुल के निर्माण में करीब 100 श्रमिक काम कर रहे हैं, जिसमें से 10 लोग वेल्डिंग के काम में लगे हैं। पुल के हर पिलर की जांच के बाद ही उसे सही जगह पर रखा जा रहा है। निर्माण में दो बड़ी क्रेनों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो भारी स्टील के एंगल्स और संरचनाओं को सही जगह पर रख रही हैं।

इंजीनियरों का कहना है कि यह पुल पूरी तरह से मजबूत और सुरक्षित होगा। यह ब्रिज इस अवधि के दौरान भारी वाहनों और श्रद्धालुओं का दबाव सहने के लिए डिज़ाइन किया गया है। हालांकि, इस ब्रिज का निर्माण महाकुंभ के लिए किया गया है, इसका इस्तेमाल सिर्फ दो महीने तक होगा और फिर इसे हटा दिया जाएगा।

स्टील ब्रिज के फायदे 

इस अस्थायी स्टील ब्रिज का निर्माण कई फायदे लेकर आ रहा है। महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन में लाखों लोग संगम तक पहुंचने के लिए एक सुरक्षित और सुगम रास्ते की तलाश में होते हैं। यह ब्रिज इस मुश्किल को दूर करेगा। इसके साथ ही, महाकुंभ में श्रद्धालुओं के आने-जाने के दौरान भारी जाम की समस्या भी खड़ी हो जाती है, और इस ब्रिज के कारण इस समस्या को भी काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकेगा।

इस पुल के पास एक बड़ा पार्किंग स्थल भी बनेगा, जिससे लाखों गाड़ियों को पार्क किया जा सकेगा। लखनऊ, अयोध्या और पश्चिमी यूपी से आने वाले श्रद्धालुओं की गाड़ियां यहां पार्क की जा सकेंगी। इससे फाफामऊ पुल तक पहुंचने में जो जाम की समस्या होती थी, वह भी हल हो जाएगी। अब संगम तक जाने के लिए श्रद्धालुओं को 10 से 12 किलोमीटर पैदल चलना होगा, लेकिन इससे पहले गाड़ियों को पार्क कर दिया जाएगा। इससे जाम की समस्या में भी कमी आएगी।

महाकुंभ के बाद ब्रिज का क्या होगा?

यह ब्रिज केवल महाकुंभ के लिए बनाया गया है, और कुंभ समाप्त होने के बाद इसे हटा दिया जाएगा। लेकिन सवाल उठता है कि इस ब्रिज में इस्तेमाल हुए 4500 टन स्टील और लोहे का क्या होगा? एसपी सिंगला कंपनी के इंजीनियर ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि पुल हटने के बाद इसके निर्माण सामग्री के बारे में सरकार और कंपनी मिलकर निर्णय लेंगी। यह देखा जाएगा कि इन सामग्री का फिर से उपयोग किया जा सकता है या नहीं।

यह अस्थायी ब्रिज जब हटा दिया जाएगा, तब उसके स्थान पर 6 लेन का नया पुल तैयार हो जाएगा। इस पुल की कुल लंबाई 9.9 किलोमीटर होगी, और इसके बनने से प्रयागराज में यातायात की समस्या काफी हद तक हल हो जाएगी। यह पुल मलाका से त्रिपाठी चौराहे तक जाएगा, और इसका काम अब लगभग अंतिम चरण में है। हालांकि, इसे समय पर पूरा नहीं किया जा सका, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि महाकुंभ के बाद यह पुल श्रद्धालुओं और शहरवासियों को एक बड़ी राहत देगा।

यह भी पढ़े: