केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में दिल्ली में एक किताब के विमोचन के दौरान कश्मीर के इतिहास पर कुछ बड़ी बातें कही। उन्होंने बताया कि कश्मीर का नाम महर्षि कश्यप से जुड़ा हुआ है। उनके अनुसार, कश्मीर हमेशा से भारत का हिस्सा रहा है और इसकी प्राचीन संस्कृति का अहम हिस्सा कश्यप मुनि से जुड़ा है। कश्मीर का इतिहास हजारों साल पुराना है, और ये जगह देश की सांस्कृतिक धारा का महत्वपूर्ण केंद्र रही है। तो चलिए जानते हैं, महर्षि कश्यप कौन थे, और कैसे कश्मीर से उनका गहरा रिश्ता है।
कश्मीर का नाम क्यों जुड़ा महर्षि कश्यप से?
पुराणों के अनुसार, कश्मीर का नाम पहले ‘कश्यपमर’ या ‘कश्यपपुरी’ हुआ करता था, और यह पूरी तरह से जलमग्न था। हां, आप सही पढ़ रहे हैं! कश्मीर की घाटी कभी एक विशाल झील के रूप में अस्तित्व में थी। तो क्या हुआ, जो इसे एक जलमग्न भूमि बना दिया? इसे जानने के लिए आपको कश्मीर के इतिहास में थोड़ी गहराई से जाना होगा।
यह कथा एक राक्षस जलोद्धव की है, जिसे भगवान ब्रह्मा ने एक वरदान दिया था। जलोद्धव का आतंक इतना बढ़ गया था कि देवताओं ने देवी भगवती से मदद की प्रार्थना की। फिर, देवी ने पक्षी का रूप लिया और जलोद्धव को हराया। वह स्थान, जहां यह युद्ध हुआ, बाद में ‘हरी पर्वत’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इसके बाद महर्षि कश्यप इस भूमि पर आए और उन्होंने इस जलमग्न क्षेत्र से पानी निकालकर उसे रहने योग्य बना दिया।
यह पूरी प्रक्रिया कश्मीर के लिए महत्वपूर्ण थी, क्योंकि कश्यप ने इस क्षेत्र को शुद्ध किया और वहां जीवन के लिए अनुकूल वातावरण बनाया। इस प्रकार, कश्मीर की शुरुआत महर्षि कश्यप की तपस्या से ही मानी जाती है। कश्यप ने कश्मीर की भूमि को शुद्ध किया और यहीं से कश्मीर की सभ्यता की नींव पड़ी।
सप्तऋषियों में से एक थे महर्षि कश्यप
महर्षि कश्यप सिर्फ कश्मीर के लिए ही नहीं, भारतीय संस्कृति के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण थे। वह सप्तऋषियों में से एक माने जाते हैं, और उनका नाम भारतीय धार्मिक ग्रंथों में प्रमुख स्थान रखता है। कश्यप ने भारतीय संस्कृति के कई महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की और उनके योगदान से भारतीय समाज को एक नई दिशा मिली।
महर्षि कश्यप का संबंध भगवान ब्रह्मा से भी था और उन्होंने भारतीय संस्कृति की नींव रखने में अहम भूमिका निभाई थी। कश्यप की तपस्या और ज्ञान को भारतीय समाज में अत्यधिक सम्मानित किया गया। यही कारण है कि कश्मीर की सांस्कृतिक धरोहर और इतिहास में कश्यप का योगदान अविस्मरणीय है।
कश्मीर में महर्षि कश्यप के योगदान का प्रमाण आज भी मिलता है। यहां कई धार्मिक स्थल हैं जो कश्यप से जुड़े हुए हैं। जैसे कि कश्मीर के खीर भवानी मंदिर और गणपतयार मंदिर, जो कश्मीरियों के लिए श्रद्धा का केंद्र हैं। ये मंदिर महर्षि कश्यप की तपस्या और उनके योगदान की याद दिलाते हैं। कश्मीर में इन धार्मिक स्थलों का बहुत महत्व है और यह कश्मीर की सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखते हैं।
‘द कश्मीर फाइल्स’ में भी महर्षि कश्यप का जिक्र
फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ ने कश्मीर के इतिहास और संस्कृति को एक नई रोशनी में प्रस्तुत किया। फिल्म के एक डायलॉग में कहा गया था, “जहां शिव और सरस्वती के ऋषि कश्यप हुए, वो कश्मीर हमारा था।” यह डायलॉग कश्मीर की प्राचीनता और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाता है। कश्यप के नाम से जुड़ी यह परंपरा कश्मीर की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है।
कश्मीर का इतिहास और संस्कृति हमेशा से भारत से जुड़ा रहा है। महर्षि कश्यप ने जिस भूमि को शुद्ध किया, वही कश्मीर बाद में भारतीय संस्कृति का प्रमुख हिस्सा बन गया। कश्मीर न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक धारा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। कश्यप की तपस्या और उनके योगदान ने कश्मीर को एक नई दिशा दी, और यही कारण है कि कश्मीर का नाम भारतीयता से गहरे तौर पर जुड़ा हुआ है।