Alka Lamba vs Atishi

कांग्रेस ने CM आतिशी के खिलाफ अलका लांबा को उतारा, कालकाजी सीट पर होगा रोमांचक मुकाबला

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 की बयार अब तेज हो गई है और सियासी हलचलें बढ़ने लगी हैं। कांग्रेस ने दिल्ली के कालकाजी विधानसभा सीट पर अपनी उम्मीदवार का नाम घोषित कर दिया है। इस सीट से कांग्रेस ने तेज-तर्रार नेता अलका लांबा को टिकट दिया है। दिलचस्प यह है कि इस सीट पर उनका मुकाबला दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) की प्रत्याशी आतिशी से होगा। अब सवाल यह है कि क्या कांग्रेस इस सीट को जीत पाएगी या फिर आम आदमी पार्टी का जादू कायम रहेगा?

कांग्रेस ने आलका लांबा को क्यों चुना ?

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए कालकाजी सीट बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। यही वजह है कि पार्टी ने इस सीट से एक मजबूत और जुझारू नेता को टिकट दिया है। आलका लांबा, जो पहले आम आदमी पार्टी का हिस्सा थीं, अब कांग्रेस के साथ हैं और उनकी राजनीतिक चतुराई और जुझारू छवि ने पार्टी को यह उम्मीद दी है कि वे कालकाजी सीट पर अपनी पकड़ बना सकती हैं।

कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव समिति ने एक पोस्ट के माध्यम से यह घोषणा की कि आलका लांबा को 51-कालकाजी निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारा जाएगा। इस पोस्ट को पार्टी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किया, जिससे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और समर्थकों में उत्साह का माहौल बन गया।

कालकाजी दिल्ली के प्रमुख विधानसभा क्षेत्रों में शामिल है। यह सीट मुख्य रूप से शहरी इलाकों में आती है, और यहां के लोग अपनी बुनियादी सुविधाओं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और महंगाई के मुद्दों को लेकर हमेशा मुखर रहे हैं। ऐसे में इस सीट पर होने वाला चुनाव राजनीतिक दृष्टिकोण से बेहद दिलचस्प होने वाला है।

आलका लांबा को यहां से टिकट दिए जाने के बाद, यह सवाल उठता है कि क्या वे आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार आतिशी को चुनौती दे पाएंगी, जो कि इस सीट पर कांग्रेस की राह में बड़ी रुकावट साबित हो सकती हैं।

 

2020 विधानसभा चुनाव में क्या रहा था आलका लांबा का हाल?

2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आलका लांबा ने चांदनी चौक सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में उन्होंने तीसरे स्थान पर रहते हुए चुनावी मैदान छोड़ दिया था। इस बार भी कांग्रेस के लिए आलका लांबा की राह आसान नहीं होने वाली है, क्योंकि उन्हें आम आदमी पार्टी और बीजेपी जैसी मजबूत पार्टियों के खिलाफ लड़ाई लड़नी होगी।

हालांकि, 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आलका लांबा ने आम आदमी पार्टी के टिकट पर शानदार जीत दर्ज की थी। उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार सुमन गुप्ता को लगभग 18,000 वोटों से हराया था। यह जीत उनकी राजनीतिक क्षमता और दिल्ली के नागरिकों के बीच उनके मजबूत कनेक्शन का स्पष्ट संकेत थी।

 

आलका लांबा का हमला – बीजेपी और AAP पर सवाल

आलका लांबा की राजनीति में एक मजबूत और आक्रामक शैली है। हाल ही में उन्होंने बीजेपी और आम आदमी पार्टी दोनों पर जमकर हमला बोला। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा था कि दोनों पार्टियों ने मिलकर दिल्ली को बर्बाद कर दिया है। आलका लांबा का आरोप था कि दोनों पार्टियों ने शासन और प्रशासन में सहयोग करने की बजाय एक-दूसरे से टकराने का काम किया। इसका सीधा असर दिल्ली के नागरिकों पर पड़ा है।

आलका लांबा ने आगे कहा, “बेरोजगारी, महंगाई, अपराध, और भ्रष्टाचार – ये वो मुद्दे हैं जिन्होंने दिल्ली की जनता को प्रभावित किया है। दोनों पार्टियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया।” उन्होंने दावा किया कि दिल्ली की जनता अब बदलाव चाहती है और कांग्रेस के साथ मिलकर यह बदलाव लाएगी। उनका मानना है कि दिल्लीवासी अब तंग आ चुके हैं और कांग्रेस को एक सशक्त विकल्प के रूप में देख रहे हैं।

कांग्रेस को है पूरा आत्मविश्वास

आलका लांबा का बयान साफ तौर पर कांग्रेस के आत्मविश्वास को दर्शाता है। कांग्रेस ने इस चुनावी मैदान में पूरी ताकत झोंक दी है। आलका लांबा की उम्मीदवारी कांग्रेस की तरफ से यह संकेत है कि पार्टी इस चुनाव में अपनी वापसी का पूरा प्रयास करेगी। पार्टी ने आलका को महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी दी है, जो उनके राजनीतिक कद को और बढ़ाता है।

क्या आलका लांबा के पास होगी जीत की चाबी?

दिल्ली की राजनीति में एक बात तो तय है कि आलका लांबा के सामने भारी चुनौती है। कालकाजी सीट पर आम आदमी पार्टी और बीजेपी दोनों के समर्थक काफी मजबूत हैं। फिर भी, आलका लांबा को इस सीट पर जीतने की उम्मीद इसलिए भी है क्योंकि कांग्रेस के पास एक रणनीतिक नेतृत्व है जो दिल्ली के नागरिकों के बीच जनकल्याण और विकास के मुद्दों पर चर्चा कर रहा है।

आलका लांबा की आक्रामक और साहसी छवि ने उन्हें दिल्ली के राजनीतिक पटल पर एक प्रभावशाली नेता के रूप में स्थापित किया है। अगर कांग्रेस इस सीट को जीतने में सफल होती है, तो यह उसकी दिल्ली में वापसी का बड़ा संकेत हो सकता है।

कांग्रेस के सामने चुनौती

यह भी देखा जाएगा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी के समर्थन में कितनी मजबूती है। 2020 के चुनावों में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में शानदार प्रदर्शन किया था, और अब उनका दावा है कि दिल्ली के लोगों को उनकी सरकार की योजनाओं और कार्यों से पूरी संतुष्टि है। हालांकि, कांग्रेस का अभियान और आलका लांबा की बयानबाजी इसे एक दिलचस्प मुकाबला बना रही है।

वहां बीजेपी भी इस सीट को लेकर गंभीर है, क्योंकि उसकी भी नजर दिल्ली की सत्ता पर है। ऐसे में कालकाजी सीट पर होने वाला चुनाव दोनों प्रमुख दलों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका है।