इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) ने अंतरिक्ष में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। वैज्ञानिकों ने वहां लोबिया के बीज अंकुरित करने में सफलता पाई है। अब उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इन बीजों से पत्ते भी निकलेंगे। यह काम पौधों की ग्रोथ पर कम गुरुत्वाकर्षण के असर को समझने के लिए किया जा रहा है। इसरो का यह कदम लंबी अवधि के स्पेस मिशनों में बहुत मददगार साबित हो सकता है, क्योंकि इससे यह जानने में मदद मिलेगी कि अंतरिक्ष में पौधों की वृद्धि किस तरह से होती है।
स्पेड X मिशन के तहत अंतरिक्ष में भेजे गए थे बीज
Life sprouts in space! 🌱 VSSC’s CROPS (Compact Research Module for Orbital Plant Studies) experiment onboard PSLV-C60 POEM-4 successfully sprouted cowpea seeds in 4 days. Leaves expected soon. #ISRO #BiologyInSpace pic.twitter.com/QG7LU7LcRR
— ISRO (@isro) January 4, 2025
ISRO ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक ट्वीट करके जानकारी दी कि स्पेस में जीवन की शुरुआत हो गई है। ISRO ने बताया कि VSSC के CROPS (कंपैक्ट रिसर्च मॉड्यूल फॉर ऑर्बिटल प्लांट स्टडीज) प्रयोग को PSLV-C60 के POEM-4 मिशन के तहत सफलतापूर्वक किया गया। चार दिनों में लोबिया के बीजों में अंकुरण हो चुका है, और पत्तियां जल्दी निकलने की उम्मीद जताई जा रही है। इन बीजों को 30 दिसंबर को स्पेड X मिशन के तहत PSLV C 60 रॉकेट से अंतरिक्ष में भेजा गया था।
लंबी अंतरिक्ष यात्रा के दौरान फसल उत्पादन करना होगा मुमकिन
विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) ने ‘कंपैक्ट रिसर्च मॉड्यूल फॉर ऑर्बिटल प्लांट स्टडीज’ (CROPS) नामक एक प्रयोग विकसित किया है, जिसका उद्देश्य माइक्रोग्रैविटी (कम गुरुत्वाकर्षण) में पौधों की वृद्धि का अध्ययन करना है। इस प्रयोग को PSLV-C60 मिशन के POEM-4 प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया गया था। केवल 4 दिनों में लोबिया के बीज सफलतापूर्वक अंकुरित हो गए हैं, और अब पत्तियों के उगने की उम्मीद जताई जा रही है। CROPS का मुख्य उद्देश्य यह समझना है कि अंतरिक्ष में पौधे कैसे बढ़ते हैं, ताकि भविष्य में लंबी अंतरिक्ष यात्रा के दौरान फसल उत्पादन की योजना बनाई जा सके।
लोबिया के 8 बीज हुए अंकुरित
इस प्रयोग में भारत ने 8 लोबिया (Cowpeas) के बीजों को एक नियंत्रित वातावरण में उगाया, जिसमें थर्मल नियंत्रण की व्यवस्था थी। इस वातावरण को इस तरह से तैयार किया गया था कि यह अंतरिक्ष यात्रा के दौरान पौधों को जिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है, उनका अनुकरण कर सके। इस सफलता को भारत के अंतरिक्ष जीवविज्ञान अनुसंधान में एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। यह सफलता भारत की अंतरिक्ष में पौधे उगाने की क्षमता को साबित करती है।
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