दिल्ली-एनसीआर (National Capital Region) में वायु प्रदूषण की स्थिति में सुधार होते ही ग्रैप-3 की पाबंदियां हटा दी गई हैं। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर घटने के बाद वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने 5 जनवरी को पाबंदियों को समाप्त करने का आदेश दिया। इससे पहले 3 जनवरी को प्रदूषण की स्थिति में अचानक वृद्धि के बाद ग्रैप-3 लागू कर दी गई थी, लेकिन अब हवा की गुणवत्ता में सुधार के बाद इन पाबंदियों को हटा लिया गया है।
क्या था ग्रैप-3?
ग्रैप (Graded Response Action Plan) वायु गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए एक योजना है, जिसका उद्देश्य प्रदूषण स्तर बढ़ने पर प्रभावी तरीके से कार्रवाई करना है। यह योजना 4 अलग-अलग चरणों में बांटी जाती है, और ग्रैप-3 उस योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जब AQI (Air Quality Index) का स्तर 300 के करीब पहुंच जाता है, तो ग्रैप-3 लागू किया जाता है, और यह सबसे सख्त प्रतिबंधों का दौर होता है।
3 जनवरी को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया था। इस दिन के दौरान, दिल्ली के AQI में एकाएक वृद्धि हुई और यह 300 के पार पहुंच गया, जिसके बाद वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने तुरंत ग्रैप-3 को लागू कर दिया था। इसके तहत विभिन्न सख्त कदम उठाए गए थे, जिनका उद्देश्य वायु प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करना था।
हटाई गईं ये पाबंदियां
डीजल वाहनों पर प्रतिबंध: ग्रैप-3 के तहत, सभी गैर-सीएनजी और गैर-इलेक्ट्रिक डीजल वाहनों को दिल्ली के भीतर चलने पर रोक लगा दी गई थी।
निर्माण कार्यों पर रोक: प्रदूषण नियंत्रण के तहत, निर्माण कार्यों को पूरी तरह से रोक दिया गया था। इससे सड़क निर्माण, रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स और अन्य निर्माण गतिविधियों पर सीधा असर पड़ा।
स्कूलों में बदलाव: ग्रैप-3 लागू होते ही, दिल्ली के स्कूलों को भी निर्देश दिए गए थे कि वे अपनी कक्षाओं को ऑनलाइन मोड पर आयोजित करें। इसके साथ ही 5वीं कक्षा तक के स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया गया था।
ओड-इवन (Odd-Even) योजना का विचार: ग्रैप-3 के तहत दिल्ली सरकार ओड-इवन योजना लागू करने पर विचार कर रही थी, जिससे वाहनों की संख्या को सीमित किया जा सके।
इन पाबंदियों के कारण नागरिकों के जीवन पर असर पड़ा था, लेकिन अब ये सभी पाबंदियां हटा दी गई हैं।
हवा की गुणवत्ता में सुधार
हालांकि, पिछले कुछ दिनों से हवा की गुणवत्ता में सुधार देखने को मिला है। 5 जनवरी को दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ, और AQI 339 के आसपास दर्ज किया गया। इस सुधार के बाद, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने ग्रैप-3 को हटाने का फैसला लिया। हवा में ठंडक और हल्की हवाएं चलने के कारण प्रदूषण में कमी आई, जिससे नागरिकों को राहत मिली।
वायु गुणवत्ता में इस सुधार के बावजूद, विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण की स्थिति पर नजर बनाए रखना जरूरी है। ठंडे मौसम के चलते प्रदूषण में वृद्धि हो सकती है, इसलिए मौसम में बदलाव के साथ-साथ प्रदूषण की स्थिति की समीक्षा की जाएगी।
दिल्ली में इस समय हवा की गुणवत्ता थोड़ी बेहतर है, लेकिन आने वाले दिनों में अगर प्रदूषण फिर से बढ़ता है, तो आयोग द्वारा फिर से ग्रैप के किसी दूसरे चरण को लागू किया जा सकता है।
इस बार के सुधार के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि अगर मौसम में और सुधार होता है, तो वायु गुणवत्ता में स्थिरता बनी रहेगी और नागरिकों को राहत मिलेगी।
क्या है वायु गुणवत्ता इंडेक्स (AQI)?
वायु गुणवत्ता इंडेक्स (AQI) एक माप है जो यह दर्शाता है कि हवा में प्रदूषण की कितनी मात्रा है और यह स्वास्थ्य पर कितना असर डाल सकता है। AQI का स्तर 0 से 500 तक होता है, जहां 0 से 50 का स्तर अच्छा माना जाता है, 51 से 100 मध्यम होता है, 101 से 200 खराब और 201 से 300 तक बहुत खराब माना जाता है। 300 से ऊपर का स्तर आपातकालीन स्थिति को दर्शाता है।
आजकल AQI का स्तर 300 से ऊपर पहुंचने पर ही ग्रैप-3 लागू किया जाता है।