HMPV: 400 साल पुराना चिड़ियों का वायरस अब इंसानों को क्यों परेशान कर रहा है?

HMPV ( human metapneumovirus) एक ऐसा वायरस है, जिसे अब इंसानों में देखा जा रहा है। पहले ये वायरस सिर्फ चिड़ियों को ही परेशान करता था, लेकिन अब यह इंसानों को भी संक्रमित करने लगा है। हाल ही में, भारत में इस वायरस(hmpv virus cases in india)  के मामलों की रिपोर्ट आई है। खासतौर पर छोटे बच्चों, खासकर 2 साल से कम उम्र के बच्चों में यह वायरस ज्यादा असर दिखा रहा है।

अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक, इस वायरस को पहली बार इंसानों में 2001 में पहचाना गया था। हालांकि, यह वायरस इंसानों से पहले चिड़ियों में पाया जाता था। और अब वैज्ञानिकों का कहना है कि यह वायरस चिड़ियों से इंसानों तक 200-400 साल पहले पहुंच चुका था। तो सवाल यह है कि यह चिड़ियों का वायरस इंसानों तक कैसे पहुंचा?

HMPV वायरस चिड़ियों से इंसानों तक कैसे पहुंचा?

यह वायरस पहले चिड़ियों में फैलता था और उन्हें बीमार करता था, लेकिन वक्त के साथ यह इंसानों तक पहुंचने लगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह वायरस अब इंसान के शरीर में खुद को इतना ढाल चुका है कि अब यह सिर्फ इंसानों को ही प्रभावित करता है, चिड़ियों को नहीं।

हैरानी की बात यह है कि यह वायरस इतना परफेक्ट तरीके से इंसान के शरीर में ढल चुका है कि लगभग हर इंसान 5 साल की उम्र तक इसे अपनी चपेट में ले चुका होता है। यानी, हम सब इस वायरस से कहीं न कहीं प्रभावित हो चुके हैं।

HMPV और इम्यून सिस्टम का खेल

HMPV वायरस का सबसे बड़ा खतरा यह है कि यह शरीर की इम्यूनिटी को कमजोर कर सकता है। इम्यूनिटी यानी हमारी शरीर की रक्षा प्रणाली, जो हमें बीमारियों से लड़ने में मदद करती है। HMPV वायरस खासतौर पर शरीर के इम्यून सिस्टम को धीमा कर देता है। यह वायरस टी-सेल्स में प्रोग्राम्ड सेल डेथ रिसेप्टर्स को बढ़ा देता है, जिससे शरीर का इम्यून रिस्पॉन्स कमजोर हो जाता है।

इसके कारण, HMPV बार-बार हल्के इन्फेक्शन का कारण बन सकता है। हालांकि, ज्यादातर मामलों में यह वायरस ज्यादा खतरनाक नहीं होता, लेकिन अगर इसका प्रभाव बढ़ जाए तो यह ब्रोन्काइटिस या निमोनिया जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।

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क्या HMPV कोरोना की तरह खतरनाक हो सकता है?

HMPV वायरस और कोरोना वायरस दोनों अलग-अलग परिवार से आते हैं। HMPV Paramyxoviridae परिवार का हिस्सा है, जबकि कोरोना Coronaviridae परिवार से है। हालांकि दोनों वायरस की उत्पत्ति अलग है, फिर भी इन दोनों में कुछ समानताएँ हैं।

सांस संबंधी समस्याएं: दोनों वायरस श्वसन तंत्र (respiratory system) पर हमला करते हैं। इससे खांसी, बुखार, गले में खराश और सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।

फैलाव का तरीका: जैसे कोरोना वायरस खांसी और छींक से फैलता है, उसी तरह HMPV भी खांसी और छींक से फैल सकता है। इसके अलावा, हाथ मिलाने या किसी से पास में आने से भी यह वायरस फैल सकता है।

समान लक्षण: दोनों वायरस के लक्षण समान होते हैं – बुखार, खांसी, गले में खराश, सांस लेने में तकलीफ आदि।

जोखिम वाले लोग: HMPV और कोरोना दोनों वायरस खासतौर पर बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए खतरनाक हो सकते हैं। खासकर बुजुर्गों में HMPV के संक्रमण से निमोनिया जैसी गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है।

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HMPV के लक्षण और इलाज

HMPV का इन्क्यूबेशन पीरियड यानी वह समय जब वायरस शरीर में प्रवेश करने के बाद लक्षण दिखाना शुरू करता है, वह आमतौर पर 3 से 6 दिन तक होता है। लेकिन यह समय ज्यादा भी हो सकता है, यह उस व्यक्ति के इन्फेक्शन के स्तर पर निर्भर करता है।

इस वायरस के लक्षणों में बुखार, खांसी, गले में खराश, सांस लेने में कठिनाई, घरघराहट जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। अगर वायरस ज्यादा फैल जाए तो यह ब्रोन्काइटिस और निमोनिया जैसे गंभीर संक्रमण का कारण भी बन सकता है।

अभी तक इस वायरस का कोई विशेष इलाज नहीं है। मगर लक्षणों से राहत पाने के लिए दर्द निवारक दवाएं, सर्दी-खांसी की दवाएं और आराम की सलाह दी जाती है। यदि इन्फेक्शन बढ़ जाए तो डॉक्टर की मदद लेनी पड़ सकती है।

HMPV से बचाव के उपाय

HMPV से बचाव के लिए सबसे जरूरी है साफ-सफाई और सतर्कता। जैसे कोविड-19 के दौरान मास्क पहनने, हाथ धोने और सोशल डिस्टेंसिंग की सलाह दी जाती थी, वैसे ही HMPV से बचने के लिए भी इन उपायों का पालन करना चाहिए।

इसके अलावा, वायरस के फैलने से बचने के लिए सर्दी-खांसी के समय छींकने या खांसने पर मुँह ढकना, और संक्रमित व्यक्तियों से दूरी बनाना आवश्यक है।