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मिडल क्लास का दर्द: टैक्स, महंगाई और खर्चों में उलझा, क्या सरकार राहत देगी?

आज के वक्त में भारत में मिडल क्लास का क्या हाल है, ये किसी से छुपा नहीं है। सरकार का पूरा ध्यान हमेशा गरीबों, किसानों और कॉरपोरेट्स पर रहता है, और मिडल क्लास को हर बार नजरअंदाज कर दिया जाता है। जब बजट आता है, तो सरकार गरीबों और किसानों के लिए ढेर सारी योजनाएं घोषित करती है, वहीं मिडल क्लास उम्मीद करता है कि शायद इस बार उसे कुछ राहत मिलेगी।

आम आदमी की उम्मीद हमेशा यही रहती है कि इस बार सरकार उसे टैक्स में छूट दे दे, क्योंकि महंगाई बढ़ने और खर्चों में लगातार इजाफा होने के कारण उसकी जेब खाली हो जाती है। लेकिन यह उम्मीद हर साल टूटी रहती है। आजकल मिडल क्लास का सबसे बड़ा दर्द यही है कि कमाई पर टैक्स, फिर हर चीज पर GST और फिर जो पैसा बचता है, उस पर भी टैक्स। अब तक मिडल क्लास के लिए सरकार ने जो योजनाएं बनाई हैं, वह ज्यादातर बिना किसी असर के साबित हुई हैं।

टैक्स का बोझ और खर्चों का आलम

भारत में मध्यम वर्ग (Middle Class) की परिभाषा कुछ ऐसी है कि जिनकी सालाना आय 3.1 लाख से लेकर 10 लाख रुपये तक हो, वह मिडल क्लास में आते हैं। अगर किसी की सालाना आय 10 लाख रुपये तक है, तो उसे 20 प्रतिशत टैक्स देना होता है। अब सोचिए, 10 लाख कमाने वाले व्यक्ति की जेब में आखिर क्या बचता होगा, जब इतनी बड़ी रकम टैक्स में चली जाती है। इस पर से जो बाकी पैसा बचता है, वह जरूरी खर्चों में ही निकल जाता है।

10 लाख रुपये सालाना कमाने वाले की सैलरी का 65 प्रतिशत खर्च हो जाता है। और जो बचता है, वह भी जरूरी चीजों के लिए ही खर्च हो जाता है। अब सवाल यह उठता है कि क्या यह व्यक्ति सच में गरीब नहीं है? क्या 10 लाख कमाने वाला किसी तरह से भी ‘अमीर’ हो सकता है?

 

मिडल क्लास की परिभाषा पर सवाल

भारत में मिडल क्लास की परिभाषा क्या है? इस पर सवाल उठाना जरूरी है। अगर हम भारत के बड़े शहरों में देखें, तो वहां एक व्यक्ति जो 10 लाख रुपये सालाना कमाता है, उसकी जिंदगी के खर्च इतने ज्यादा होते हैं कि वह कभी अमीर नहीं हो सकता। बड़े शहरों में महंगाई इतनी बढ़ चुकी है कि 10 लाख रुपये सालाना कमाने वाले व्यक्ति को अपनी जिंदगी को आरामदायक बनाने के लिए कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

शहरी परिवारों की खर्च की आदतें भी बदल चुकी हैं। घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण के अनुसार, औसत शहरी परिवार अपने मासिक खर्च का करीब 40 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ खाने पर खर्च करता है। इसके अलावा, स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन और अन्य जरूरतों पर भी लगभग 25 प्रतिशत खर्च हो जाता है। ऐसे में सोचिए, अगर किसी मिडल क्लास परिवार की आय 10 लाख रुपये है, तो उसे बचत करने का मौका कहां मिलेगा?

 

पार्टी विवरण
मिडल क्लास की परिभाषा वह व्यक्ति जिसकी सालाना आय 3.1 लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक हो, उसे मिडल क्लास माना जाता है।
10 लाख रुपये कमाने वाले पर टैक्स अगर किसी की सालाना आय 10 लाख रुपये है, तो उसे 20% टैक्स देना पड़ता है। यानी 10 लाख में से 2 लाख रुपये टैक्स में चले जाते हैं।
कमाई का कितना हिस्सा खर्च हो जाता है? 10 लाख रुपये में से लगभग 65% हिस्सा जरूरी खर्चों पर चला जाता है (जैसे कि घर का किराया, बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य खर्च, आदि)।
खाने पर खर्च औसतन, मिडल क्लास परिवार अपने महीने का 40% खर्च सिर्फ खाने पर करता है।
स्वास्थ्य, शिक्षा और परिवहन पर खर्च मिडल क्लास परिवार का लगभग 25% खर्च स्वास्थ्य, शिक्षा, और यात्रा पर हो जाता है।
बचत करने का मौका जब इतनी बड़ी रकम टैक्स और खर्चों में चली जाती है, तो मिडल क्लास परिवार के पास बचत करने का मौका बहुत कम बचता है।
मुख्य खर्च घर का किराया, बच्चों की शिक्षा, डॉक्टर की फीस, पेट्रोल, परिवहन और अन्य जरूरी खर्च।
टैक्स और खर्चों के बाद क्या बचता है? टैक्स और अन्य खर्चों के बाद मिडल क्लास व्यक्ति के पास अपनी जीवनशैली को आरामदायक बनाने के लिए कुछ भी बचता नहीं है।
क्या मिडल क्लास को राहत मिलनी चाहिए? सरकार को मिडल क्लास के लिए टैक्स में छूट देनी चाहिए और उनके खर्चों पर ध्यान देना चाहिए, ताकि वे अपनी जिंदगी को थोड़ा आराम से जी सकें।

टैक्स के अलावा बढ़ती महंगाई और खर्च

इसका एक और पहलू यह है कि मिडल क्लास की पूरी कमाई महंगाई और जरूरी खर्चों में ही खत्म हो जाती है। 10 लाख रुपये सालाना कमाने वाले व्यक्ति को घर का किराया, बच्चों की शिक्षा, डॉक्टर की फीस, पेट्रोल और किराए पर जाने के खर्चों से गुजरना पड़ता है। इन सब खर्चों को जोड़ने के बाद उसकी आय का बहुत बड़ा हिस्सा खत्म हो जाता है।

मिडल क्लास व्यक्ति का असली दर्द यह है कि टैक्स और खर्चों के बाद उसके पास कुछ भी नहीं बचता। यह व्यक्ति कभी खुद को ‘अमीर’ महसूस नहीं कर पाता, भले ही उसकी आय 10 लाख रुपये हो। ऐसे में क्या मिडल क्लास की परिभाषा को फिर से परिभाषित करने की जरूरत नहीं है?

क्या मिडल क्लास को राहत मिलेगी?

अब सवाल यह है कि क्या सरकार को मिडल क्लास के लिए कुछ राहत देनी चाहिए? यह सवाल हर बार बजट के समय उठता है। सरकार ने हमेशा गरीबों और किसानों के लिए बजट में राहत दी है, लेकिन मिडल क्लास को हर बार अनदेखा किया गया है।

मिडल क्लास का असली दर्द यही है कि उसकी आय का एक बड़ा हिस्सा टैक्स और खर्चों में चला जाता है। अब वक्त आ गया है कि सरकार इस वर्ग को राहत दे और टैक्स सिस्टम में बदलाव करे। क्या मिडल क्लास को 10 लाख रुपये सालाना कमाने के बाद टैक्स में कोई राहत मिलनी चाहिए? क्या सरकार को मिडल क्लास की परिभाषा को फिर से तय करना चाहिए, ताकि उसे कम से कम इतना तो बच सके कि वह अपनी जिंदगी को आराम से जी सके?

अगर सरकार बजट 2025 में मिडल क्लास के लिए राहत देती है, तो यह एक बड़ा कदम होगा। यह मिडल क्लास के लिए राहत का बड़ा मौका हो सकता है, और अगर ऐसा होता है तो इससे देश में हर किसी को फायदा होगा। सरकार को मिडल क्लास के मुद्दों पर गंभीरता से सोचना होगा और इसे अपना प्राथमिक मुद्दा बनाना होगा।

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